यूपी की दस सीटों का उप चुनाव: योगी और अखिलेश की कुश्ती देखने लायक होगी

उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों के उप चुनाव में राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच का मुकाबला रोचक होने जा रहा है। इन दोनों प्रतिद्वंद्वी नेताओं के लिए यह चुनाव परीक्षा के समान है। अखिलेश यादव को साबित करना है कि वह भाजपा का विकल्प बन चुके हैं जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोशिश है कि वे यह सिद्ध कर दें कि समाजवादी पार्टी गलतफहमी का शिकार हो चुकी है।

Oct 15, 2024 - 14:09
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यूपी की दस सीटों का उप चुनाव: योगी और अखिलेश की कुश्ती देखने लायक होगी

एसपी सिंह 
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटों के उपचुनाव की दुंदुभी लगभग बज चुकी है। चुनाव आयोग के स्तर से तारीख का ऐलान होना बाकी है। सभी दलों ने चुनाव के लिए रणनीतियों को भी अंतिम रूप दे दिया है। यूपी में एक प्रकार से यह मिनी विधान सभा चुनाव होगा और यह राज्य के दो मुख्य प्रतिद्वंद्वियों, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए बोर्ड परीक्षा देने जैसा है।

बता दें जिन दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें से पांच सीटें समाजवादी पार्टी, तीन भाजपा और एक एक सीट आरएलडी तथा निषाद पार्टी के पास थीं। 

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर 80 में से 43 सीटें जीतने वाली सपा के हौसले बुलंद हैं। सपा नेतृत्व लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद से ही ऐसा व्यवहार कर रहा है मानो उसने भाजपा को जमीन पर ला दिया है। उधर भाजपा लोकसभा चुनाव के सपा को मिली सफलता को समुद्र के पानी की लहर की तरह देखती है जो अब उतर चुकी है। इसे भाजपा अपने अति आत्मविश्वास की वजह से कार्यकर्ताओं में आई शिथिलता से जोड़कर भी देखती है। 

राज्य में विधानसभा की दस सीटों के उप चुनाव यह तय करने जा रहे हैं कि सपा और भाजपा में से किसका सोच सही है। दोनों ही दलों के अंत:पुर में इन उपचुनाव को लेकर व्यापक तैयारियां चल रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दस में से ज्यादातर सीटों पर जीत हासिल कर यह साबित करना चाहते हैं कि सपा गलतफहमी थी, जबकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि जनता के बीच सपा की स्वीकार्यता भाजपा के मुकाबले कहीं ज्यादा हो चुकी है।

यूपी चुनाव से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबंधित विधानसभा सीटों का दौरा कर लिया है। यही नहीं, मुख्यमंत्री ने सभी दस सीटों पर तीन-तीन मंत्रियों की एक कमेटी बनाकर महीनों पहले ही एक्टिव कर दी थीं। खुद सीएम योगी और दोनों डिप्टी सीएम, प्रदेश भला अध्यक्ष और संगठन मंत्री को भी दो-दो विधानसभा सीटें जिताने की जिम्मेदारी मिली हुई है।

कांग्रेस को चौंका दिया सपा ने

दो दिन पहले समाजवादी पार्टी ने दस में से छह सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। सपा के इस कदम के बाद कांग्रेस को करारा झटका लगा,  क्योंकि कांग्रेस की ओर से दस में से पांच सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया जा रहा था। सपा के इकतरफा प्रत्याशी घोषित करने के फैसले को सपा नेतृत्व की नाराजगी से जोड़कर भी देखा जा रहा है। सपा द्वारा मध्य प्रदेश के बाद हाल ही में हरियाणा में हुए चुनाव में कुछ सीटों की मांग कांग्रेस से की गई थी, लेकिन कांग्रेस ने उसे ठेंगा दिखा दिया था। 

हालांकि अभी चार सीटें बची हुई हैं और माना जा रहा है कि सपा इनमें से कुछ सीटों को कांग्रेस के लिए छोड़ सकती है। इसकी वजह यह है कि सपा नहीं चाहती कि मुस्लिम मतों का बंटवारा हो। 

बसपा और आसपा भी होंगी मैदान में 

उत्तर प्रदेश की दस विधानसभा सीटों के उपचुनाव के मैदान में बहुजन समाज पार्टी के साथ ही दलितों के बीच तेजी से उभरती आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी भी दिखाई दे सकते हैं। बसपा तो बहुत पहले से ही उपचुनाव की तैयारी में जुट चुकी है। बसपा की ओर से प्रत्याशी भी तय कर लिए गए हैं। उपचुनाव के जरिए बसपा की कोशिश रहेगी कि वह यह साबित कर सके कि दलित वोट पर उसकी पकड़ पहले की तरह मजबूत है। उधर सांसद चंद्रशेखर आजाद भी अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारकर यह साबित करने की कोशिश करेंगे कि  दलितों की पार्टी अब आजाद समाज पार्टी है।

निषाद पार्टी बढ़ा रही भाजपा की टेंशन

इस उपचुनाव में भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी सत्ता पक्ष की टेंशन बढ़ा रही है। दरअसल निषाद पार्टी ने दस में से दो सीटों कटेहरी और मझवा पर अपनी दावेदारी प्रस्तुत की थी। इन दोनों ही सीटों पर 2022 के चुनाव में भाजपा से गठबंधन कर निषाद पार्टी ही लड़ी थी और मझवा सीट पर उसे जीत भी मिली थी। मझवा सीट भले ही निषाद पार्टी ने जीती थी, लेकिन वहां से जीते विनोद कुमार बिंद भाजपा के नेता थे और भाजपा ने उन्हें निषाद पार्टी का प्रत्यशी बनाकर मैदान में उतारा था। 

जबसे यह खबर सामने आई है कि भाजपा दस में से एक मीरापुर विधानसभा की सीट आरएलडी के लिए छोड़ेगी और शेष सभी सीटों पर खुद लड़ेगी, तभी से निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के तेवर बदले हुए हैं। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने संजय निषाद को समझाने की कोशिश भी की, लेकिन संजय निषाद इस मुद्दे पर अब सीधे अमित शाह से ही बात करना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने अमित शाह से समय भी मांगा है। 

भाजपा की कोशिश यह है कि इस उप चुनाव में मझवा की सीट निषाद पार्टी को दे दी जाए लेकिन पिछले फार्मूले की तरह ही प्रत्याशी भाजपा का ही कोई नेता हो। देखना यह है कि संजय निषाद इसके लिए तैयार होते हैं या नहीं। वैसे संजय निषाद यह भी कह चुके हैं कि वे कटेहरी सीट पर दावा छोड़ देंगे।

इन दस सीटों पर होना है उप चुनाव 

गाजियाबाद- भाजपा विधायक अतुल गर्ग के सांसद चुने जाने के बाद यह सीट रिक्त हुई है। 

खैर- अलीगढ़ जिले की यह विधानसभा सीट यहां के विधायक अनूप वाल्मीकि के हाथरस से सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है।

मीरापुर- यह विधानसभा सीट बिजनौर जिले का हिस्सा है और यहां के विधायक चंदन चौहान के बिजनौर सीट से एमपी बनने के बाद यहां उप चुनाव होना है।

करहल- समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव यहां से विधायक थे जो अब कन्नौज से सांसद चुन लिए गए हैं। उनके इस्तीफे के बाद यह सीट रिक्त घोषित हुई है।

कटेहरी- यह सीट सपा विधायक लालजी वर्मा के सांसद चुने जाने के बाद रिक्त घोषित की गई है। 

मिल्कीपुर- अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट यहां के विधायक अवधेश प्रसाद के फैजाबाद का सांसद चुने जाने के बाद रिक्त घोषित हुई है। 

सम्भल- इस सीट के सपा विधायक जिया उर रहमान वर्क मुरादाबाद के सांसद चुन लिए  गए हैं। इसलिए यहां उप चुनाव हो रहा है।

फूलपुर- पिछले चुनाव में यहां से भाजपा के प्रवीण पटेल विधायक चुने गए थे जो अब फूलपुर के एमपी चुन लिए गए हैं। उनके इस्तीफे के बाद यह सीट रिक्त हुई है। 

मझवा- पिछली बार निषाद पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए विनोद कुमार बिंद भदोही से भाजपा के एमपी चुन लिए गए हैं, इसीलिए यह सीट रिक्त घोषित हुई है। 

सीसामऊ- सपा विधायक इरफान सोलंकी को एक मामले में कोर्ट से सजा होने के बाद यह सीट रिक्त घोषित हुई है।

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SP_Singh AURGURU Editor