यूपी में बंटेंगे तो कटेंगे काम कर गया

उत्तर प्रदेश विधान सभा की नौ सीटों के उप चुनाव के नतीजे शनिवार को आ गए। चुनाव नतीजे भाजपा के लिए उत्साहजनक तो सपा के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हुए हैं। सपा ने अपनी वे दो सीटों को गंवा दिया है जिन पर सपा को हराने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था। सही मायने में यूपी का यह उप चुनाव भाजपा और सपा के बजाय सीएम योगी आदित्यनाथ और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच का चुनाव था।

Nov 23, 2024 - 21:20
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यूपी में बंटेंगे तो कटेंगे काम कर गया

 

-भाजपा ने वे दो सीटें छीन लीं, जहां से सपा की हार के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था

 

-यूपी की नौ सीटों का उप चुनाव भाजपा बनाम सपा से कहीं ज्यादा योगी बनाम अखिलेश था

 

एसपी सिंह

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान सभा की नौ सीटों के लिए हुए उप चुनाव के नतीजों ने महज छह माह के भीतर समाजवादी पार्टी को अहसास करा दिया है कि लोकसभा चुनाव में उसे मिली सफलता समुद्र की लहरों जैसी थी जो अब उतर चुकी हैं। इस उप चुनाव में भाजपा ने सपा से वे दो सीटें (कटेहरी और कुंदरकी) झटक ली हैं, जहां के सामाजिक समीकरण पूरी तरह सदैव सपा के पक्ष में रहे हैं। इस चुनाव में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वह नारा खूब चला जो उन्होंने आगरा की धरती पर दिया था। यह नारा था- बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो नेक रहेंगे। योगी का यह नारा हरियाणा के बाद महाराष्ट्र भी खूब चला।

 

यूपी में जिन नौ सीटों पर उप चुनाव हुए, उनमें से चार समाजवादी पार्टी के पास थीं। वैसे देखें तो मीरापुर सीट भी पिछले विधान सभा चुनाव में रालोद ने सपा के सहयोग से ही जीती थी। उप चुनाव में रालोद अब भाजपा के साथ थी और इस उप चुनाव में अपनी यह सीट बचाने में सफल रही है।

 

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद समाजवादी पार्टी नेतृत्व के हौसले बुलंदियों पर थे। कांग्रेस भी यूपी में उड़ान भरने लगी थी। लोकसभा चुनाव में इन दोनों दलों ने 43 सीटें जीतकर भाजपा को बहुत तगड़ा झटका दे दिया था। तब भाजपा नेताओं ने कहा था कि सपा और कांग्रेस मतदाताओं में यह भ्रम पैदा करने में सफल रहे कि भाजपा संविधान और आरक्षण को खत्म करना चाहती है।

 

विधान सभा की नौ सीटों के उप चुनाव में इस सच्चाई का परीक्षण होना था कि क्या वाकई समाजवादी पार्टी ने जनता के बीच अपनी जड़ें गहरी कर ली हैं और क्या वह 2027 में होने वाले चुनाव में खुद को भाजपा का विकल्प बना चुकी है। इस लिहाज से नौ सीटों का यह उप चुनाव सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए बेहद प्रतिष्ठा का चुनाव था। इन दोनों ही नेताओं ने उप चुनाव में अपने-अपने प्रत्याशियों के लिए मोर्चा संभाला और आज जब नतीजे आए तो समाजवादी पार्टी के लिए किसी बड़े सदमे से कम नहीं थे।

 

उप चुनाव में भाजपा गाजियाबाद, खैर, फूलपुर और मंझवा की सीट बनाए रखने में कामयाब रही तो उसके  सहयोगी दल रालोद ने भी मीरापुर सीट जीतने में कामयाबी हासिल की है। इसके साथ ही भाजपा ने सपा से कटेहरी और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट भी झटक ली। समाजवादी पार्टी मैनपुरी की करहल और कानपुर की सीसामऊ सीट से जीत तक सीमित रह गई।

 

कटेहरी और कुंदरकी की सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ रही हैं। इन दोनों सीटों पर मुस्लिम मतदाता ही इतने ज्यादा हैं कि यहां अब तक भाजपा की दाल नहीं गल पाती थी, लेकिन इस बार भाजपा ने इस तिलिस्म को तोड़ दिया है कि सपा को इन सीटों पर हराया नहीं जा सकता।

 

इन सभी नौ सीटों पर अखिलेश यादव ने धुआंधार प्रचार किया तो भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभाएं कीं। चुनाव से पहले ही योगी हर सीट का दौरा कर चुके थे। हर क्षेत्र के लिए तीन-तीन मंत्रियों की टीम भी लगा रखी थी। चुनाव प्रचार के दौरान हर सभा में सीएम योगी ने बंटेंगे तो कटेंगे का नारा दोहराया। लगता है कि यह नारा अपना काम कर गया।

 

यूपी के उप चुनाव में सभी नौ सीटों पर सपा ही लड़ी थी। उसने अपनी सहयोगी कांग्रेस के लिए गाजियाबाद और खैर सीट छोड़ी थी, जिन पर लड़ने के लिए कांग्रेस तैयार नहीं हुई। कांग्रेस की ओर से उप चुनाव में सपा को समर्थन घोषित किया गया था, लेकिन पूरे चुनाव में किसी भी सीट पर ऐसा नहीं लगा कि कांग्रेस के वर्कर सपा के लिए काम कर रहे हैं। विशुद्ध रूप से यह उप चुनाव भाजपा और सपा के बीच हुआ, जिसमें भाजपा ने सपा को असहनीय झटका दे दिया है।

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SP_Singh AURGURU Editor