यमुना नदी में बल्देव रजवाह के जरिए 100 क्यूसेक गंगाजल और लाएं, तभी सुचारू होंगे आगरा के दोनों जलकल
आगरा। पूर्व मंत्री राजा अरिदमन सिंह ने कहा है कि आगरा महानगर और जनपद में चल रही जल किल्लत की मौजूदा स्थिति को वह एक बड़ी चुनौती मानते हैं। इसके समाधान के लिये तत्काल कार्यवाही के रूप में यमुना जल का प्रदूषण न्यूनतम कर पानी को मानव उपयोग हेतु शोधन उपयुक्त बनाये जाने के लिए अपर गंगा कैनाल सिस्टम बलदेव रजवाह के जरिए यमुना में 100 क्यूसेक गंगाजल और डाला जाए।
यह 100 क्यूसेक अतिरिक्त जल मांट ब्रांच के हरनाल एस्केप से डिस्चार्ज किए जाने वाले 150 क्यूसेक पानी में से गोकुल बैराज के डाउन में बल्देव रजवाह की टेल से निकली छिबरऊ माइनर /पचावर ड्रेन होकर आगरा तक लाया जा सकता है।
वे भदावर हाउस में सिविल सोसायटी आफ आगरा के एक प्रतिनिधिमंडल से जनपद में जलसंचय और उसके उपयोग पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि उनके लिये सबसे बड़ी चिंता यमुना नदी की बदहाल स्थिति है। इसकी स्थिति में सहजता के साथ सुधार किया जा सकता है, किंतु इसके लिए कड़े कदम उठाने पडेंगे। सीवर ट्रीटमेंट प्लांटो का उपयुक्त तरीके से संचालन किया जाये। अगर संभव हो तो मथुरा और आगरा के ड्रेनेज मास्टर प्लान का भी क्रियान्वयन हो, जिनमें सभी नालों को टैप करने का प्रावधान है।
गोकुल बैराज के डिस्चार्ज की हो निगरानी
राजा अरिदमन सिंह ने कहा कि गोकुल बैराज से आगरा के लिये 1200 क्यूसेक की नियत जलराशि के स्थान पर नाम मात्र का पानी ही डिस्चार्ज हो रहा पा रहा है, जिसके कारण यमुना नदी में पहुंचने वाली जलराशि बहुत ही कम हो गई है। साथ ही जल शोधन योग्य नहीं रह गया है। फलस्वरूप आगरा जलकल की सिकंदरा और जीवनी मंडी में कई प्लांटों का उपयोग बन्द हो चुका है। अब आगरा महानगर की जलापूर्ति केवल पाइप लाइन से मिलने वाले गंगाजल पर ही निर्भर रह गई है, जो आगरा महानगर की जरूरत के दृष्टिगत अपर्याप्त है।
आगरा को मिल रहा है 140 क्यूसेक से कम पानी
श्री सिंह ने कहा कि विभिन्न माध्यमों से जो फीडबैक उन्हें मिले हैं, उनके अनुसार पाइप लाइन से मिलने वाले 150 क्यूसेक गंगाजल में से 10 क्यूसेक मथुरा वृंदावन की पेयजल जरूरतों के लिये आवंटित है, किंतु मथुरा वाटर सप्लाई के लिए इससे कहीं अधिक गंगाजल का उपयोग किया जा रहा है, जिसके कारण आगरा को केवल 120 क्यूसेक गंगाजल ही मिल पा रहा है।
बल्देव रजवाह यमुना में छोडा जाये 100 क्यूसेक पानी
श्री सिंह ने कहा कि अगर आगरा को बल्देव रजवाह की छिबराऊ माईनर/ पचावर ड्रेन होकर 100 क्यूसेक गंगाजल मिलने लगे तो न केवल आगरा जलकल के शोधन तंत्र को पुनः:सुचारू किया जा सकेगा, साथ ही यमुना की मौजूदा बदहाल स्थिति में भी काफी सुधार हो जायेगा।
राजस्थान से अपने हक का पानी मांगें
पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा कि वह उप्र सरकार से अनुरोध करेंगे कि राजस्थान के सिंचाई विभाग के द्वारा उटंगन, खारी नदी, पार्वती नदी के यूपी सरकार की बिना सहमति के रोके गये पानी का प्रवाह पुन: सुचारू करवाने का प्रयास करें। ये सभी नदियां अंतर्राज्यीय नदियां है। ये विन्द्य पहाड़ी श्रृंखला से शुरू होकर अरावली पर्वत श्रंखला के बीच से होते हुए उटंगन नदी में मिलकर आगरा की फतेहाबाद तहसील में यमुना नदी में समाती हैं।
उटंगन नदी जनपद के भूजल रिचार्ज का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है।उन्होंने कहा कि उप्र सरकार से अनुरोध करने के साथ ही केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के समक्ष भी यह मुद्दा उठायेंगे।
भूजल की स्थिति में सुधार जरूरी
उन्होंने कहा कि सबसे बडी चिंता जनपद के गिरते जलस्तर की है। उटंगन नदी के रेहावली बांध योजना को वह उपयोगी मानते हैं। यह बांध राजस्थान से आने वाले पानी से कहीं अधिक यमुना के उटंगन नदी में पहुंचने वाले उफान को होल्ड करने पर आधारित है। यह जलराशि बांध का गेटिड स्ट्रक्चर होने से स्थानीय जरूरतों को दृष्टिगत रोके रखी जा सकती है। खेती किसानी की जरूरत के लिये इसे रैग्युलेट किया जा सकता है।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के प्रतिनिधि मंडल में सेक्रेटरी अनिल शर्मा के अलावा राजीव सक्सेना एवं असलम सलीमी साथ में थे।
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