कोठी मीना बाजार में कैद नहीं रहे छत्रपति शिवाजी, इतिहासकार राजे का दावा
आगरा। आगरा के कोठी मीना बाजार में छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मारक बनाए जाने के लिए जहां महाराष्ट्र सरकार अपने कदम आगे बढ़ा चुकी है, वहीं आगरा के इतिहासकार राजकिशोर राजे ने स्मारक की जगह को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजे का कहना है कि जिस जगह (कोठी मीना बाजार) पर छत्रपति का स्मारक बनाने की बात हो रही है, वहां शिवाजी महाराज कभी बंदी नहीं रहे हैं और न ही यहह स्थान फ़िदाई खान का है।

तीन-तीन इतिहासकारों की पुस्तकों में इस कोठी का उल्लेख नहीं
इतिहासकार राजे ने अपने कथन की पुष्टि के लिए देश के ख्याति प्राप्त इतिहासकार यदुनाथ सरकार की 90 साल पुरानी पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि उनकी पुस्तक में कोठी मीना बाजार में छत्रपति शिवाजी को बंधक बनाकर रखने का कोई भी जिक्र नहीं है। उन्होंने दूसरे इतिहासकार सेतु माधव की पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने भी इस स्थल पर शिवाजी को कैद कर रखने का कोई भी उल्लेख नहीं किया है।
इतिहासकार राजे यहीं नहीं रुकते हैं। उन्होंने कहा कि इतिहासकार आशीर्वाद लाल श्रीवास्तव ने अपनी पुस्तक में जयपुर हाउस का तो जिक्र किया है पर उन्होंने भी कोठी मीना बाजार में छत्रपति शिवाजी को कैद कर रखे जाने का कोई उल्लेख नहीं किया है।
शमसुद्दौला की पुस्तक में इस कोठी की जिक्र नहीं
इतिहासकार राजे ने अपने दावे को और अधिक मजबूती देने के लिए 200 साल पहले नबाब शमसुद्दौला द्वारा लिखी किताब का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने अपनी पुस्तक में फिदाई खां की जीवनी लिखी है पर इस कोठी का कोई जिक्र नहीं किया है।
वह स्थल खोजें जहां छत्रपति शिवाजी कैद रहे
उन्होंने कहा कि आज जिस कोठी मीना बाजार में शिवाजी को कैद में रखे जाने का दावा किया जा रहा है, वह ग़लत है। उन्होंने कहा कि वह छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मारक बनाए जाने के विरोधी नहीं हैं पर वे चाहते हैं कि स्मारक उसी स्थान पर बनना चाहिए, जहां पर वे कैद कर रखे गये थे। उस स्थल को खोजे जाने की जरूरत है।
ब्रिटिश कालीन है कोठी मीना बाजार
इतिहासकार राजे का कहना है कि कि महाराष्ट्र सरकार जिस कोठी मीना बाजार पर छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मारक बनाने जा रही है, वह ब्रिटिश काल में बनाई गई बिल्डिंग है। 1833 से लेकर 1866 तक ब्रिटिश हुकूमत में आगरा प्रेसीडेंसी रहा। कोठी मीना बाजार को लेफ्टिनेंट गवर्नर के रहने के लिए बनवाया गया था।
इतिहासकार राजे ने दावा किया कि उन्होंने दो-तीन बार कोठी मीना बाजार का अवलोकन किया है। उसका निर्माण और डिजायन ब्रिटिश आर्किटेक्चर जैसा ही है। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि छत्रपति शिवाजी के स्मारक के लिए उस स्थान को खोजा जाए, जहां उन्हें कैद कर रखा गया था।