अजय का दाग तो मिट गया पर बेवजह जेल रहने की भरपाई कैसे होगी?

आगरा। अब जबकि यह साफ हो गया है कि कटरा वज़ीर खां के अजय तोमर को दुराचार के फर्जी मामले में जेल भेजा गया है, क्या पुलिस उसके उन दिनों की भरपाई कर पाएगी, जितने दिन उसने निर्दोष होते हुए भी जेल में गुजारे। अजय तोमर तो खुद लड़कियों की ब्लैकमेलिंग का शिकार हो रहा था। एत्माद्दौला पुलिस ने उसे जेल भेजने में  हड़बड़ी दिखाई। शायद प्रारंभिक जांच तक नहीं की। क्या निर्दोष अजय के जेल जाने के लिए पुलिस भी बराबर की दोषी नहीं है।

Oct 31, 2024 - 14:43
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अजय का दाग तो मिट गया पर बेवजह जेल रहने की भरपाई कैसे होगी?

इसी महीने की 8 तारीख को खुद को सोनी वाल्मीकि बताने वाली एक युवती ने थाने में रिपोर्ट लिखाई थी कि वह जब अजय तोमर के घर काम करने गई थी तो उसने उसे बेहोश कर दुराचार किया है। पुलिस ने रिपोर्ट लिखी युवती के बयान दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर फटाफट अंदाज में जेल भेज दिया। अजय तोमर तभी से जेल में बंद है।

इस मामले के फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब अजय तोमर के परिवारीजन पुलिस से मिले और दो लड़कियों की कॉल रिकॉर्डिंग सुनाई, जिससे साबित हुआ कि अजय तोमर को इन लड़कियों ने ब्लैकमेल न होने पर बलात्कार के मामले में फंसाया है। 

यह लड़कियां दिल्ली की बताई गई हैं। ये पहले 15 लाख रुपए मांग रही थीं जबकि अब पांच लाख रुपए में समझौता कर अजय तोमर को जेल से बाहर निकलवाने की बात उसके परिजनों से कह रही थीं।

मामले की गहराई से जो जांच पुलिस को कथित सोनी वाल्मीकि का मुकदमे लिखने के बाद करनी चाहिए, पुलिस ने इस कॉल रिकॉर्डिंग सुनने के बाद शुरू की। गहराई में जाने पर पता चला कि जिस सोनी वाल्मीकि ने रिपोर्ट लिखाई है, असल में वह शाइस्ता परवीन है। उसकी सहयोगी दिल्ली की ही ज्योति है। ट्रांसपोर्ट नगर की तनु नाम की एक लड़की की बहन दिल्ली में इन दोनों के साथ काम करती थी। अपने साथ काम करने वाली आगरा की लड़की के सहारे ही ये दोनों आगरा में उसकी बहन तनु तक पहुंची। 

तनु ट्रांसपोर्ट नगर में रहती है। शाइस्ता, ज्योति और आगरा की तनु ने किसी फंसाकर पैसे ऐंठने की प्लानिंग बनाई। इसके लिए तलाश थी एक बकरे की। तनु की पहचान अजय तोमर से थी। तनु ही दिल्ली की इन दोनों लड़कियों को अजय तोमर की पास तक लेकर पहुंची। 

तनु की मध्यस्थता से ही शाइस्ता परवीन अजय तोमर की संपर्क में आई दोनों के बीच नजदीकी भी बढ़ गई। बाद में सोनी वाल्मीकि उर्फ शाइस्ता परवीन ने असली चेहरा दिखाया और अजय तोमर से 15 लख रुपए की डिमांड करने लगी। अजय तोमर ने जब उसकी मांग पूरी नहीं की तो उसने थाने में सोनी वाल्मीकि नाम से रिपोर्ट कराकर निर्दोष युवक को जेल भिजवा दिया।

पुलिस ने अब सोनी उर्फ शाइस्ता तथा ज्योति को गिरफ्तार कर लिया है और तनु की तलाश की जा रही है। सवाल यह है कि बात महिला के साथ अपराध की आती है तो  पुलिस कुछ ज्यादा ही सेंसिटिव होकर सच्चाई जाने बगैर लोगों को जेल भेज देती है, जैसा अजय तोमर के साथ हुआ। अगर पुलिस ने पहले ही मामले की यह तक जाने की कोशिश की होती तो शायद एक बेगुनाह के जेल जाने की नौबत न आई होती।

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SP_Singh AURGURU Editor