विधानसभा चुनाव को लेकर कश्मीर घाटी में सभी दल लगा रहे जोर
श्रीनगर। हरियाणा के साथ ही जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव की घोषणा हो गई है। कश्मीर के प्रथम चरण के लिए तो अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
कश्मीर में मुख्यरूप से नेशनल कांफ्रेंस (एनसी), महबूबा मुफ्ती की पीडीपी, भाजपा, कांग्रेस और गुलाम नबी आजाद की पार्टी मैदान में है। हालांकि अल्ताफ हुसैन, राशिद इंजीनियर में भी दम है कि वे एक-दो सीट निकाल सकें। इस बीच कांग्रेस और एनसी ने चुनावी गठबंधन कर लिया है। इससे लगता है कि यह गठबंधन मजबूत दावेदार के रूप में उभर सकता है। पीडीपी ने अभी तक किसी के साथ जाने का फैसला नहीं किया है। भाजपा भी अकेले चुनाव लड़ रही है। भाजपा का मुख्य असर जम्मू क्षेत्र में है। लेकिन भाजपा की कोशिश है कि वह घाटी के आठ से दस सीटों पर मजबूत निर्दलीय प्रत्याशी को उतारे ताकि यदि वे जीत जाएं तो राज्य में उसकी सरकार बन सके। यदि यह संभव हुआ तो राज्य में पहली बार भाजपा की अपने बलबूते पर सरकार बनेगी और वहां कोई हिंदू मुख्यमंत्री होगा।
नेशनल कांफ्रेंस के साथ ही पीडीपी भी चुनाव के दौरान राज्य की विशेष स्थिति की बहाली तथा अनुच्छेद 370 और 35 ए की वापसी पर जोर दे रही है। नेकां ने तो अपने घोषणा पत्र में इसका जिक्र भी किया है। पीडीपी का कहना है कि यदि उनकी पार्टी राज्य में चुनाव जीतती है तो केन्द्र सूद के साथ अनुच्छेद 370, 35 ए वापस देगा। लेकिन इन दलों का यह दिवास्वप्न जैसा ही दिख रहा है। राज्य विधानसभा में नए परिसीमन के बाद कुल 90 विधानसभा सीट हैं। 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर के अंतर्गत आते हैं। पहले जम्मू संभाग में 37 सीटें थीं, जो परिसीमन के बाद 43 हो गई हैं। वहीं घाटी में पहले 46 सीटें थीं, जो अब 47 हो गई हैं। भाजपा को उम्मीद है कि यदि उसने जम्मू संभाग की 37-38 सीटें जीत लेती है तो वह राज्य में सरकार बनाने की स्थिति में आ सकती है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के लिए ऐसे चेहरों को मौका देगी, जिनकी उम्र 40 साल से कम होगी। कश्मीर के लिए बीजेपी ने दूसरे दलों के अल्पसंख्यक नेताओं पर नजरें टिका दी हैं। इस बीच पीडीपी के कई नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है। इससे भाजपा में काफी प्रसन्नता दिख रही है।
वैसे जम्मू संभाग में कांग्रेस का भी दबदबा है। लेकिन नेकां से गठबंधन और इस पार्टी द्वारा अनुच्छेद 370 तथा 35 ए की वापसी की बात घोषणा पत्र में डाल कर भाजपा की राह आसान कर दी है। जम्मू संभाग के लोग अनुच्छेद 370, 35 ए के हटने से काफी खुश हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस ने नेकां से गठबंधन कर परोक्षरूप से संकेत दे दिया है कि वह इन अनुच्छेदों की वापसी का समर्थक है।
अनुच्छेद 370 और 35 ए की वापसी के बाद राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इसको लेकर घाटी में भी स्थिति बदली-बदली नजर आ रही है। बारामूला, उरी, गुलमर्ग या श्रीनगर में आमलोग भारत की मुख्यधारा से जुड़ते दिख रहे हैं। उधर पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती ने अपनी बेटी इल्तिजा को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद घाटी में विकास के जो काम हुए हैं, उससे एक बड़ा वर्ग काफी प्रभावित है। इस वर्ग के युवकों का मानना है कि यदि भाजपा के राज में विकास होता है और उन्हें रोजगार के अवसर मिलते हैं तो इस दल के समर्थकों को चुनने में कोई बुराई नहीं है। जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। चार अक्टूबर को तय हो जाएगा कि 10 साल बाद हो रहे चुनाव के बाद किसकी सरकार बनेगी।
What's Your Reaction?