आखिर रेखा गुप्ता से कैसे पीछे गए सीएम की रेस में परवेश वर्मा?

नई दिल्ली। आखिर क्या कारण रहे कि सीएम की दौड़ में सबसे आगे चल रहे परवेश वर्मा रेखा गुप्ता के मुकाबले पिछड़ गए। नई दिल्ली में चुनाव के बाद बीजेपी के पक्ष में नतीजे आने के बाद से ही परवेश वर्मा को सीएम की कुर्सी का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। 

Feb 20, 2025 - 12:35
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आखिर रेखा गुप्ता से कैसे पीछे गए सीएम की रेस में परवेश वर्मा?

परवेश वर्मा ने 4089 मतों से अरविंद केजरीवाल को मात दी थी। इस जीत के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वर्मा की दावेदारी मज़बूत हुई थी। दिल्ली में मुख्यमंत्री के चुनाव से पहले ये कहा जा रहा था कि किसान आंदोलन के कारण बीजेपी से जाटों की नाराज़गी रही है और इसे पाटने के लिए प्रवेश वर्मा को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इसके पीछे ये भी तर्क दिए जा रहे थे कि परवेश वर्मा को सीएम बनाने का संदेश वेस्ट यूपी, हरियाणा और राजस्थान के जाटों तक जाएगा।

केजरीवाल को हराने के बाद भी परवेश वर्मा कैसे रेखा वर्मा के मुकाबले पीछे रह गए?  कुछ लोग यह कहते हैं कि भाजपा हमेशा लोगों को चौंकती रही है इसलिए इस बार भी चौंकाया लेकिन क्या सिर्फ यही एक वजह है? चौंकाने से पहले कई चर्चाएं हुई। उसके बाद रेखा गुप्ता के नाम पर मोहर लगी। 

जाट चेहरे के रूप में बढ़ाए जाने की थी उम्मीद

परवेश वर्मा के पिता साहिब सिंह वर्मा 26 फ़रवरी 1996 से 12 अक्तूबर 1998 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे थे। साहिब सिंह वर्मा के जरिए ही भाजपा ने जाट समाज में पैठ बनाई थी। साहिब सिंह वर्मा के बाद भाजपा में उनके कद जैसा कोई दूसरा नेता नहीं है। माना जा रहा था कि भाजपा परवेश वर्मा को आगे कर इस कमी को पूरी कर सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्या इसके पीछे परिवारवाद तो नहीं, जिसे लेकर भाजपा कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियों पर आरोप लगाती रही है। हालांकि परवेश वर्मा के साथ परिवारवाद का आरोप इसलिए नहीं चिपकता क्योंकि साहिब सिंह वर्मा अब इस दुनिया में नहीं हैं।

मुख्यमंत्री के बेटों से अक्सर किया है परहेज

बीजेपी कभी मुख्यमंत्री रह चुके अपने बड़े नेताओं को मुख्यमंत्री बनाने से परहेज करती रही है। हिमाचल प्रदेश में प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर को मुख्यमंत्री का अहम दावेदार माना जाता था, लेकिन बीजेपी ने जयराम ठाकुर को चुना था।

जातियों को लेकर भी बीजेपी खास रणनीति

बीजेपी की एक रणनीति यह भी रही है कि जिस राज्य में किसी ख़ास जाति का प्रभाव ज़्यादा है, उस जाति के बदले दूसरी जाति से सीएम बनाओ। जैसे हरियाणा में जाट राजनीतिक और सामाजिक रूप से प्रभावी हैं लेकिन बीजेपी ने उस जाति का सीएम पिछले 11 सालों से नहीं बनाया। इसी तरह महाराष्ट्र में मराठों का प्रभाव ज़्यादा है लेकिन बीजेपी ने विदर्भ के ब्राह्मण देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाया। इसी तरह झारखंड में आदिवासी मुख्यमंत्री के बदले तेली जाति से ताल्लुक रखने वाले रघुबर दास को सीएम बनाया था।

रेखा गुप्ता ने भरा खाली बॉक्स

परवेश वर्मा के मुकाबले रेखा गुप्ता के भारी पड़ने की कई वजहें रही हैं। रेखा गुप्ता और अरविंद केजरीवाल में दो समानताएं हैं। अरविंद केजरीवाल की तरह रेखा गुप्ता भी हरियाणा की हैं और बनिया समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। अरविंद केजरीवाल, सुषमा स्वराज के बाद रेखा गुप्ता दिल्ली की तीसरी मुख्यमंत्री होंगी, जो हरियाणा से हैं। बता दें कि वैश्य समुदाय स्थापना के समय से ही भाजपा का कट्टर समर्थक रहा है और पार्टी की ओर से इस समुदाय का कोई मुख्यमंत्री नहीं है। रेखा गुप्ता के जरिए भाजपा ने अपने इस कट्टर समर्थक वर्ग को भी खुश कर दिया है।

रेखा गुप्ता के भारी पड़ने की दूसरी वजह उनका महिला होना है। दिल्ली से पहले बीजेपी की 13  राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में सरकार थी लेकिन कोई भी महिला मुख्यमंत्री नहीं थी। राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया के बाद बीजेपी का यह बॉक्स ख़ाली था, जिसे अब रेखा गुप्ता ने भर दिया है। संघ की पसंद के मामले में भी परवेश वर्मा के मुकाबले रेखा गुप्ता भारी पड़ीं।

 

SP_Singh AURGURU Editor