साइबर ठगी की प्रयोगशाला बना आगरा, भाजपा नेता और अधिवक्ता के नंबर पर कई—कई बार कॉल, पुलिस का क्या है प्लान ?
cyber fraud in agra, agra news, agra online news, cyber fraud news, cyber crime in agra, agra cyber cell, agra police
आधुनिक तकनीक का उपयोग बढ़ने के साथ ही साथ इन दिनों साइबर अपराध सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं। आनलाइन होने वाले यह फ्रॉड एजुकेडेटेड लोगों को भी ठग ले रहे हैं। साइबर ठग हर रोज नए-नए तरीके अपनाकर लोगों की खून-पसीने की कमाई एक झटके में उड़ा देते हैं। पुलिस के सामने प्रतिदिन ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन वे मामले तो कई गुना अधिक हैं जो पुलिस के सामने ही नहीं आ रहे। पिछले कुछ दिनों में औरगुरू की टीम के साथ तमाम ऐसे लोगों ने अपने अनुभव साझा किए हैं जिनका पाला पिछले दिनों साइबर ठगों से पड़ चुका है। क्योंकि ठगों के मंसूबे कामयाब नहीं हुए इसलिए यह मामले पुलिस फाइल में दर्ज नहीं हैं, लेकिन पुलिस का इन मामलों पर क्या प्लान है ? यह सवाल जरूर खड़ा है।
गौरतलब है कि आगरा में एक महिला शिक्षिका की मौत और एक अन्य शिक्षिका के खाते से साइबर ठगों द्वारा दो लाख रूपये उड़ा लिए जाने के बाद ऐसे तमाम मामले भी सामने आने लगे हैं जिनसे इन ठगों से संपर्क साधा लेकिन किस्मत से वे ठगों का शिकार बनने से बच गए। ताजा मामला भाजपा के एक वरिष्ठ नेता और एक वरिष्ठ अधिवक्ता से जुड़ा है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक पांडेय उन भाग्यशाली लोगों में हैं जो साइबर ठगों का शिकार होने से बच गए। एक बार नहीं, पूरे तीन बार उन्हें साइबर ठगों ने निशाना बनाने का प्रयास किया।
अशोक पांडेय ने औरगुरु को बताया कि एक साल पहले उनके नंबर पर फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को एसबीआई से बताते हुए कहा कि आपका एटीएम कार्ड ब्लाक हो गया है। अपने कार्ड का नंबर बताओ, अनब्लाक करना है। इसके बाद पांडेय अपना कार्ड तलाशने लगे। इस बीच उनकी पुत्रवधु ने उनसे परेशानी का कारण पूछा। पांडेय ने पूरी बात बताई तो पुत्रवधु को शक हुआ। कथित एसबीआई अधिकारी से पुत्रवधु ने खुद बात की तो साइबर ठग ने फोन काट दिया।
करीब छह माह पहले अशोक पांडेय के मोबाइल नंबर पर वीडियो काल आई। काल करने वाला पुलिस की वर्दी में था। खुद को सदर थाने से बताते हुए कहा कि आपके बेटे को हमने पकड़ रखा है। अशोक पांडेय घबरा गए। पुत्रवधु ने उस समय भी हिम्मत दिखाई और पति को फोन मिला दिया। अशोक पांडेय का बेटा अपने कार्यस्थल पर था। इसके बाद पांडेय को लगा कि उनका दूसरा बेटा तो कहीं मुसीबत में नहीं है। दूसरे बेटे को फोन मिलाया गया तो पता चला कि वह दो मिनट में घर पहुंचने वाला है। पांडेय का ध्यान इसके बाद अपने भतीजे पर गया। उसे भी फोन मिलाया गया। वह भी सकुशल था। पांडेय को समझ में आ चुका था कि यह कोई फ्राड है। उन्होंने कड़े तेवर दिखाए तो फ्राड ने फोन काट दिया।
पांडेय को तीसरा कॉल तीन सप्ताह पहले मिला। वीडियो कॉल करने वाला पुलिस की वर्दी में था और सदर थाने का इंसपेक्टर बता रहा था। वही पुरानी बात कि आपका बेटा फलां अपराध में पकड़ लिया है। इस बार पांडेय समझ गए कि साइबर फ्राड है। उन्होंने तपाक से कहा, बता कितने पैसे भिजवा दूं। इतना सुनते ही फ्राड ने फोन काट दिया।
एक अन्य मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कुं. शैलराज सिंह को भी तीन बार वीडियो काल कर ठगने का प्रयास किया गया, लेकिन वे झांसे में नहीं आए। इन्हें काल करने वाला भी पुलिस की वर्दी में था और खुद को सदर थाने से बता रहा था। शैलराज सिंह से भी यही कहा गया कि आपका बेटा पकड़ा गया है। चूंकि शैलराज सिंह खुद वकील हैं, इसलिए वे समझ गए कि ये कोई फ्राड है। उनके डपटते ही फ्राड ने फोन काट दिया।
दूसरी और तीसरी बार भी शैलराज सिंह को पुलिस वर्दीधारी ने सदर थाने का बताकर फोन किया। कुं. शैलराज सिंह ने बताया कि वीडियो काल पर उन्होंने प्लस 92 कोड देख लिया था। वे समझ गए थे कि फोन पाकिस्तान से है। शैलराज सिंह से फ्राड ने पूछा कि आप क्या करते हैं, उनके यह कहने पर कि मैं डीसीपी सिटी बोल रहा हूं, फ्राड ने फोन काट दिया।
What's Your Reaction?