तेहि क्षण राम मध्य धनु तोड़ा, भरै भुवन धुन घोर कठोरा...  

आगरा। सीता धाम (कोठी मीना बाजार मैदान) में श्रीराम कथा के तीसरे दिन सीता स्वयंवर की कथा के दौरान कथा पंडाल सियाराम के उद्घघोष से गुंजायमान हो उठा। जनकपुरी में बधाईयां गूंजने लगीं। आकाश से देवताओं द्वारा पुष्प वर्षा होने लगी। भक्ति का ऐसा माहौल जहां श्रद्धा में डूबा हर भक्त नाचता गाना नजर रहा था।

Dec 17, 2024 - 18:28
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तेहि क्षण राम मध्य धनु तोड़ा, भरै भुवन धुन घोर कठोरा...   
मंगलमय परिवार द्वारा सीता धाम (कोठी मीना बाजार मैदान) पर श्रीराम कथा के तीसरे दिन सीता स्वयंवर की कथा के दौरान भक्ति भाव में डूबे श्रोता। दूसरे चित्र में संत विजय कौशल महाराज।  

-श्रीकथा में तीसरे दिन संत विजय कौशल महाराज ने सियाराम के विवाह, अहिल्या उद्धार की कथा का किया वर्णन

मंगलमय परिवार द्वारा आयोजित श्रीराम कथा में मंगलवार को संत विजय कौशल महाराज ने सीता स्वयंवर, अहिल्या उद्धार की कथा सुनाई। सीता स्वयंवर की कथा के दौरान श्रीराम ने जैसे ही शिवजी का धनुष उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाई, मन ही मन महेश और भवानी का आराधना कर रहीं वैदेही प्रसन्नचित हो उठीं। कथा पंडाल में मौजूद भक्तजन सियाराम की जय-जयकार करने लगे।

 

संत श्री विजय कौशल ने उपवन में सीता के गौरी पूजन व श्रीराम के गुरु वंदन के लिए पुष्प चुनने की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि गुरु केवल शरीरधारी मनुष्य नहीं, गुणों का पुंज है। गुरु का अर्थ ज्ञान, गरिमा, गम्भीरता, चरित्र, मर्यादा, धर्म, सील, सत्कर्म, सद्विचार है। गौरी का अर्थ शिवजी की पत्नी नहीं, बल्कि ज्ञान, गरिमा, गम्भीरता, ममता, त्याग, तपस्या, सहनशीलता है।

 

महाराजश्री ने कहा कि सबसे मूल्यवान उम्र किशोर अवस्था होती है। इसी में बच्चे बनते और बिगड़ते हैं। किशोर अवस्था में जिसके बेटी और बेटी सध गए, दुनिया में आप धड़ल्ले से घूमने जा सकते हो। यदि फिसल गए तो ब्रह्मा भी उन्हें सुधार नहीं सकता।

 

अहिल्या उद्धार की कथा के माध्यम से संतश्री ने कहा कि अहिल्या बुद्धि की प्रतीक थीं। बुद्धि कभी भी भ्रमित हो सकती है। अनजाने में पाप करना अपराध नहीं, परन्तु उसे बार-बार दोहराना अपराध की श्रेणी में आ जाता है। अहिल्या से अपराध हुआ, परन्तु उन्होंने उसे स्वीकारा और उनके उद्धार के लिए भगवान को आना पड़ा। उन्होंने कहा कि ऋषि पत्नी को चरण लगाने का पाप करने का प्रक्षालन श्रीराम ने गंगा स्नान कर किया।

 

संतश्री ने गंगा मैया की महिमा की कथा का भी वर्णन किया। आरती के उपरान्त कथा ने विराम लिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से राकेश अग्रवाल, घनश्यामदास अग्रवाल, महावीर मंगल, प्रशान्त मित्तल, निखिल गर्ग, अखिल मोहन, विजय बंसल, जितेन्द्र गोयल, सौरभ सिंघल, रूपकिशोर अग्रवाल, मुकेश नेचुरल, रवि मेघदूत, डिम्पल अग्रवाल, वंदना गोयल, रितु अग्रवाल, पूजा भोजवानी, सुनीता ग्रवाल, सुनीता फतेहपुरिया, नीलू अग्रवाल, प्रतिबा जिन्दल आदि उपस्थित रहे।

 

पत्ती वाली सब्जियां, मौसमी फल और कंद आहार में शामिल कीजिए

आगरा। करहि आहार शाक, फल, कंदा..., दोहे के माध्यम से संतश्री विजय कौशल महाराज ने श्रद्धालुओं को स्वस्थ और निरोगी जीवन जीने का ज्ञान दिया। कहा कि पत्ती वाली सब्जियां, पेट को शुद्ध रखती हैं। फल मन को शुद्ध करते हैं। इसीलिए व्रत में फलाहार किया जाता है। कंद खाने से बुद्धि शुद्ध होती है। इन तीनों को अपने भोजन में शामिल करिए।

 

उन्होंने कहा कि आजकल लोग अपनी ठसक के कारण सर्दियों में तरबूज और आम व गर्मियों सर्दी के मौसम के फलों का स्वाद ले रहे हैं। मौसमी और अपने प्रदेश के फल, सब्जी का प्रयोग करें।

 

माता-पिता के रूप में घर में विराजमान हैं भगवान

आगरा। संत विजय कौशल महाराज ने कहा कि श्रीराम ने अपने चरित्र से और श्रीकृष्ण ने अपनी वाणी (गीता के रूप में) समाज को चरित्र ज्ञान दिया। श्रीराम ने जो व्यवहार अपने भाई, बंधुओं, माता-पिता यहां तक कि दुश्मनों के साथ किया, वह चरित्र मनुष्य यदि अपने जीवन में धारण कर ले तो घर में स्वतः ही रामराज्य की सुगंध आने लगेगी।

 

संतश्री ने कहा कि श्रीराम प्रातः उठकर सबसे पहले अपने माता-पिता व फिर गुरु के चरण स्पर्श करते थे। आशीर्वाद की गंगा माता-पिता के चरणों में बहती है। मधुर वाणी, व्यवहार से माता पिता के हृदय को प्रसन्न कर दिया तो ऐसे व्यक्ति को मंदिर जाने की भी जरूरत नहीं। जीते जागते मंदिर के भगवान माता-पिता के रूप में घर में विराजमान हैं।

 

उन्होंने कहा कि अपने बूढ़े माता के साथ कुछ समय अवश्य बिताएं। उन्हें दवा की जरूरत कभी नहीं होगी। मां, महात्मा और परमात्मा, तीन तत्व ऐसे हैं जो सिर्फ आशीर्वाद देना जानते हैं, परन्तु जब कोई जवान बेटा अपनी पत्नी और बच्चों के सामने माता-पिता को फटकारता है तो मां को भरी आंखों से प्रसव पीड़ा याद आ जाती है। शास्त्रों के अनुसार यह पीड़ा एक हजार बिच्छुओं के समान डंक मारने वाली होती है। मां की मृत्यु के बाद अभागा हो जाता है बच्चा। भाग्यवान लोगों की मां की उम्र अधिक होती है।

 

दुनिया के टारगेट पर भारत का भोजन, भेष और भाषा

आगरा। संत विजय कौशल महाराज ने कहा कि भारत की किशोर अवस्था को सारी दुनिया नष्ट करने पर तुली है। बिना युद्ध किए किसी समाज और संस्कृति को नष्ट करना हो तो भोजन, भेष और भाषा को बिगाड़ने से वह समाज और संस्कृति नष्ट हो जाएगी। आज तीनों तरह का आक्रमण भारत पर हो रहा है। विश्व का टारगेट भारत है। आज कोई रसोई का भोजन नहीं करना चाहता। कोई हिन्दी नहीं बोलना चाहता। भेष विकृत हो गया है। भेष और भाषा का संस्कारों व आत्मा पर प्रभाव होता है।

 

 

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SP_Singh AURGURU Editor