लेखा परीक्षा विभाग को 16 साल बाद होश आया कि आपत्तियों का निस्तारण करना है

आगरा के लेखापरीक्षा विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। दरअसल विभाग ने शहर की कुछ शिक्षण संस्थाओं को नोटिस भेजकर 12 से 16 साल पुरानी आपत्तियों के निस्तारण के लिए दस्तावेज मांगे हैं। सवाल उठ रहा है कि 16 साल तक विभाग क्या सो रहा था।

Sep 7, 2024 - 11:42
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लेखा परीक्षा विभाग को 16 साल बाद होश आया कि आपत्तियों का निस्तारण करना है

आगरा। स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग द्वारा शहर की कई शिक्षण संस्थाओं से 12 से 16 वर्ष पुरानी आपत्तियों के निस्तारण के लिए साक्ष्य मांगे जा रहे हैं। मतलब विभाग को आपत्तियों के निस्तारण का होश डेढ़ दशक बाद आया है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने स्थानीय निधि लेखापरीक्षा अधिकारी द्वारा इस संबंध में जारी किए गए नोटिसों को लेकर विभाग की मंशा पर सवाल उठाए हैं। साथ ही मुख्यमंत्री से संबंधित अधिकारी की कार्यशैली की जांच कराने की मांग की है। 

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. देवी सिंह नरवार ने नरवार ने बताया कि स्थानीय निधि लेखा परीक्षा आगरा के जिला लेखापरीक्षा अधिकारी शिवानन्द शरण त्रिपाठी ने माध्यमिक विद्यालयों के सम्बन्धित प्रबन्धकों/प्रधानाचायर्यों को 16 वर्ष और 12 वर्ष यानि वर्ष 2008 से 2012 तक की कालावधि की आपत्तियों के निस्तारण हेतु अभिलेख पूर्ण कर साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए पत्र भेजे हैं। 

भेजे गये पत्रों में आपत्तियों की संख्या तो अंकित है परन्तु आपत्तियों की सूची उपलब्ध नहीं कराई गई है। बानगी के तौर पर चन्द्रा बालिका इण्टर कालेज, न्यू आगरा में वर्ष 2012 से पूर्व की 111 आपत्तियों, कन्हींराम बाबूराम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मोतीगंज की वर्ष 2012 से पूर्व की 213 आपत्तियों तथा एमडी जैन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मोतीकटरा की वर्ष 2008 की 446 आपत्तियों के निस्तारण हेतु साक्ष्य मांगे गये हैं। साथ ही संस्था के प्रबन्धक/प्रधानाचार्य को विलम्ब की स्थिति में शासकीय अनुशासनात्मक कार्यवाही की चेतावनी दी गयी है। 

डा. नरवार ने स्थानीय निधि जिला लेखा परीक्षा अधिकारी की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि इन्हें 16 वर्ष पूर्व की आपत्तियों के निराकरण की इतने लम्बे समय के अन्तराल बाद अचानक याद कैसे आयी। चूंकि 16 साल के अन्तराल में आपत्तियों के निस्तारण के लिए कोई भी पत्र व्यवहार नहीं किया गया, फलतः कार्यवाही स्थगित रही है। इसके पीछे क्या कारण रहे। 15-16 वर्ष पूर्व संस्था के प्रबन्धक तथा प्रधानाचार्य के पद पर जो उत्तरदायी व्यक्ति कार्यरत थे, वे इस समय कार्यरत नहीं हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह कार्यवाही केवल उत्पीड़न के लिए की गयी है। स्थानीय निधि लेखापरीक्षा विभाग की इस उदासीनता व लापरवाही के लिए वर्तमान में कार्यरत प्रबन्धक व प्रधानाचार्य कैसे उत्तरदायी हो सकते हैं। 

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SP_Singh AURGURU Editor