मिल्कीपुर में नहीं चला अखिलेश का कोई दांव, योगी ने बदला ले ही लिया

दिल्ली के विधान सभा चुनाव नतीजों से कम चर्चा नहीं है यूपी की मिल्कीपुर विधान सभा सीट पर हुए उप चुनाव की। लोकसभा चुनाव में फैजाबाद से अपनी जीत को भाजपा की अयोध्या में हार के रूप में प्रचारित कर रही समाजवादी पार्टी को मिल्कीपुर में तगड़ा झटका लगा है। मिल्कीपुर अयोध्या जिले में ही आती है, इसलिए हर किसी की निगाह इस सीट पर लगी हुई थी। मिल्कीपुर शुरुआत से सपा का गढ़ रही है। भाजपा ने यह उप चुनाव हिसाब बराबर करने के लिए लड़ा और इसमें उसे कामयाबी भी मिली है।

Feb 9, 2025 - 11:45
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मिल्कीपुर में नहीं चला अखिलेश का कोई दांव, योगी ने बदला ले ही लिया

-एसपी सिंह-

अयोध्या। अयोध्या की मिल्कीपुर सीट का नतीजा वैसा ही रहा, जैसी की मतदान से पहले उम्मीद की जा रही थी। यह सीट भी भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी से छीन ली है। भाजपा ने सपा को ऐसी चोट दी है कि यह उसे लम्बे समय तक सालती रहेगी। फैजाबाद लोकसभा सीट 54 हजार वोटों से जीतने वाली सपा को इसी फैजाबाद संसदीय क्षेत्र की  मिल्कीपुर सीट पर 61 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त मिली है।

लोकसभा चुनाव में फैजाबाद से सांसद चुने गए जिन अवधेश प्रसाद को समाजवादी पार्टी ने पोस्टर ब्यॊय बना दिया था, उन्हीं अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत पासी को इस सीट पर 61710 मतों के भारी अंतर से हार मिली है। भाजपा के चंद्रभान पासवान मिल्कीपुर से विधायक चुने गए हैं।

मिल्कीपुर के उप चुनाव पर पूरे देश की निगाहें लगी हुई थीं। इसकी वजह यह थी कि यह सीट अयोध्या जिले में आती है। यहां के उप चुनाव को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया था। कुछ यही हाल सपा मुखिया अखिलेश यादव का था, जो किसी भी कीमत पर इस सीट को गंवाना नहीं चाहते थे। सही मायने में यह उप चुनाव इन्हीं दोनों बड़े नेताओं के बीच रस्साकसी जैसा था। इसमें सीएम योगी, सपा मुखिया को पटकनी देने में कामयाब रहे हैं।

मिल्कीपुर विधान सभा सीट दशकों से समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है। फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद स्वयं इस सीट से कई बार विधायक चुने जा चुके हैं। उनके सांसद बनने के बाद ही यह सीट रिक्त हुई थी। समाजवादी पार्टी ने यहां से सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत पासी पर ही दांव लगाया। अपने राजनीतिक जीवन के पहले ही चुनाव में अजीत पासी को करारी हार का सामना करना पड़ा है।

ऐसा लगता है कि अजीत पासी को प्रत्याशी बनाना ही सपा के लिए भारी पड़ गया। पिता सांसद और बेटे को विधान सभा का टिकट, सपा नेतृत्व का यह फैसला शायद टिकट मिलने की उम्मीद पाले सपाइयों को रास नहीं आया। मिल्कीपुर में इसकी खासी प्रतिक्रिया थी और इसका परिणाम सपाजनों की शिथिलता के रूप में सामने आया। सूचनाएं तो यहां तक मिल रही हैं कि कट्टर सपा समर्थकों ने भी इस बार पार्टी की तरफ से मुंह मोड़ लिया।

सीएम योगी ने अपने पास रखी थी यह सीट

लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में जब विधान सभा सभा की दस सीटें रिक्त हुई थीं, तभी से सीएम योगी इन सीटों पर होने वाले उप चुनाव को लेकर गंभीर थे। सीएम ने चुनावी रणनीति के लिहाज से दोनों उप मुख्यमंत्रियों के अलावा खुद के पास भी कुछ सीटें रखी थीं। मिल्कीपुर उन्हीं सीटों में से एक थी, जो सीएम ने अपने पास रखी थी। तभी से सीएम योगी मिल्कीपुर पर फोकस किए हुए थे। दरअसल इस सीट को भारी अंतर से जीतकर सीएम योगी लोकसभा चुनाव में फैजाबाद पर हुई हार का बदला लेना चाहते थे।

अखिलेश यादव ने भी लगाया पूरा जोर

सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत पासी को मिल्कीपुर से प्रत्याशी बनाकर सपा मुखिया अखिलेश यादव इस सीट पर जीत को लेकर आश्वस्त थे। इसकी एक वजह यह थी कि अखिलेश यादव को यहां सांसद अवधेश प्रसाद के जनाधार पर भरोसा था। उप चुनाव में सपा मुखिया ने भी पूरी ताकत लगाई। खुद जनसभा करने भी पहुंचे, लेकिन सारे प्रयास विफल रहे। सपा अपनी एक और सीट भाजपा के हाथों में जाने से नहीं रोक पाई।

....तो क्या अब इस्तीफा दे देंगे अवधेश प्रसाद

मिल्कीपुर के उप चुनाव के दौरान सपा प्रत्याशी अजीत पासी के पिता सांसद अवधेश प्रसाद ने भरे मंच से यह घोषणा भी कर दी थी कि अगर मिल्कीपुर से अजीत पासी को हार मिली तो वे सांसद पद से इस्तीफा दे देंगे। अवधेश प्रसाद का शायद यह जनता को भावुक करने का दांव था, लेकिन जनता पर इसका भी असर नहीं हुआ। यही नहीं, अयोध्या में एक दलित युवती की हत्या पर अवधेश यादव कैमरे के सामने फूट-फूट कर रोए थे, लेकिन उनका यह दांव भी नहीं चला। अब सवाल यह पूछा जा रहा है कि क्या अवधेश प्रसाद मंच से की गई घोषणा के अनुरूप सांसदी त्याग देंगे?

SP_Singh AURGURU Editor