अटल जी थे ही ऐसे कि यादें भुलाए नहीं भूलतीं  

आगरा। पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर आज उन्हें देश भर में याद किया जा रहा है। अटल जी का आगरा से गहरा नाता रहा है। आगरा का बटेश्वर उनका पैतृक गांव है। उनकी एक बहन कमला दीक्षित आगरा में ही रहती थीं। पैतृक और पारिवारिक रिश्तों के चलते ही वे आगरा अनेकों बार आए। उनकी हर यात्रा से जुड़ी कोई न कोई रोचक याद है, जिसे उन्हें नजदीक से जानने वाले आज याद कर रहे हैं।

Dec 25, 2024 - 17:08
Dec 25, 2024 - 17:43
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अटल जी थे ही ऐसे कि यादें भुलाए नहीं भूलतीं   

हे गिलास तुम रात को कहां चले गए थे

अटल बिहारी वाजपेयी अपनी बात हास्य परिहास के साथ इस अंदाज में कहते थे कि लोग उनके कायल हो जाते थे। एक घटना आगरा से ही जुड़ी हुई है। अटल जी आगरा के सर्किट हाउस में रात्रि प्रवास कर रहे थे। उन्हें सोने से पहले दूध पीने की आदत थी। उन्होंने सर्किट हाउस के कर्मचारी से दूध मांगा। कर्मचारी कांच के एक छोटे से गिलास, जिसमें बमुश्किल 150 मिलीलीटर दूध था, रख गया। अटल जी ने दूध पीया और सो गए।

 

सुबह अटल जी ने पानी मांगा। सर्किट हाउस का कर्मचारी एक गिलास में पानी लेकर आया। यह गिलास बड़े साइज का था। पानी के इस गिलास को देखकर अटल जी बोले, हे गिलास रात को तुम कहां चले गए थे। अटल जी की यह बात सुनकर वहां मौजूद लोग ठहाका लगाने लगे। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए अटल जी बोले, जिस गिलास में दूध आना चाहिए था, उसमें पानी आया है और जिसमें पानी आना चाहिए था, उसमें दूध।


मैं विदेश मंत्री हूं
, प्रधानमंत्री नहीं

बात उस समय की है, जब अटल जी विदेश मंत्री हुआ करते थे। वे आगरा में कीठम (सूर सरोवर पक्षी विहार) में आए हुए थे। मैं भी उस समय वहां मौजूद था। मौका मिला तो मैंने अटल जी से कहा, अब तो आप मंत्री बन गए हैं। धारा 370 समाप्त कर हमारा कश्मीर का सपना पूरा कर दीजिए। इस पर हाजिर जवाब अटल जी बोले, मैं भारत का विदेश मंत्री हूं, प्रधानमंत्री नहीं।

 

अटल जी के साथ इसके साथ ही बहुत सारी यादें जुड़ी हुई हैं। आगरा में वे जब भी आए, उनका आशीर्वाद मिला। उत्तर प्रदेश भाजपा के महामंत्री (संगठन) का दायित्व निभाते हुए उनकी अनेकों जनसभाओं के संचालन का मौका मिला। पुण्यतिथि पर अटल जी को मेरी भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

-केशो मेहरा, पूर्व विधायक एवं पूर्व महामंत्री (संगठन) भाजपा, उत्तर प्रदेश।

 

राज्यसभा की कार्यवाही देख अटल जी बहुत याद आ रहे

आज जयंती पर अटल जी की याद उनकी संसदीय मर्यादाओं को लेकर आ रही है। मैं छोटेपन से ही उनके भाषणों को सुनता रहा। अटल जी की कोई सभा नहीं छोड़ी। अभी भी उनके पुराने भाषणों के वीडियो सुनता हूं। मैंने उन्हें संसद में विपक्ष के नेता के साथ ही प्रधानमंत्री के रूप में भी सुना। विपक्ष में रहते हुए प्रधानमंत्रियों की जमकर आलोचना करते थे, लेकिन उनकी शैली ऐसी होती थी कि तब के प्रधानमंत्री भी मुस्कराते थे। ऐसा था अटल जी के समय का दौर। आज मैं स्वयं संसद में हूं। अभी हाल ही में शीतकालीन सत्र में विपक्ष के नेताओं के भाषणों के दौरान उनकी अमर्यादित भाषा सुन-सुन कर मुझे बार-बार अटल जी याद आते रहे।

-नवीन जैन, सांसद, राज्यसभा।

 

तब मैं हैरान था अटल जी को देखकर

मैंने तो बचपन से ही अटल जी के भाषण सुने थे। मुझे याद है जब मैं छोटा था, तब अटल जी सुभाष पार्क (उस समय का नाम बेगड़ बाग) में जनसभाएं करने आया करते थे। हमारे घर के पास ही था। हम बड़े उत्साह से उनकी सभाएं सुनने जाया करते थे। मुझे अटल जी के बहुत नजदीक रहने का मौका तब मिला जब वे रामलीला मैदान में जनसभा करने आए थे। मैं उस समय युवा मोर्चा का शहर अध्य़क्ष था और अटल जी की सुरक्षा का दायित्व मुझे और मेरी टीम को दिया गया था।

 

इसके अलावा 2001 में आगरा के शास्त्रीपुरम में हुए भारतीय जनता मोर्चा के राष्ट्रीय अधिवेशन में भी अटल जी का सानिध्य मिला। युवा मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ अटल जी बैठे थे। मैं उस समय मोर्चा का महानगर महामंत्री था। तब मैं अटल जी को देखकर हैरान था कि वे भारत के प्रधानमंत्री हैं और आम कार्यकर्ताओं से कितनी सहजता से मिल रहे हैं। यह उनकी महानता थी।

-विजय शिवहरे, विधान परिषद सदस्य एवं प्रदेश मंत्री

भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश।

 

आगरा की बेड़ई, परांठों से लेकर समौसों के शौकीन थे

अटल जी आगरा में रामबाबू के परांठे और सुबह के नाश्ते में खाई जाने वाली बेड़ई के बहुत शौकीन थे। जब भी आगरा आते, बेलनगंज के रामा गुरु की तेल की बेड़ई से ही सुबह का नाश्ता करते थे। रामबाबू के परांठे तो उन्हें इतने भाते थे कि देश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर संसद में हुए भोज में उन्होंने आगरा से रामबाबू परांठे की स्टॊल भी वहां लगवाई थी। आगरा में भारत-पाकिस्तान की शिखर वार्ता के समय भी अटल जी ने होटल के खाने को दरकिनार कर रामबाबू के परांठे मंगाकर खाए थे। इसके साथ ही देवीराम के समोसे भी अटल जी को बहुत पसंद थे। अटल जी को यह मालूम था कि आगरा में किस जगह की चाट अच्छी है। कभी-कभी वे जब अपनी बहन कमला दीक्षित के घर आते थे, तो परिवारीजनों को साथ लेकर चाट खाने के लिए हरीपर्वत एरिया में आ जाया करते थे।

-पुरुषोत्तम खंडेलवाल, विधायक, आगरा उत्तर।

 

अंतिम दर्शन आज भी मेरे जेहन में हैं

मैं बहुत सौभाग्यशाली रहा कि मैं श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम यात्रा में शामिल हो सका। उनके अंतिम दर्शन आज भी जेहन में हैं। इसके अलावा अटल जी से जुड़ी एक और ऐसी याद है, जिसे मैं कभी नहीं भूलता। 1988 में पार्टी का अधिवेशन आगरा में हुआ था। अधिवेशन स्थल पर अटल जी के लिए बने वीआईपी कक्ष के बाहर मेरी ड्यूटी थी। एक दिन मैंने अटल जी से खाने के बारे में पूछा। वे बोले, उबले हुए परवल लेकर आओ। केवल नमक डालकर। मैंने उबले परवल लाकर दिए और अटल जी ने भोजन में वही ग्रहण किया।

 

अटल जी के जीवन से जुड़ी एक और याद है जो मुझे आज भी खुशी देती है। 1988 में पार्टी के अधिवेशन के दौरान अटल जी और आडवाणी जी की शोभायात्रा निकली थी। इस शोभायात्रा में घटिया आजम खां से लेकर बेलनगंज चौराहे तक की जिम्मेदारी मेरे ऊपर थी। मैंने मार्ग के इस हिस्से को बहुत आकर्षक ढंग से सजवाया था। इसी मार्ग पर मेरी दुकान भी है। अपनी दुकान पर मैंने स्वागत की कुछ अतिरिक्त ही व्यवस्थाएं कर रखी थीं। मेरी दुकान के सामने हुए स्वागत से दोनों नेता बहुत खुश थे।

1984 के लोकसभा चुनाव की बात है। अटल जी पर उन दिनों गुजरात के मेहसाणा में हमला हुआ था। उनकी बांहों पर प्लास्टर था। इसके बाद भी वे तब आगरा में भाजपा प्रत्याशी भगवान शंकर रावत के लिए वोट मांगने आगरा आए थे। बिजलीघर चौराहे पर उनकी सभा थी। चोट के कारण उन्हें चलने में भी दिक्कत हो रही थी। गाड़ी से उतरते ही मैंने अपने कंधों का सहारा अटल जी को दिया और मंच तक ले गया। यह मेरे लिए कभी न भूलने वाला पल था। 

-प्रमोद गुप्ता, महामंत्री, वरिष्ठ नेता एवं पूर्व शहर अध्य़क्ष भाजपा आगरा। 

 

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