फिल्म में निर्माता की अभिव्यक्ति को जीवन देते हैं कलाकार- बब्बर
आगरा। कोई भी फिल्म उसके निर्माता और निर्देशक की अभिव्यक्ति होती है, जिसे कलाकार मिलकर जीवन देने का काम करते हैं। कोई भी साहित्य (फिल्म, उपन्यास आदि) किसी समस्या का हल नहीं दे सकता, परन्तु उस विषय की खुशी और दुख का चित्रण कर सजीव संदेश आप तक पहुंचा जरूर सकता है।
-राज बब्बर ने किया ‘तलाक अब नहीं’ फिल्म के प्रीमियर शो का उद्घाटन
-45 मिनट की फिल्म दर्शकों की एकाग्रता को बनाए रखने में रही सफल
पूर्व सांसद और अभिनेता राज बब्बर ने यह बात होटल पीएल पैलेस में आयोजित एक समारोह में कही। वे आरए मूवीज के बैनर तले निर्मित फिल्म ‘तलाक अब नहीं’ के प्रीमियर शो में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
जयपुर हाउस आवासीय वैलफेयर सोसायटी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में फिल्म के प्रीमियर शो का शुभारम्भ राज बब्बर ने स्विच ऑन कर किया। 45 मिनट की फिल्म लगातार लोगों की एकाग्रता को बनाए रखने में सफल रही।
मुख्य अतिथि का स्वागत पुष्प भेंट करते हुए समाजसेवी पीएल शर्मा ने कहा कि फिल्में समाज का दर्पण होती हैं। वर्तमान में तलाक गम्भीर समस्या बन चुकी है। ऐसे ज्वलंत विषय उठाने के लिए फिल्म निर्माता बधाई के पात्र हैं।
फिल्म निर्माता रंजीत सामा ने बताया कि फिल्म गाजियाबाद के परिवार की सच्ची घटना पर आधारित है, जिसमें सभी कलाकार आगरा के हैं। आज तलाक हर दूसरे तीसरे घर की समस्या बन गया है। जिसे रोकने का दायित्व हम सब का है। संस्कारों से जुड़े रहकर ही हम इस समस्या को दूर कर सकते हैं। उन्होंने अगली फिल्म ‘दहेज अब नहीं’ बनाने की भी घोषणा की।
समारोह की अध्यक्षता जयपुर हाउस आवासीय वैलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष अनिल वर्मा एडवोकेट ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में घनश्याम अग्रवाल व सरजू बंसल मौजूद थे। कार्यक्रम संयोजक मुकुल गर्ग, गिर्राज बंसल, पूरन डावर, नारायण दास, सतेन्द्र तिवारी, मनीष शर्मा, राहुल आर्य, प्रदीप सरीन, सरदार मंजीत सिंह, विजय सहगल, यश गांधी, रेनू गुप्ता, जय गुप्ता, अतुल गुप्ता, अम्बा गर्ग, मुकेश नेचुरल, अशोक चौबे, सुजाता शर्मा, कुसुम महाजन, विक्की महाजन, अजय शर्मा ब्रजेश शर्मा आदि भी उपस्थित थे।
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