फूलपुर में सपा और भाजपा की नजर जातीय समीकरण पर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश उपचुनाव में सबकी नजरें फूलपुर विधानसभा सीट पर लगी हुई है। इस सीट का जातीय समीकरण ऐसा है कि ऊँट किस करवट बैठेगा, ये कहना काफी मुश्किल हो रहा है। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच हमेशा से ही जबरदस्त टक्कर रही है। यहां पर मुद्दों से ज्यादा जाति का गुणा भाग अहम हैं, जो चाल सही बैठी उसकी की नैया पार हो जाएगी।
फूलपुर में सपा और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। बीजेपी ने यहां पूर्व विधायक दीपक पटेल पर दांव लगाया है तो वहीं सपा ने तीन बार के विधायक रहे मुज्तबा सिद्दीकी जैसे अनुभवी नेता को मैदान में उतारा है। यहां बहुजन समाज पार्टी और चंद्रशेखर आजाद की आज़ाद समाज पार्टी भी चुनाव मैदान में हैं। हालांकि ये दोनों दल सपा-बीजेपी के वोट कटवा ही साबित होंगे।
फूलपुर विधानसभा सीट पर कुर्मी वोटर सबसे ज्यादा 70 हज़ार हैं, ऐसे में बीजेपी ने दीपक पटेल को टिकट देकर कुर्मी और सवर्ण वोटरों का समीकरण बनाने की कोशिश की है तो वहीं यादव वोटर भी निर्णायक भूमिका में हैं। यहां यादव मतदाता दूसरे नंबर पर हैं, जिनकी संख्या 65 हजार है। सपा ने यहां यादव और मुस्लिम समीकरण बनाकर एमवाई को साधने की कोशिश की है। ऐसे में दलित और अन्य पिछड़ी जातियों का झुकाव बहुत हद तक चुनाव के नतीजे तय करेगा।
2022 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो बीजेपी के प्रवीण पटेल ने सपा के मुज्तबा सिद्दीकी को सिर्फ 2700 वोटों से मात दी थी। प्रवीण अब सांसद बन चुके हैं, जिसके बाद बीजेपी ने दीपक पटेल को टिकट दिया है। लोकसभा चुनाव में भी सपा और बीजेपी के बीच जीत का अंतर 18 हजार ही रहा था। यानी इस सीट पर बीजेपी को सपा से कड़ी टक्कर मिलती आई है।
फूलपुर में कुल 4.07 लाख वोटर हैं। इनमें जातीय समीकरण के हिसाब से ओबीसी वोट काफी अहम हो जाते हैं। ख़ासतौर से पटेल और यादव मतदाता काफी हद तक चुनाव का रुख तय करते हैं। सपा की उम्मीद है कि वो पीडीए फॉर्मूले के दम पर दलित और पिछड़े समाज के वोटरों में सेंध लगाने में कामयाब रहेगी लेकिन, बसपा के मैदान में होने से ये समीकरण गड़बड़ा सकता है। जबकि बीजेपी ध्रुवीकरण के जरिए बंटेगे तो कटेंगे नारे के साथ अपना समीकरण दुरुस्त करने में लगी है।
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