पौधारोपण की अद्भुत प्रेरणा देता है भविष्य पुराण
आगरा। जब कोई श्रेष्ठ कार्य धर्म से जुड़ जाता है तब उसे करने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। प्रकृति के प्रति हमारे पूर्वजों के सम्मान की झांकी भविष्य पुराण में दिखती है, जहां भगवान सूर्य सुखी जीवन के लिए पौधारोपण की अनिवार्यता बताते हैं। किस स्थान पर, किस ऋतु में, कौन सा पौधा रोपें, इसका विस्तृत वर्णन भविष्य पुराण में मिलता है।
भविष्य पुराण कथा के चौथे दिन कथावाचक डॉ. दीपिका उपाध्याय ने वृक्षारोपण का महत्व बताया। गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन के तत्वावधान में श्रीगोपालजी धाम, दयालबाग में यह कथा चल रही है। आज की कथा में कथावाचक ने बड़े ही जीवनोपयोगी प्रसंग सुनाए। डा. दीपिका उपाध्याय ने कहा कि भविष्य पुराण में बताया गया है कि खेती या बगीचा लगाने से पहले भूमि परीक्षण किस प्रकार करें, जिससे फसल भरपूर हो। यही नहीं, मकान बनाने के लिए भूमि की परीक्षण विधि भी भविष्य पुराण में दी गई है।
कथावाचक ने भविष्य पुराण में वर्णित वास्तु लक्षणों के विषय में भी बताया। इसके अनंतर कथावाचक ने भविष्य पुराण में वर्णित कलिकाल की रोचक तथा अत्यंत रोमांचक कथा सुनाई कि किस प्रकार कलिकाल में धर्म तथा वेद पुराणों के ज्ञान का लोप होने लगता है तथा देव पूजा से लोग विमुख होने लगते हैं।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे लोग वेद पूजा से विमुख होते हैं वैसे-वैसे न केवल कलिकाल का प्रभाव पड़ता है बल्कि जीवन कठिनतर होता जाता है।
फाउंडेशन के निदेशक रवि शर्मा ने कहा कि 17 अक्टूबर को सूर्य सहस्त्रार्चन के साथ इस कथा का पूर्ण विश्राम होगा। इस अवसर पर ओपी शर्मा, दीपा लश्करी, मीनाक्षी श्रीवास्तव, कांता शर्मा, विनीता गौतम, पवित्रा, गुंजन, वरदान, निष्ठा समेत अन्य श्रोता उपस्थित रहे।
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