राहुल ने अमेरिका में फिर कहा- चीन ने हमारी जमीन को कब्जाया, मोदी इसे सुलझाने में रहे विफल
वाशिंगटन। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में मीडिया से बातचीत के दौरान चीन के साथ सीमा विवाद, भारत की उत्पादन क्षमता समेत कई अहम मसलों पर अपनी बात रखी। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने चीन के साथ सीमा विवाद को सही तरीके से नहीं संभाला। उन्होंने अमेरिका और भारत के बीच उत्पादन के क्षेत्र में सहयोग की वकालत की और कहा कि चीन के गैर-लोकतांत्रिक उत्पादन मॉडल का मुकाबला करने के लिए दोनों देशों को साथ आना होगा।
राहुल गांधी ने बेरोजगारी के मुद्दे पर भी बात की और छोटे और मध्यम उद्योगों को समर्थन देने की बात कही। उन्होंने कर्नाटक और तेलंगाना में अपनी सरकारों की तरफ से उठाए जा रहे कदमों का उदाहरण देते हुए विकेंद्रीकृत उत्पादन प्रणाली का समर्थन किया। राहुल गांधी तीन दिवसीय अमेरिका दौरे पर हैं जहां उन्होंने भारतीय समुदाय, छात्रों, शिक्षकों और अमेरिकी सांसदों से मुलाकात की। यह लोकसभा में विपक्ष के नेता बनने के बाद उनकी पहली अमेरिका यात्रा है।
राहुल गांधी ने अपनी बातचीत में सबसे पहले चीन के साथ सीमा विवाद का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि चीन के सैनिकों ने लद्दाख में दिल्ली के आकार जितनी जमीन पर कब्जा कर लिया है और मुझे लगता है कि यह एक आपदा है। मीडिया इसके बारे में लिखना पसंद नहीं करता है। अगर कोई पड़ोसी देश अमेरिका के 4,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर ले तो अमेरिका की क्या प्रतिक्रिया होगी? क्या कोई राष्ट्रपति यह कहकर बच सकता है कि उसने इसे अच्छी तरह से संभाला है? इसलिए, मुझे नहीं लगता कि मोदी ने चीन को अच्छी तरह से संभाला है। मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि चीनी सैनिक हमारे क्षेत्र में क्यों बैठे हैं।
राहुल गांधी ने 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प का जिक्र करते हुए कहा कि चीन ने उस समय से ही पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर यथास्थिति को आक्रामक तरीके से बदलने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के 50,000 से ज्यादा सैनिक एलएसी पर तैनात हैं और किसी भी एकतरफा कार्रवाई को रोकने के लिए उनके पास आधुनिक हथियार हैं।
चीन के उत्पादन मॉडल पर बात करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि यह गैर-लोकतांत्रिक है और अमेरिका और भारत को एक लोकतांत्रिक और स्वतंत्र समाज में उत्पादन का एक नया दृष्टिकोण पेश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम यह नहीं चाहते कि चीन जैसे काम करें। हम ऐसे माहौल में काम नहीं करना चाहते जो गैर-लोकतांत्रिक हो, जो उदार न हो। तो 21वीं सदी का असली सवाल यह है कि चीनियों ने उत्पादन का एक विजन टेबल पर रखा है। यह एक गैर-लोकतांत्रिक उत्पादन दृष्टि है। क्या संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत इसका जवाब एक लोकतांत्रिक मुक्त-समाज में उत्पादन के लिए एक दृष्टिकोण रखकर दे सकते हैं? और मुझे लगता है कि यहीं पर बहुत सारे जवाब निहित हैं।'
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