मालगोदाम की सच्चाई बाहर ले ही आई सीईसी, रेलवे-बिल्डर की मिलीभगत उजागर

आगरा। गधापाड़ा स्थित रेलवे मालगोदाम परिसर से हरे पेड़ काटे जाने के मामले में सच्चाई को बाहर न आने देने के लिए लाख जतन किए गये, लेकिन सेंट्र्ल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) सच को बाहर ले ही आई। सीईसी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है, जिस पर आज ही सर्वोच्च अदालत सुनवाई करेगी। सीईसी की रिपोर्ट से रेलवे के अधिकारियों और गणपति बिल्डर की मिलीभगत भी उजागर हो गई है। अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट सीईसी की रिपोर्ट पर क्या रुख अपनाता है।

Jan 24, 2025 - 12:27
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मालगोदाम की सच्चाई बाहर ले ही आई सीईसी, रेलवे-बिल्डर की मिलीभगत उजागर
गधापाड़ा रेलवे मालगोदाम में उखाड़े पेड़ों की जड़ें।

-सुप्रीम कोर्ट में मालगोदाम के साथ ही डालमिया और माथुर फॊर्म हाउस की भी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में आज ही छटीकरा-वृंदावन मार्ग स्थित डालमिया फॊर्म हाउस से सैकड़ों पेड़ों को काटे जाने के मामले की भी सुनवाई होनी है। आगरा के दयालबाग स्थित माथुर फॊर्म हाउस से हरे पेड़ काटने का मामला भी आज ही सुनवाई के लिए नियत है। इन दोनों ही मामलों में उत्तर प्रदेश वन विभाग अपनी अनुपालन आख्या पहले ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर चुका है।

ये तीनों ही मामले ताज ट्रिपेजियम जोन के अंतर्गत आते हैं, जहां सर्वोच्च अदालत ने ही हरे पेड़ काटने पर रोक लगा रखी है। इन तीनों ही मामलों को आगरा के पर्यावरणविद डॊ. शरद गुप्ता सुप्रीम कोर्ट लेकर गए हैं। डालमिया और माथुर फॊर्म हाउस के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वन विभाग से तीन महीने के अंदर अनुपालन आख्या मांगी थी, जो वन विभाग प्रस्तुत कर चुका है।

सबसे ताजा मामला गधापाड़ा रेलवे मालगोदाम का है, जिसकी जांच सीईसी की दो सदस्यीय टीम ने आगरा आकर की थी। इससे पहले सीईसी इसी मामले को लेकर तीन बैठकें कर चुकी थी। आखिरी बैठक में मालगोदाम की जमीन को लीज पर लेने वाले गणपति बिल्डर को भी बुलाया गया था।

पूछने पर गणपति बिल्डर की ओर से साफ मना कर दिया गया था कि उन्होंने मालगोदाम से पेड़ नहीं काटे हैं। बिल्डर ने आशंका जताई थी कि आसपास के लोगों ने काट लिए होंगे। इस पर सीईसी की बैठक में बिल्डर को जेसीबी से पेड़ उखाड़े जाने का वीडियो दिखाकर कहा गया था कि क्या लोकल लोग जेसीबी लाकर पेड़ उखाड़ेंगे। 

अब जबकि सीईसी की रिपोर्ट सामने आ चुकी है, उसमें साफ-साफ कहा गया है कि मालगोदाम परिसर से हरे पेड़ों को नष्ट किए जाने के पीछे बिल्डर ही है। इसके लिए रेलवे के अधिकारियों को बराबर का दोषी बताया गया है। सीईसी ने माना है कि रेलवे अधिकारियों की शह के बगैर बिल्डर बगैर वैध कब्जे के मालगोदाम में नहीं घुस सकता।

सीईसी की रिपोर्ट से एक बात और साफ हुई कि मालगोदाम से 23 नहीं बल्कि 115 हरे पेड़ उजाड़े गए। प्रति पेड़ एक लाख रुपये जुर्माने के हिसाब से 115 पेड़ों के लिए 1.15 करोड़ जुर्माने की सिफारिश भी सीईसी ने की है। 

SP_Singh AURGURU Editor