बुजुर्ग महिला सुजाता की कहानी रुला देगी, जन्माष्टमी पर पति के साथ ब्रज भ्रमण के लिए आई थीं लेकिन अब पति के बगैर ही लौटेंगी, ह्दयाघात से पति के निधन के बाद हेल्प आगरा ने कराया दाह संस्कार
आगरा। जीवन के संध्याकाल में एक बुजुर्ग दंपति कान्हा के दर्शन की चाहत में मथुरा पहुंचे। जन्माष्टमी पर कान्हा के दर्शन भी कर लिए। वृंदावन में बिहारजी के दर्शन भी किए, लेकिन जोड़े में से पति को शायद ब्रज भूमि में ही मोक्ष मिलना था। 27 अगस्त को पति को हृदयाघात हुआ। हालत गंभीर होने पर मथुरा से आगरा के एसएन अस्पताल में लाया गया, जहां उन्होंने देह त्याग दी।
जन्माष्टमी पर महाराष्ट्र से अपनी पत्नी के साथ आए बुजुर्ग रामगोपाल भट्टाचार्य (78 वर्ष) को 27 अगस्त को मथुरा में ही हार्ट अटैक हुआ था। आगरा के एसएन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां 28 अगस्त की शाम उनका निधन हो गया। रामगोपाल भट्टाचार्य की धर्मपत्नी सुजाता अस्पताल में उनके पास ही थीं।
पति के निधन के बाद सुजाता समझ नहीं पा रहीं थीं कि क्या करें। कोई भी नहीं था यहां उनका अपना। सुजाता की बेबसी की जानकारी होने पर हेल्प आगरा के महासचिव गौतम सेठ अस्पताल पहुंचे। सबसे पहले तो राम गोपाल के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार होना जरूरी था। गौतम सेठ ने उनकी पत्नी सुजाता भट्टाचार्य से बात कर उन्हें इस बात के लिए तैयार किया और फिर विद्युत शवदाह गृह में संस्था के माध्यम से उनका दाह संस्कार आगरा में ही कराया।
अब बात सुजाता की थी कि उन्हें कहां भेजा जाए। गौतम सेठ ने सुजाता भट्टाचार्य की गधापाड़ा स्थित महिला आश्रय स्थल पर ठहरने की व्यवस्था कराई। आज सुबह सुजाता के महाराष्ट्र में परिजनों से भी गौतम सेठ ने संपर्क साधा। परिजनों से बात करने पर पता चला कि यह दंपति एक ग्रुप के साथ मथुरा आया हुआ था। इस ग्रुप के सदस्य वृंदावन स्थित दीन दुखिया सेवा संस्थान में रुके हुए हैं।
गौतम सेठ ने हेल्प आगरा की हेल्प एम्बुलेंस से सुजाता को दीन दुखिया सेवा संस्थान, वृन्दावन में पहुंचा दिया। इस प्रकार सुजाता अपने समूह के सदस्यों के पास पहुंच गई।
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