आकाश आनंद का बसपा से निष्कासन सांसद चंद्रशेखर के लिए अवसर?
लखनऊ। क्या बहुजन समाज पार्टी में अंदरूनी तौर पर चल रही उठापटक आजाद समाज पार्टी के लिए एक सुनहरा अवसर है दलित समाज में पैठ बढ़ाने का। आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष एवं सांसद चंद्रशेखर आजाद के बढ़ते जनाधार को रोकने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद को आगे लेकर आई थीं, लेकिन अब आकाश आनंद ही बसपा से बाहर किए जा चुके हैं। चंद्रशेखर के लिए मैदान खाली है।

ऐसा होने भी लगा था। जो चंद्रशेखर आठ महीने पहले यूपी की नगीना सीट से अपने बूते लोकसभा का चुनाव जीत गए थे, वे इसके बाद कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए। चंद्रशेखर ने यूपी की विधान सभा सीटों के उप चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारे। बसपा उप चुनाव नहीं लड़ रही थी। चंद्रशेखर के लिए मैदान खाली था, लेकिन वे दलित वोटों पर अपनी पकड़ साबित नहीं कर पाए।
बसपा सुप्रीमो मायावती के मन में शायद सांसद चंद्रशेखर आजाद को लेकर डर है तो दलित समाज में अपनी पकड़ को लेकर आश्वस्त भी हैं। तभी तो उन्होंने अपने भतीजे को पार्टी से बाहर करने में तनिक नहीं सोचा।
दिक्कत यह है कि मायावती अब फील्ड में दौरे नहीं करतीं। वे यह काम आकाश आनंद से करा रही थीं। इसी वजह से चंद्रशेखर आजाद के तेजी से बढ़ते कदमों की गति धीमी पडी है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आकाश आनंद को बसपा से बाहर किए जाने के बाद दलित वोट बैंक को बांधे रखने का काम कौन करेगा। कहीं ऐसा न हो कि अवसर देखकर सांसद चंद्रशेखर आजाद एक बार फिर दलित समाज के बीच अपनी गतिविधियां बढ़ा दें। आकाश आनंद के बसपा के निष्कासन को वे अपने लिए अवसर के रूप में भी ले सकते हैं।