वृंदावन के बाद अछनेरा में हरे पेड़ों की बलि का दुस्साहस मिलीभगत के बगैर तो संभव नहीं दिखता
अछनेरा। अछनेरा-किरावली मार्ग पर रातोंरात दर्जनों पेड़ काटे जाने के मामले में एक बार फिर साबित हो गया है कि टीटीजेड में प्रतिबंधित होने के बावजूद पेड़ों पर आरी चलाने वालों को किसी का खौफ नहीं है। वृंदावन में छटीकरा रोड पर सैकड़ों पेड़ों की बलि चढ़ाए जाने के बाद उम्मीद जागी थी कि प्रशासनिक मशीनरी ऐसे मामले नहीं होने देगी, लेकिन वृंदावन जैसा ही खेल अछनेरा में हो गया।
यह भी जानकारी मिली है कि यह पूरा खेल करोड़ों की प्रॊपर्टी पर बनने वाले रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट की बाधाएं दूर करने का है। जिस जमीन से पेड़ काटे गए हैं, वह आगरा के एक व्यापारी की बताई गई है। इस व्यापारी से ऐसे बिल्डर जा जुड़े, जो कानून को ठेंगे पर रखकर कालोनी विकसित करने में माहिर हैं। इन्हीं लोगों ने बेखौफ होकर पेड़ों की बलि चढ़ा दी। तरीका वृंदावन जैसा ही अपनाया गया। रात का समय इसके लिए चुना गया।
यह भी जानकारी मिली है कि संबंधित जमीन पर विकसित की जाने वाली कालोनी में बहुत सारे लोगों का पैसा लगा हुआ है। प्लाट की बिक्री में ये पेड़ ही बाधक थे। पेड़ों के सफाये से पहले जमीन पर सीमेंटेड प्लेट्स बाउंड्रीवाल करवा दी गई, ताकि सड़क चलते लोगों को पता न चले कि अंदर क्या हो रहा है। सवाल तो पुलिस और वन विभाग समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों पर भी हैं क्योंकि इतने दिन तक पेड़ों पर आरी चलती रही और किसी को भनक तक न लगे, ऐसा लगता नहीं।
अब जबकि इस मामले का खुलासा हो गया है तो यह आशंका पैदा हो गई है कि भू माफिया पेड़ों के ठूंठों को जेसीबी से उखड़वा कर सबूत भी मिटा सकता है। अगर यह हो गया तो फिर पेड़ों के काटने का अपराध सिद्ध करना बहुत असंभव हो जाएगा। यह जमीन इतनी कीमती हो गई है कि यहां पर बगैर अनुमति के काटी जा रही कालोनी में प्लाट के रेट 15 हजार रुपये प्रति वर्ग गज के पास जा चुके हैं। यह स्थिति तब है जब कालोनी के लिए किसी विभाग से एनओसी तक नहीं ली गई है।
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