आज तय होंगे भाजपा जिलाध्यक्ष, आगरा में वे 81 कौन, जिनकी छंटनी होगी
आगरा। भाजपा ने आगरा में संगठन के लिहाज से आगरा जिले को दो जिला इकाइयों में विभाजित कर रखा है। आगरा महानगर जिला और आगरा देहात जिला। दोनों ही जिलों में अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नामांकन हो चुके हैं। आगरा महानगर अध्य़क्ष का पद एक और नामांकन 38 हैं। इसी प्रकार जिलाध्यक्ष का एक पद और दावेदार 45 हैं। बहुत मुश्किल आने वाली है प्रदेश भाजपा नेतृत्व के सामने आगरा की दोनों इकाइयों के जिलाध्यक्ष तय करने में। आज लखनऊ में बृज क्षेत्र के जिलों के पैनलों पर चर्चा भी होने जा रही है।
-आज दो बजे से लखनऊ में होगी हर जिले के पैनल के नामों पर चर्चा
-आगरा में कुछ चेहरे इतने बड़े हैं कि उन्हें नकारना मुश्किल होगा
महानगर और जिला भाजपा के अध्यक्ष पद के कुल 83 दावेदारों में से 81 नामों की छंटनी करने के बाद ही किन्हीं दो को यह पद सौंपा जाएगा। नामों की छंटनी की प्रक्रिया जिला चुनाव अधिकारियों के स्तर से ही की जा रही है। छंटनी भी दो चरणों में होने वाली है। पहले चरण में जिला भाजपा के 25 नामांकन पत्रों को अलग कर दिया गया है। इसी प्रकार महानगर भाजपा के 20 से ज्यादा नामांकन छंटनी में आ चुके हैं।
शेष बचे नामांकनों में से तीन से पांच नामों के पैनल चुनाव अधिकारियों को तैयार करने हैं। चुनाव अधिकारी यह काम सांसदों, विधायकों, संगठन के प्रांतीय पदाधिकारियों से चर्चा करने के बाद कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि पैनल बनाने का काम भी लगभग पूरा हो चुका है क्योंकि दो बजे से लखनऊ में बृज क्षेत्र के जिलों के पैनलों पर विचार होना है। माना जा रहा है कि आज ही जिलाध्यक्षों के नाम तय हो जाएंगे। हालांकि अभी इसकी घोषणा नहीं हो पाएगी।
पहले भाजपा नेतृत्व ने संगठन चुनाव में अध्यक्ष पद के दावेदारों की भीड़ छांटने के लिए पहले चार प्रस्तावकों की अनिवार्यता कर दी थी। इसका विपरीत असर यह हुआ कि लोग वोटर मंडल अध्य़क्षों और जिला प्रतिनिधियों की पंचायतों के चुनाव की तरह घेरेबंदी करने लगे। इस कारण इस अनिवार्यता में ढील दी गई। वे नामांकन भी स्वीकार कर लिए गए जिनके से साथ प्रस्तावक नहीं थे।
प्रस्तावकों की अनिवार्यता समाप्त होते ही नामांकन करने वालों की बाढ़ सी आ गई। बहती गंगा में हाथ धोने की तर्ज पर बहुतेरों ने तो नामांकन यह सोचकर किया है कि जिलाध्यक्ष पद पर दावेदारी करेंगे तो जिलाध्यक्ष न सही, जिला कमेटी में कोई और पद तो मिल ही जाएगा।
इसके साथ ही महानगर और जिलाध्यक्ष पद पर दावेदारी करने वाले कुछ ऐसे चेहरे हैं, जिनकी दावेदारी नकारना प्रदेश नेतृत्व के लिए भी मुश्किल भरा काम हो सकता है। भारी भरकम चेहरों की खुद की पार्टी के प्रति लंबी सेवाएं तो हैं ही, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का हाथ भी उनकी पीठ पर है।
जिलाध्यक्ष पद के दावेदारों के अलावा पर्दे के पीछे बड़े नेताओं के बीच भी खींचतान चल रही है। सांसद हो या विधायक, सभी चाहते हैं कि जिलाध्यक्ष उनकी पसंद का बन जाए। ऐसे में देखना यह है कि किसकी लॊटरी लगती है।
जहां तक अध्यक्ष पद पर दावेदारी ठोक रहे नेताओं की बात है, वे इन दिनों वैसी ही भागदौड़ कर रहे हैं जैसी कि विधान सभा या लोकसभा चुनाव के लिए टिकटार्थी कर रहे हैं। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक जिलाध्यक्ष पद के दावेदारों की भागदौड़ चल रही है। कोई दावेदार कमी नहीं छोड़ना चाहता अपने प्रयासों में।
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