खेती में पैदावार बढ़ाएगी बीजों पर राइजो बैक्टीरिया की कोडिंग
आगरा। रासायनिक खाद, कीटनाशक और अन्य वजह से लगातार कम हो रही मिट्टी की उत्पादन क्षमता को बीजों पर अब राइजो बैक्टीरिया की कोडिंग बढ़ाएगी। पेंटेंट के लिए पब्लिश हो चुके कानपुर सीएसजेएम विवि की श्रेया वर्मा का यह शोध कार्य भारत में लगातार बढ़ रही जनसंख्या के दौर में कृषि क्षेत्र में क्रांति की मुख्य वजह बन सकता है।
-कौशाम्बी फाउंडेशन व डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स व डॉ. आंबेडकर विवि की तीन दिवसीय कार्यशाला में पढ़े गए कई शोध पेपर
श्रेया ने खंदारी परिसर स्थित जेपी सभागार में आयोजित तीन दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस इन मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च एंड प्रैक्टिस फार सस्टेनेबल डलवपमेंट एंड इनोवेशन में अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।
उन्होंने बताया कि आने वाले 25 वर्षों में मिट्टी की उत्पादकता में हैवी मेटिल के कारण 90 फीसदी कमी आने का अनुमान है। शोध कार्य के लिए उन्होंने झारखंड, कोटा, सोनभद्र व पश्मचम उप्र के ऐसे क्षेत्रों का चुनाव किया जहां कोयले की खाने व थर्मल पावर प्लांट थे। यहां की मिट्टी में हैवी मेटल विशेषकर कैडमियम की अधिकता देखी गई, जो लगाकार मिट्टी की उत्पादन क्षमता को कम कर रही है।
पैदावार कम होने से किसान अधिक मात्रा में रसायनिक खाद व कीटनाशक का प्रयोग कर रहे हैं, जो हैवी मेटल में और अधिक इजाफा कर रही है। इसके लिए उन्होंने बीजों पर राइजोबैक्टीरिया की कोडिंग करके पैदाबार को न सिर्फ बढ़ाया बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी बनाया। उनका यह शोधकार्य पेटंट के लिए पब्लिश हो चुका है।
नकली दूध से लोगों की याददाश्त जा रही
डीईआई की डॉ. आंचल ने मिलावटी दूध से लोगों में शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक दृष्टि से हो रहे नुकसान पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। बताया कि उप्र में 319 लाख मीट्रिक टन दूध का उत्पादन हो रहा है, जबकि आवश्यकता 426 लाख मिट्रिक टन की है। बताया कि दूध में मिलने वाले डिटर्जेन्ट से चक्कर उल्टी, पेट दर्द, स्टार्च से किडनी खराब, यूरिया से किडनी फेलियोर के मामले बढ़ रहे हैं। मानसिक रूप से नकली दूध लोगों की याददाश्त को कमजोर करने के साथ ही बोलने की शक्ति को प्रभावित कर रहा है।
आज के दौर में मोबाइल उपवास रखने की जरूरत
आगरा। डीईआई के डॉ. डीके चतुर्वेदी ने कहा कि आज के दौर में मोबाइल उपवास रखने की आवश्यकता है। विशेषकर बच्चों को। किसी जमाने में अभिभावक बच्चों को खेल के मैदान से डांटकर पढ़ने के लिए बुलाते थे, लेकिन आज माता-पिता को बच्चों को मोबाइल छींनकर कहना पड़ता है कि थोड़ा देर पार्क में खेल आओ।
उन्होंने कहा कि ऐसा न हो कि एक दिन जिन मशीनों को आप नियंत्रित कर रहे हैं वह पूरी तरह से आपको नियंत्रित करना शुरु कर दें। इसलिए आज हफ्ते में कम से कम एक दिन मोबाइल उपवास अवश्य रखें। एक पूरा दिन खुद को मोबाइल से दूर रखें।
सोशल मीडिया की फेक न्यूज पैदा कर रहीं कई समस्याएं
आगरा। आसाम की रहने वाली चिन्मयी हरियाणा विवि में पत्रकारिता विषय पर अपना शोध कर रही हैं। अपना शोध कार्य प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया की फेक न्यूज लोगों को टेक्नोफीलिया व इन्फोफीलिया का शिकार बना रही है। विशेषकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में।
उन्होंने कहा कि तकनीक पसंद करने वाले लोग सोशल मीडिया के माध्यम से सही हो या गलत, हर सूचना को स्वीकार कर अपने ऊपर आजमा रहे हैं। खुद ही अपना इलाज कर रहे हैं, जिससे उनका व्यवहार व मानसिक स्वास्थ्य गड़बड़ा रहा है। ऐसे लोग विभिन्न एप व सोशल मीडिया से गलत जानकारी प्राप्त कर डॉक्टरों पर भी विश्वास नहीं कर रहे हैं।
आगरा। कौशाम्बी फाउन्डेशन के चेयरमैन लक्ष्य चौधरी ने बताया कि कार्यशाला में विभिन्न विषयों पर ऑन लाइन व ऑफ लाइन 500 से अधिक रिसर्च पेपर व 50 पोस्टर प्रस्तुत किए जा रहे हैं। 28 दिसम्बर को दोपहर 12 बजे से पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया जाएगा। आज रिसर्च पेपर प्रिजेन्टेशन कार्यक्रम का संयोजन संजय कुमार व विमल मोसाहरी ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से कृष्मा शर्मा, मनीष केन, पुष्पराज सिंह, प्रियांशी राजपूत, काजल सिंह, नीतू सिंह, यतेन्द्र कुमार, तुषार चौधरी, योशिल, सागर शर्मा, मन्नत शाक्य आदि मौजूद रहे।
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