भारी उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है बहुजन समाज पार्टी
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी इन दिनों उथल-पुथल भरे दौर से गुजर रही है। बड़े-बड़े नेता एक-एक कर पार्टी से या तो बाहर चले गए अथवा बाहर निकाल दिए गए। कल आकाश आनंद पर दूसरी बार गाज गिरी थी जब मायावती ने उन्हें अपने उत्तराधिकारी के साथ ही नेशनल कोआर्डिनेटर पद से हटाया था। इसी कड़ी में आज तीसरी बार गाज गिराई गई जब आकाश आनंद को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
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-आकाश आनंद से उत्तराधिकार छीनने के साथ पार्टी से बाहर निकालने का मतलब है कि मायावती को अब किसी पर भरोसा नहीं रहा
मायावती ने बीते कल बसपा की एक बैठक में देश भर से आए प्रतिनिधियों की मौजूदगी में आकाश आनंद को नेशनल कोआर्डिनेटर पद से हटाते हुए अपने उत्तराधिकार से भी वंचित करने की घोषणा की थी। यही नहीं, मायावती ने यहां तक कह दिया कि अब उनके जीते जी पार्टी में कोई उनका उत्तराधिकारी नहीं होगा। इस बड़े एक्शन के साथ मायावती ने यह भी कहा कि अब पार्टी का काम आनंद कुमार (आकाश आनंद के पिता और मायावती के भाई) देखेंगे। इस प्रकार मायावती ने जहां भतीजे पर गाज गिराई वहीं अपने भाई पर भरोसा जताया।
बहुजन समाज पार्टी कैडर आधारित पार्टी है। पार्टी कैडर पर मायावती की पकड़ बरकरार है। इसीलिए तो पहले आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर करने और अब आकाश आनंद को जिम्मेदारियों से मुक्त करने तथा पार्टी से बाहर निकालने पर कहीं से भी विरोध का एक स्वर तक नहीं उठा है।
बसपा सुप्रीमो ने कल आकाश आनंद को हटाने की जो वजहें बताईं, उससे यह भी संकेत मिलता है कि परिवार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। मायावती ने कहा था कि अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकालने का असर उनकी बेटी पर होगा और उनकी बेटी के जरिए आकाश आनंद भी प्रभावित होंगे।
एक समय था जब बसपा में जनाधार वाले नेताओं की भऱमार थी। बाबू सिंह कुशवाह, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामअचल राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य समेत तमाम बड़े नेता इस समय बसपा से बाहर हैं, जो कभी बसपा में बड़ा कद रखते थे। बसपा में द्वितीय पंक्ति का नेतृत्व उभारने के लिए ही मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद को आगे लाई थीं।
उन्हें अपना उत्तराधिकारी तो घोषित किया ही, पार्टी का नेशनल कोआर्डिनेटर भी बनाया था। आठ महीने पहले लोकसभा चुनाव के दौरान आकाश आनंद के चुनावी सभा में बेपटरी होने पर मायावती ने तब भी उन्हें नेशनल कोआर्डिनेटर पद से हटा दिया था, लेकिन डेढ़ महीने बाद ही उनका पद लौटा दिया था।
आकाश आनंद पर अब जो गाज गिरी है, उसकी पृष्ठभूमि में उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ हैं, जिनसे मायावती बहुत खफा चल रही हैं। मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकालते समय कहा था कि इन्होंने पार्टी को गुटबाजी में फंसाकर मूवमेंट को बहुत नुकसान पहुंचाया है। कल आकाश आनंद को पदमुक्त करने और आज पार्टी से बाहर करते समय भी मायावती ने इस बात को दोहराया है कि अशोक आनंद अपने ससुर के प्रभाव में थे।
मायावती के अब तक के बड़े फैसलों से एक बात तो साफ है कि कड़ा कदम उठाते समय उन्हें इस बात की चिंता नहीं होती कि फलां नेता के पार्टी में न रहने से पार्टी को कोई नुकसान हो सकता है। इसकी वजह यह है कि पार्टी का बेस दलित वोट बैंक उनके पीछे खड़ा है। किसी और नेता के पास ऐसा जनाधार नहीं है।
अपने समधी अशोक सिद्धार्थ (आकाश आनंद) को पार्टी से बाहर करते समय मायावती ने रिश्तों की भी परवाह नहीं की। इसका जिक्र उन्होंने कल किया भी था और कहा था यह उन्होंने कांशीराम से सीखा है जो पार्टी को नुकसान पहुंचाने वालों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया करते थे।
मायावती के कल के कथन से एक संकेत और मिल रहा है कि उन्हें कहीं न कहीं यह आभास होने लगा था कि अपने दामाद आकाश आनंद के जरिए अशोक सिद्धार्थ पार्टी पर कब्जा करते जा रहे हैं और पार्टी में अपना दखल बढ़ा रहे हैं और यह मायावती को बर्दाश्त नहीं।