छठ पर्व: आज अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देंगी व्रती
आगरा। आज सूर्य षष्ठी है। छट पूजा के तहत आज के दिन सूर्य देवता की पूजा का विशेष महत्व है। यह व्रत पुत्र होने पर किया जाता है। इसे करने वाली स्त्रियां धन-धान्य ,पति-पुत्र तथा सुख समृद्धि से परिपूर्ण रहती हैं। चर्म रोग तथा आंखों की बीमारी से भी छुटकारा मिल जाता है। व्रती आज यमुना के घाटों पर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देंगी।
ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अरविंद मिश्र ने पूजन विधि के बारे में बताया कि इस व्रत में तीन दिन तक कठोर उपवास किया जाता है। इस व्रत को करने वाली स्त्री पंचमी के दिन एक बार बिना नमक का भोजन करती हैं और षष्ठी को बिना जल के रहती हैं।
षष्ठी को अस्त होते हुए सूर्य की विधि पूर्वक पूजा करके अर्घ्य दिया जाता है। विविध प्रकार के पकवान ,फल, मिष्ठान से सूर्य भगवान का भोग लगाया जाता है। रात्रि जागरण कर दूसरे दिन प्रातः स्त्रियां स्नान करके गीत गाती हैं और सूर्योदय होते ही अर्घ्य देकर जल ग्रहण करके व्रत संपन्न करती हैं।
ज्योतिषाचार्य मिश्र ने इस पर्व से संम्बधित कथा के बार में बताया कि प्राचीन काल में बिंदुसर तीर्थ में महीपाल नाम का एक वणिक रहता था । वह धर्म कर्म तथा देवता विरोधी था। एक बार उसने सूर्य भगवान की प्रतिमा के सामने होकर मल मूत्र त्याग किया। जिसके परिणाम स्वरुप उसकी दोनों आंखें जाती रहीं।
वह एक दिन अपने बुरे जीवन से ऊब कर गंगा जी में कूद कर प्राण देने का निश्चय कर चल पड़ा। रास्ते में उसे ऋषि राज नारद जी मिले और पूछा कहिए सेठ कहां जल्दी-जल्दी भागे जा रहे हो। अंधा सेठ रो पड़ा और सांसारिक सुख-दुख की प्रताड़ना से प्रताड़ित हो प्राण त्याग करने का इरादा बतलाया ।
मुनि दया से गदगद होकर बोले हे अज्ञानी तू प्राण त्याग कर मत मर! भगवान सूर्य के क्रोध से तुम्हें यह दुख भुगतना पड़ रहा है। तू कार्तिक मास की सूर्य षष्ठी का व्रत रख तेरा दुख दरिद्र मिट जाएगा। वणिक ने वैसा ही किया तथा सुख समृद्धि पूर्ण दिव्य ज्योति वाला हो गया।
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