सीईसी के कड़े रुख के बाद ही दर्ज हुआ मुकदमा, गधापाड़ा मालगोदाम से पेड़ काटने का मामला  

आगरा। लम्बी खींचतान के बाद अंततः रेलवे की ओर से गधापाड़ा मालगोदाम की जमीन से काटे गए हरे पेड़ों के मामले में मुकदमा दर्ज कराना ही पड़ा। रेल लैंड डवलेपमेंट अथॊरिटी डीआरएम डीआरएम ऒफिस एक-दूसरे पर रिपोर्ट की जिम्मेदारी डालकर खुद का पल्ला झाड़ रहे थे। सीईसी के सख्त रुख के बाद ही मुकदमा दर्ज हो सका है। इस मामले की सुनवाई के दौरान सीईसी ने साफ तौर पर कह दिया था कि आप (रेलवे) मुकदमा नहीं लिखाएंगे तो हम आप पर मुकदमा चलाएंगे।

Dec 21, 2024 - 12:43
Dec 21, 2024 - 12:44
 0
सीईसी के कड़े रुख के बाद ही दर्ज हुआ मुकदमा, गधापाड़ा मालगोदाम से पेड़ काटने का मामला   
मालगोदाम में जलाए गए पेड़ों की राख।

-सुनवाई के दौरान सीईसी ने रेलवे से स्पष्ट कह दिया था, आप मुकदमा नहीं कराएंगे तो हम आप पर मुकदमा करेंगे

 -सबसे बड़ा सवाल- रेलवे की शह नहीं थी तो मात्र आवंटन पर ही बिल्डर की मालगोदाम के अंदर एंट्री कैसे हो गई

 

सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी के दखल के बाद भले ही गणपति इन्फ्रास्ट्र्चर डेवलपमेंट कंपनी और गणपति लीजिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है, लेकिन इससे पेड़ों को काटे जाने के मामले में रेल लैंड डेवलपमेंट अथॊरिटी और स्थानीय डीआरएम ऒफिस की भूमिका को क्लीयरेंस नहीं मिल जाती। 

 

सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि रेल लैंड डेवलपमेंट अथॊरिटी ने केवल गणपति को जमीन का आवंटन ही तो किया था। भौतिक कब्जा तो नहीं दिया था। फिर गणपति बिल्डर की गधापाड़ा मालगोदाम के अंदर एंट्री कैसे हो गई। जाहिर है कि मालगोदाम पर गेट भी है। वहां आरपीएफ की भी तैनाती रहती है। फिर बिल्डर की मालगोदाम के अंदर एंट्री और हरे पेड़ों पर बेखौफ आरी कैसे चल सकती है जब तक कि इस में आरएलडीए और डीआरएम ऒफिस की शह न रही हो।

 

हैरानी की बात तो यह रही कि मालगोदाम की जमीन का महज आवंटन ही हुआ था और बिल्डर ने मालगोदाम की बाउंड्रीवाल के सहारे आवासीय प्रोजेक्ट के होर्डिंग भी लगवा दिए। हालांकि कानूनी शिकंजा कसते देख ये होर्डिंग अब वहां से हटवा लिए गए हैं।

 

मालगोदाम की जमीन के आवंटन के बाद ही उस पर ऒफिसियल तौर पर कब्जे के बगैर ही शहर के बीचोंबीच स्थित इस बड़े भूखंड से रातोंरात तमाम पेड़ काट दिए जाने का मामला तब चर्चाओं में आया जब स्थानीय पर्यावरणविद इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जा पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने दिल्ली में दो दिन सुनवाई के बाद एक टीम से गधापाड़ा मालगोदाम का मुआयना कराया।

 

सुनवाई के दौरान सीईसी ने आरएलडीए (रेल लैंड डेवलपमेंट अथॊरिटी) से पेड़ काटे जाने के मामले में पुलिस में मुकदमा दर्ज कराने को कहा था, लेकिन अथॊरिटी ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया था कि यह काम डीआरएम ऒफिस का है। अब डीआरएम के स्तर से ही रेलवे के एक इंजीनियर से थाना हरीपर्वत में यह मुकदमा लिखाया गया है।

 

सुनवाई के दौरान सीईसी के एक सदस्य सुनील लिमये तो गधापाड़ा मालगोदाम की जमीन से पेड़ साफ किए जाने को बहुत सख्त दिखे थे। पर्यावरणविद डॊ. शरद गुप्ता ने सीईसी की सुनवाई में इस बात पर जोर दिया था कि गधापाड़ा मालगोदाम की जमीन शहर के ही काम आनी चाहिए। यह जमीन शहर की ही है। ब्रिटिश काल में इसे मालगोदाम बनाने के लिए रेलवे को दिया गया था। डॊ. गुप्ता का कहना है कि जब यह जमीन रेलवे के उपयोग की नहीं रही है तो यहां सिटी फॊरेस्ट के साथ ही बच्चों के खेलने की जगह विकसित की जाए।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

SP_Singh AURGURU Editor