70 फुट ऊंचा कंस का पुतला जलते ही लगने लगे श्रीकृष्ण के जयकारे 

आगरा। कंस का बन कर काल जन्मे मदन गोपाल, करने जग का उद्धार लिए विष्णु जी अवतार…द्वापर के समस्त आतातायियों का काल बनकर अवतरित हुए श्रीकृष्ण ने जैसे ही अपने मामा कंस पर मृत्यु रूपी प्रहार किया समस्त गौशाला परिसर जय श्रीकृष्ण के जयघोष से गुंजायमान हो उठा।

Nov 14, 2024 - 23:05
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70 फुट ऊंचा कंस का पुतला जलते ही लगने लगे श्रीकृष्ण के जयकारे 
बल्केश्वर गौशाला में चल रहे श्रीकृष्ण लीला शताब्दी समारोह में कंस वध की लीला का मंचन करते कलाकार।

 

श्रीकृष्ण लीला शताब्दी महोत्सव के दसवें दिन हुआ अक्रूर गमन और कंस वध का मंचन

 − 20 तरह की आतिशबाजी से प्रकाशित हो उठा श्रीकृष्ण गौशाला परिसर

 

 

बल्केश्वर स्थित गौशाला में श्रीकृष्ण लीला समिति द्वारा आयोजित श्रीकृष्ण लीला शताब्दी वर्ष महोत्सव में गुरुवार को कंस वध हुआ। मंचीय लीला के बाद मुख्य अतिथि एमएलसी विजय शिवहरे ने श्रीकृष्ण के स्वरूप के साथ कंस के 70 फुट ऊंचे पुतले में अग्नि लगायी। जैसे− जैसे अग्नि ने अपना विकराल रूप लिया, कंस काल के गाल में समाता गया। 20 तरह के विभिन्न आतिशबाजियों के साथ जय श्रीकृष्ण, राधे राधे, श्रीकृष्ण लीला समिति लिखी आतिशबाजी मंत्रमुग्ध करती रही। बंदायू के अशफाक ने आकर्षक आतिशबाजी आयोजित करने की परंपरा का विगत वर्षों  की भांति निर्वाहन किया।

 

इससे पूर्व लीला में दिखाया कि राजा कंस ने अपने भांजे श्रीकृष्ण का वध करने के लिए कागासुर, बकासुर, नागासुर, बगुलासुर आदि राक्षसों को भेजा, लेकिन  भगवान श्रीकृष्ण ने सभी का वध कर दिया। नारद जी ने कंस के दरबार में पहुंचकर श्रीकृष्ण को मथुरा बुलाने की सलाह दी गयी। इसके बाद कंस ने अक्रूर जी को ब्रज भेजा। श्रीकृष्ण को लेकर मथुरा गमन का दृश्य देख हर श्रद्धालु स्वयं को गोपियों की विरह से पीड़ित सा अनुभव करता रहा। श्रीकृष्ण और बलराम मथुरा पहुंचे। मथुरा पहुंचते ही अपने भक्तों के उद्धार के लिए भगवान सलंग्न हो गए। रजक वध, दर्जी पर कृपा, कुवलिया पीड़ा, हाथी मोक्ष, धनुष भंग, अखाड़े में प्रवेश, चाणूर और मुष्टिक उद्धार एवं अंत में मल्ल युद्ध के दौरान कंस वध की लीला।

 

कंस वध होते ही पंडाल में श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी के जयकारे गूंजने लगे। इसके बाद श्री उग्रसेन का राज्याभिषेक एवं वासुदेव एवं देवकी की कारागृह से मुक्ति हुयी।

आतिशी फुहारे, आकाश से गिरते सितारे भी मनमोहक रहे। आतिशबाजी होते ही कंस के पुतले के पास भीड़ एकत्र हो गई। भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप ने अग्नि बाण से पुतले में आग लगा दी। पहले तो पुतला हंसता हुआ दिखा और बाद में उसके हाथ में लगी चरखी चली और पुतली भी चलती हुई दिखाई दी। थोड़ी ही देर में पुतला जल कर राख हो गया।

 

इस अवसर श्री राम लीला कमेटी के महामंत्री  राजीव अग्रवाल, श्रीकृष्ण लीला कमेटी के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल, महामंत्री विजय रोहतगी, अशोक गोयल, शेखर गोयल, ब्रजेश अग्रवाल, तारा चंद मित्तल, संजय गुप्ता, अमित अग्रवाल, कैलाश खन्ना, विनीत सिंघल, अनूप गोयल, पंकज मोहन, गुरु अनंत उपाध्याय, संजीव गुप्ता, मनोज गुप्ता, अनीस अग्रवाल, आशु रोहतगी, केसी अग्रवाल, गिर्राज बंसल, केके अग्रवाल, संजय चेली, संजय गोयल, मनोज बंसल, विष्णु अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

 

गौशाला के मंदिर पर दीपदान

 

लीला से पूर्व गौशाला परिसर में बने प्राचीन मंदिर में बैकुंठ चौदस के अवसर पर देव दीपावली दीपदान करके मनायी गयी। सभी सदस्यों ने सात, 11, 21 दीपों की श्रंखला लीला मंचन से पूर्व सजायी।

 

पार्षद पूजा बंसल, सुजाता अग्रवाल, भावना अग्रवाल, कीर्ति अग्रवाल, महिमा अग्रवाल, ममता बंसल, अंजली बंसल, रेनू गोयल, सोनिया, राधा गुप्ता, दीक्षा गर्ग, रेनू गर्ग, प्रीति अग्रवाल, पुष्पा गोयल, नीलम अग्रवाल, कीर्ति गोयल, वंदना उपाध्याय, ममता उपाध्याय आदि ने दीपदान किया।

 

कृष्ण-बल्देव शोभायात्रा आज

 

अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि शुक्रवार को शोभायात्रा गौशाला, वाटर वर्क्स से 4: 30 बजे शुरू होगी। इसमें धार्मिक, राष्ट्रीय भावनाओं के साथ ज्ञानवर्धक सुंदर 60 झांकियां अपने आकर्षण से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध करेंगी। शोभायात्रा जीवनीमंडी, बेलनगंज, कचहरी घाट, छत्ता बाजार, दरेसी नं.2, रावतपाड़ा, सुभाष बाजार, जौहरी बाजार, कसेरट बाजार, किनारी बाजार, सेव का बाजार, फुलट्टी, छिलीईंट घटिया, सिटी स्टेशन रोड, धूलियागंज, पथवारी, बेलनगंज तिकोनिया होती हुई गौशाला वापस आएगी।

 

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