हफ्ते भर में सिमट गया बटेश्वर का पशु मेला
बाह। उत्तर भारत का प्राचीन और प्रसिद्ध बटेश्वर पशु मेला एक सप्ताह भी ढंग से नहीं चल पाया। वजह रही मेला स्थल पर व्याप्त अव्यवस्थाएं। चार सौ साल पुराना पशु मेला इस बार चार साल बाद लगा था। कोरोना काल में स्थगित मेला इस वर्ष आयोजित हुआ, लेकिन जिला पंचायत कोई ऐसा आकर्षण नहीं पैदा कर पाई कि पशु व्यापारी पूरे दो सप्ताह तक मेले को चलाते।
- अव्यवस्थाओं के अंबार लगा रहा, व्यापारियों का मन उचट गया
बीते 400 वर्षों से अधिक प्राचीन समय से बटेश्वर के पशु मेले के लिए सरकार की ओर से भी धनराशि मिलती है, लेकिन फिर भी मेले में पहले जैसा उत्साह और चहल-पहल नहीं दिखी। 29 अक्टूबर को मेले का उद्घाटन हुआ था। 30 अक्टूबर से पशुओं के रजिस्ट्रेशन शुरू हुए थे और आज पांच नवंबर आते-आते मेला लगभग सिमट चुका है। बता दें कि यह मेला दो सप्ताह चलता है।
पशु मेले में पहले की तरह इस बार भी राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और बिहार आदि राज्यों के पशु व्यापारी पहुंचे, लेकिन अव्यस्थाएं इस कदर हावी रहीं कि सप्ताह भर में ही घोड़ा और ऊंट खच्चर बाजार सिमट गया। शुरू होने के बाद से ही यहां पहुंचे व्यापारी मेले में बिजली पानी एवं साफ सफाई को लेकर शिकायत करते रहे।
यही हाल रहा तो आने वाले सालों में पशु मेला ही संकट में आ जाएगा। पहले घोड़ा व्यापारियों में उत्साह बढ़ाने के लिए मले में हॉर्स शो और ऊंट दौड़ और अन्य प्रतियोगिताएं कराई जाती थीं, जो अब पूरी तरह से बंद हो चुकी हैं। व्यापारियों को आकर्षित करने के लिए प्रचार प्रसार भी नहीं होता।
स्थिति यह थी कि विगत दिवस ही मेले से ज्यादातर पशु व्यापारी अपने घोड़ा, ऊंट और खच्चर को लेकर जा चुके थे। आज भी कुछ व्यापारी चले गए। एक-दो दिन में मेले के नाम पर जिला पंचायत के कर्मचारी ही नजर आएंगे।
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