वन नेशन वन इलेक्शन को कैबिनेट की मंजूरी
नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने आज वन नेशन वन इलेक्शन पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसे लेकर अब देश में राजनीति गरमा चुकी है। कांग्रेस ने इसे मुद्दों से ध्यान भटकाने वाला फैसला बताया।
इस रिपोर्ट में पहले फेज में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने की बात कही गई।इसमें आगे यह सिफारिश की गई है कि लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ पूरा होने के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी कराए जाएं। समिति की सिफारिश में कहा गया कि पूरे देश में मतदाताओं के लिए एक ही मतदाता सूची होनी चाहिए। सभी के लिए एक जैसा वोटर कार्ड होना चाहिए।
केद्र सरकार वन नेशन वन इलेक्शन बिल को शीतकालीन सत्र में संसद से पास कराएगी, जिसके बाद यह कानून बन जाएगा। पूर्व राष्ट्रपति की अगुआई वाली समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर देश की 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था, जिसमें से उन्हें 32 पार्टियों का समर्थन मिला था। इसमें 15 पार्टियों ने वन नेशनल वन इलेक्शन का समर्थन नहीं किया तो वहीं 15 पार्टियों ने कोई जवाब नहीं दिया।
समिति ने भारत के निर्वाचन आयोग की ओर से राज्य निर्वाचन प्राधिकारियों से विचार-विमर्श कर एक साझा मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र बनाने की भी सिफारिश की। अभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी भारत के निर्वाचन आयोग की है, जबकि नगर निगमों और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराते हैं। समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं के मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी, जिन्हें संसद से पारित करने की जरूरत होगी।
पीएम मोदी कई मौकों पर एक देश एक चुनाव का समर्थन कर चुके हैं। पीएम ने कहा था, देश में सिर्फ तीन या चार महीने ही चुनाव होने चाहिए। पूरे साल राजनीति नहीं होनी चाहिए। एक साथ चुनाव कराने से देश का संसाधन बचेगा, वहीं पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से भी कहा था कि देश को एक राष्ट्र, एक चुनाव के लिए आगे आना होगा।
विधि आयोग सरकार के तीन स्तरों - लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर पालिकाओं और पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने और त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में एकता सरकार बनाने के प्रावधान की सिफारिश कर सकता है।
बीजेपी के कई दिग्गज नेता वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत कर चुके हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने कल कहा था कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करेगी। उन्होंने कहा था, ‘‘हमारी योजना इस सरकार के कार्यकाल के दौरान ही 'एक राष्ट्र, एक चुनाव की व्यवस्था लागू करने की है।
केद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की ब्रीफिंग करते हुए कहा कि देश में 1951 से 1967 तक एक साथ चुनाव होते थे। उन्होंने कहा, समाज के सभी वर्गों से राय मांगी गई। अगले कुछ महीनों में आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। समिति ने 191 दिन इस विषय पर काम किया। इस विषय पर समिति को 21 हजार 558 रिएक्शन मिले। इसमें से 80 फीसदी ने एक देश एक चुनाव का समर्थन किया।
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर अब देश में राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन की व्यवस्था व्यवहारिक नहीं है और बीजेपी चुनाव के समय इसके जरिये असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करती है। उन्होंने कहा कि एक देश एक चुनाव की व्यवस्था चलने वाली नहीं है।
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