आगरा कॊलेजः डॊ. अनुराग शुक्ल ने नकली को असली बताने के लिए हर हथकंडा अपनाया

आगरा। आगरा कॊलेज के प्रिंसिपल पद से हटाए जा चुके डॊ. अनुराग शुक्ल की फर्जीफिकेशन क्रोनोलॉजी में इनके कृत्यों से जुड़े तमाम नए तथ्य सामने आ रहे हैं। सीजेएम के आदेश पर थाना लोहामंडी में खुद के खिलाफ अनेक संगीन धाराओं में दर्ज मुकदमे में गिरफ्तारी के खिलाफ डा. शुक्ल को भले ही स्टे मिला हुआ है, लेकिन पुलिस की जांच में उन पर लगातार शिकंजा कसता ही जा रहा है।

Dec 5, 2024 - 11:42
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आगरा कॊलेजः डॊ. अनुराग शुक्ल ने नकली को असली बताने के लिए हर हथकंडा अपनाया

-आगरा कॊलेज के पूर्व प्राचार्य पर फर्जीफिकेशन में कसने लगा है पुलिस का शिकंजा

-जिस सनराइज यूनिवर्सिटी के दस्तावेज लगाए थे, वह तीन बार टोटली फेक बता चुकी है

-केस के जांच अधिकारी को भी इस यूनिवर्सिटी ने डा. शुक्ल के दस्तावेज फर्जी होने का लेटर दे दिया है

 

डॊ. शुक्ल के बारे में एक नए तथ्य का यह खुलासा हुआ है कि 2019 में जिस समय उन्होंने उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग में प्राचार्य पद के लिए आवेदन किया था, उस समय भी उनके पास इस पद की योग्यता नहीं थी। अपने चयन के लिए 2021 में डॊ. शुक्ल ने एक शपथ पत्र के साथ अलवर की सनराइज यूनिवर्सिटी, एनसीईआरटी नई दिल्ली के कूटरचित कागजात और दूसरे फर्जी दस्तावेज लगाए थे।

 

इसी साल मार्च में सनराइज ने सच बता दिया था

 मार्च 2024 में जब डॊ. शुक्ल को संयुक्त शिक्षा निदेशक की जांच के बाद निलंबित कर दिया गया था और डा. सीके गौतम आगरा कॊलेज में कार्यवाहक प्रिंसिपल पद संभाल रहे थे, उस समय आगरा कॉलेज के सचिव, जो कि प्राचार्य ही होते हैं, ने प्रबंध समिति अध्यक्ष/मंडलायुक्त के निर्देश पर राजस्थान के अलवर में स्थित सनराइज यूनिवर्सिटी को डॊ. अनुराग शुक्ल के दस्तावेज वेरीफिकेशन के लिए भेजे थे। 04 चार अप्रैल 2024 को जांच के बाद सनराइज यूनिवर्सिटी ने डॊ. शुक्ल के दस्तावेजों को टोटली फेक बताते हुए आगरा कॉलेज  सचिव को रिपोर्ट भेजी थी।

 

17 मई को लिया गया फर्जी मेल का सहारा

 एक मई 2024 को डॊ. अनुराग शुक्ल को शासन द्वारा किए गए निलंबन के खिलाफ हाईकोर्ट से राहत मिल गई। वे एक बार फिर आगरा कॊलेज प्रिंसिपल की कुर्सी पर बैठ गए। इसके तीन दिन बाद ही यानि 04 मई 2024 को डॊ. अनुराग शुक्ल ने सनराइज यूनिवर्सिटी में दस हजार रुपये जमा कराए। यह धनराशि किसलिए जमा कराई गई, यह रसीद में स्पष्ट नहीं है।

 

यही नहीं, 17 मई 2024 को डॊ. शुक्ल ने एक फर्जी मेल सनराइज यूनिवर्सिटी वाया मीडियाइनफोटेक.कॊम के जरिए अपनी खुद की निजी आईडी पर मंगवाया। इसी के आधार पर अपने प्रमाण पत्रों के सही होने की बात कही। यह मेल इसीलिए सवालों के घेरे में आ गया क्योंकि यह आगरा कॊलेज सचिव की अधिकृत मेल आईडी पर भेजने के बजाय डॊ. अनुराग शुक्ल की व्यक्तिगत मेल आईडी पर भेजा गया था।

 

17 अगस्त को सनराइज को मेल क्यों भेजा डॊ. शुक्ल ने?

इसके तीन माह बाद यानि 17 अगस्त 2024 को आगरा कॊलेज की मेल आईडी से स्वयं डॊ. अनुराग शुक्ल ने सनराइज यूनिवर्सिटी से पूछा कि आपके द्वारा मेरे प्रमाण पत्रों को फर्जी करार दिया गया है। इससे मेरा करियर खराब हो रहा है। कृपा कर पुनः वेरीफिकेशन करें। डॊ. शुक्ल के इस मेल के जवाब में सनराइज यूनिवर्सिटी ने 20 अगस्त 2024 को जवाब दिया कि हमारे पिछले उत्तर को देखें, आपके प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं।

 

20 अगस्त 2024 को सनराइज यूनिवर्सिटी द्वारा दस्तावेजों के फर्जी होने के बारे में साफ-साफ बताए जाने के बावजूद डॊ. शुक्ल 17 मई 2024 के फर्जी मेल के सहारे खुद के सही होने का गीत गाते रहे। यहां तक कि इसी मेल का संदर्भ करते हुए कॊलेज प्रबंध समिति, उच्च शिक्षा निदेशक, उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग, प्रयागराज में भी खुद के पाक साफ होने की दलीलें देते रहे।

 

जांच अधिकारी को भी सनराइज ने दिया टोटली फेक का लेटर

आगरा कॊलेज बोर्ड आफ ट्रस्टीज के सदस्य सुभाष ढल के प्रार्थना पत्र पर सीजेएम के आदेश पर थाना लोहामंडी पुलिस भी मुकदमा दर्ज कर सारे मामले में जांच कर रही है। जानकार सूत्रों की मानें तो लोहामंडी थाने के जांच अधिकारी सनराइज यूनिवर्सिटी में जांच करने के लिए पहुंचे थे। 25 नवंबर 2024 को पहुंचे लोहामंडी थाने के आईओ को भी सनराइज यूनिवर्सिटी से लिखित में ये दे दिया गया है कि डा. अनुराग शुक्ल का प्रमाण पत्र पूर्णतः फर्जी और कूटरचित है। साथ ही 17 मई के जिस मेल का डॊ. अनुराग शुक्ल जिक्र कर रहे हैं, वह सनराइज यूनिवर्सिटी का नहीं है।

 

 कुछ सवाल जो डॊ. शुक्ल के गले की फांस बनेंगे

जब 17 मई 2024 सनराइज यूनिवर्सिटी ने कथित रूप से डॊ. अनुराग शुक्ल को निर्दोष साबित कर दिया था तो फिर डॊ. शुक्ल ने 17 अगस्त 2024 को पुनः वेरीफिकेशन के लिए सनराइज को पत्र क्यों भेजा? सच्चाई यह है कि 17 मई का मेल सनराइज यूनिवर्सिटी का था ही नहीं। वह सनराइज वाया मीडियाइनफोटेक.कॊम डा. शुक्ल की निजी मेल आईडी पर भेजा गया था। शायद अंदर के इसी भय ने उन्हें 17 अगस्त 2024 को सनराइज को पत्र भेजने के लिए विवश कर दिया।

 

इधर पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार अनुराग शुक्ल द्वारा पुलिस विभाग को उपलब्ध कराए गए कई दस्तावेज भी फर्जी हैं, जिनमें कुछ में पुलिस अधिकारियों के नाम तक का भी दुरुपयोग किया गया है। पुलिस विभाग भी इस मामले में अपने स्तर से कार्रवाई कर सकता है।

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SP_Singh AURGURU Editor