लखनऊ के एक मंदिर में बाहर के प्रसाद पर लगाया प्रतिबंध, आगरा- मथुरा में भी खलबली

आगरा। आन्ध्र प्रदेश में स्थित तिरूपति बालाजी मंदिर में महाप्रसादम के रूप में मिलने वाले लड्डू के निर्माण में प्रयुक्त घी में जानवरों की चर्बी मिले होने की खबर से देशभर में हाहाकार मचा हुआ है।

Sep 23, 2024 - 10:25
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लखनऊ के एक मंदिर में बाहर के प्रसाद पर लगाया प्रतिबंध, आगरा- मथुरा में भी खलबली

प्रसाद के रूप में मिलावटी खाद्य सामग्री की आशंका के चलते अब कुछ मंदिरों में बाहर निर्मित खाद्य सामग्री का भोग लगाने पर रोक लगाने पर विचार शुरू कर दिया है। लखनऊ के प्रसिद्ध मनकामेश्वर मंदिर के प्रबंधन ने भक्तों से लिखित अनुरोध किया है कि वे घर में निर्मित खाद्य सामग्री का ही भोग लगाएँ। या फिर सूखे मेवे का। प्रबंधन ने तिरूपति मंदिर की घटना का हवाला देते हुए बाज़ार से लाए गए भोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इधर वृंदावन-मथुरा में मंदिरों के बाहर बिकने वाले प्रसाद में मिलावट की आशंका के चलते सेवायतों ने जाँच की माँग उठाई। इसके बाद डीएम शैलेंद्र सिंह के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा विभाग ने रविवार को वृंदावन में बिहारी जी, मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि और गोवर्धन में गिरिराज जी मंदिर के बाहर बिकने वाले प्रसाद के नमूने भरे। 
गत वर्ष भी विभाग ने मंदिरों के बाहर बिकने वाले प्रसाद के नमूने लिए थे। जाँच में 30 फ़ीसदी नमूने फ़ेल निकले थे। तिरूपति मंदिर की घटना से हिन्दू मतावलम्बी स्तब्ध हैं।
आगरा के प्रसिद्ध रावली महादेव मंदिर के पुजारी पंडित अभिषेक कृष्ण पाराशर ने भक्तों का आव्हान किया है कि वे अपनी पुरानी परम्परा पर लौटें। बाज़ार से भोग खरीदने के वजाए घर पर अपने हाथों से निकाले शुद्ध घी से निर्मित सामग्री का ही भोग लगाएँ। उसी घी से भोले बाबा का दीपक प्रज्वलित करें।
उन्होंने कहा कि आज भी पुराने भक्त घर पर दूध से निकली मलाई से घी निकालकर बाबा के लिए प्रसाद तैयार कर लाते हैं। साथ ही घर के देशी घी का बाबा के सामने दीपक प्रज्वलित करते हैं। गुरू अभिषेक ने सनातनियों का आव्हान किया है कि वे 
अपने पूर्वजों के संस्कारों की पहल करें।अपने संस्कारों को पुने जाग्रत करें। 

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