चित्रगुप्त परिषद ने अधिवक्ताओं का किया सम्मान

आगरा। प्रजातंत्र के प्रमुख स्तंभ न्यायालय में सेवाएं देने वाले अधिवक्ताओं को प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद जयंती (अधिवक्ता दिवस) पर सम्मानित करने के साथ ही श्रीचित्रगुप्त परिषद सामाजिक संस्था युखा शाखा ने महाकवि हरिवंश राय बच्चन की जयंती पर काव्यांजलि अर्पित की। 

Dec 8, 2024 - 22:09
Dec 8, 2024 - 22:10
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चित्रगुप्त परिषद ने अधिवक्ताओं का किया सम्मान
अटल बिहारी वाजपेयी सभागार, केंद्रीय हिंदी संस्थान में श्रीचित्रगुप्त परिषद सामाजिक संस्था युवा शाखा द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में मंचस्थ अतिथि।

परिषद की युवा शाखा ने डा. राजेंद्र प्रसाद की जयंती पर किया आयोजन, हरिवंश राय बच्चन की जयंती पर कवि सम्मेलन भी

 

केंद्रीय हिंदी संस्थान के अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत मां शारदे को नमन करते हुए डॉ. राजेंद्र प्रसाद और हरिवंश राय बच्चन के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर हुआ। दो सत्रों में हुए आयोजन में प्रथम सत्र में अधिवक्ताओं का सम्मान किया गया।

 

संस्था की ओर से अधिवक्ता अशोक श्रीवास्तव, हरिओम कुलश्रेष्ठ, हेमेंद्र कुलश्रेष्ठ, समीर भटनागर, अभिनव कुलश्रेष्ठ, महेश श्रीवास्तव, अशोक कुलश्रेष्ठ, दिलीप कुमार सक्सेना, संजीव श्रीवास्तव, संजीव सक्सेना, नितिन जौहरी, रुपेश कुलश्रेष्ठ, राजीव सक्सेना, आनंद मोहन श्रीवास्तव, राजवीर कुलश्रेष्ठ, नंदिनी कुलश्रेष्ठ, विनीत कुलश्रेष्ठ, विराट सक्सेना, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, हरीश श्रीवास्तव, अमित भांति, आरडी कुलश्रेष्ठ, राकेश कुलश्रेष्ठ, सिद्धांत शंकर, दरबारी राजनारायण, अश्वनी कुमार श्रीवास्तव, उमेश कुलश्रेष्ठ, गोविन्द सहाय जौहरी, राजीव कुलश्रेष्ठ, राधेश्याम श्रीवास्तव, मृगेश कुलश्रेष्ठ, योगेश कुमार कुलश्रेष्ठ, प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, एसपी सिन्हा, प्रतिभा कुलश्रेष्ठ का सम्मान किया गया।

 

द्वितीय सत्र में कवि हरिवंश राय बच्चन की जयंती को काव्य रसधार के साथ मनाया गया। काव्य सत्र का शुभारंभ करते हुए कवि मोहित सक्सेना की भारती के भाल पर जब कील गाढ़ी जा रही हो, कुरुसभा में रोज पांचाली उघाड़ी जा रही हो…पंक्तियों ने श्रोताओं में वीररस का संचार कर दिया। जीवन की सत्यता का आईना कवित्री श्रुति सिन्हा ने अपनी पंक्ति कपड़ों की तरह रिश्तों को बदलते देखा है। आदमी को हैवान होते देखा है... से शब्द अंकित किया।

 

इसके बाद माहौल को हल्का करते हुए हास्य कवि लटूरी लट्ठ ने जिस दिन शादी की बात बनी, वो बन सनातनी आय गयी। फिर अच्छी बुरी आदतों की, सब लिस्ट बना पक राय गयी…..। राजनीति पर कटाक्ष करते हुए चकाचौंध ज्ञानपुरी ने वो सांसद हैं, घूस नहीं तो क्या घास खाएंगे…पंक्तियों से वाह वाह बटोरी। जिंदादिली से भरी पंक्तियां बात− बात पर हंसते रहिए, कदम− कदम मुस्कुराते रहिए…मुकुल महान ने पढ़ीं। श्रंगार रस  से भरी आग पतंगे जैसा अपना नाता है…पंक्तियों का पाठ हीरेंद्र हृदय ने किया।    

 

कार्यक्रम में संयोजक महेश श्रीवास्तव, परिषद के अध्यक्ष डॉ सुभाष चंद्र सक्सेना, महासचिव डॉ अम्बेश श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष सुशील कुमार श्रीवास्तव, नितिन जौहरी, नितेश सक्सेना, विशाल सक्सेना, वनज माथुर, विवेक सक्सेना,अंजुलता खरे, रुपेश कुलश्रेष्ठ, शोभा श्रीवास्तव, डॉ अमित नारायण, रुचिता भटनागर, विजेंद्र रायज़ादा, अजय कायस्थ, सचिन श्रीवास्तव, रिद्धिमा श्रीवास्तव, मीनेन्द्र श्रीवास्तव, विशाल रायज़ादा, सुरेन्द्र कुलश्रेष्ठ, जलज सक्सेना, संजय प्रकाश, डॉ बीबी श्रीवास्तव, अनुपम जौहरी, रजत अस्थाना, विवेकराज कुलश्रेष्ठ, प्रशांत सक्सेना आदि उपस्थित रहे। 

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