आगरा से उठी आवाज, पाम और सोयाबीन की तरह सरसों पर भी सब्सिडी दे सरकार
आगरा। देशी, सस्ता और उच्च गुणवत्ता का उत्पाद है सरसों तेल, जो कि सेहत के लिए वरदान है तो देश के किसानों के लिए आर्थिक मजबूती का आधार। यदि सरकार ध्यान दे तो भारत का तेल उत्पाद तरक्की कर सकता है और देशवासियों को एक अच्छा खाद्य उत्पाद मिल सकता है। 45वीं अखिल भारतीय रबी तेल तिलहन की दो दिवसीय सेमिनार के प्रथम दिन हुए विमर्श सत्र में ये बात तेल उद्यमियों और व्यापारियों ने रखी।

-नवीनतम तकनीक, नीति और व्यापारिक मुद्दों पर चिंतन के साथ चलन और चुनौतियों पर विमर्श
− प्रथम दिन हुआ तेल आयात घटाने पर मंथन, सरसों तेल का पीडीएस के तहत हो वितरण
रविवार को सेमिनार का विधिवत उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्र राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल सुबह 10 बजे करेंगे।
उप्र आयल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय गुप्ता ने बताया कि सेमिनार के प्रथम दिन तेल उद्यमियों और व्यापारियों ने सरसों तेल की पैदावर और व्यवसाय में आने वाली चुनौतियों पर गहन मंथन किया। साथ ही वो संभावनाएं तलाशीं जिनसे सरसों तेल को राष्ट्रीय स्तर के साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ब्रांड के रूप में पेश किया जा सके।
विदेशी तेलों के समानांतर सहूलियतें दे सरकार
राष्ट्रीय कन्वीनर दिनेश राठौर ने बताया कि सरसों तेल देश का उत्पाद है, जो कि आर्थिक रूप से दृढ़ता तो प्रदान कर ही सकता है साथ ही सेहत के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है। बस यही बात यदि सरकार ध्यान रखे और विदेशी तेलों के समानांतर ही सहूलियतें प्रदान करे तो देश को एक अच्छा खाद्य उत्पाद मिल सकता है।
उन्होंने कहा कि विडंबना है कि विदेशी तेल पाम या सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार सब्सिडी प्रदान करती है किंतु सरसों तेल के साथ भेदभाव रखा जाता है, जबकि सरसों का तेल सेहत के लिए लाभकारी है। उन्होंने बताया कि सरसों तेल में ओमेगा 6 होता है जो कि बैड कॉल्स्ट्रोल को कम करता है। खाद्य तेल में कोल्ड प्रैस्ड तेल सबसे अच्छा माना जाता है।
मानकों पर खरा उतरता है सरसों तेल
दिनेश राठौर ने कहा कि सिर्फ सरसों तेल ही है जो इस मानक पर खरा उतरता है अन्यथा रिफाइंड आयल तो 300 डिग्री पर बनता है जो कि स्वभाविक रूप से ट्रांस फैट के रूप में बदल जाता है। खाना पकाने में सबसे ज्यादा सुरक्षित और विश्वसनीय सरसों तेल ही है। ये बात सरकार को समझनी चाहिए और अन्य विदेशी तेलों के समानांतर सब्सिडी की सहूलियत मिलनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि सेमिनार में निर्णय लिया गया है कि सभी तेल उद्यमी एकजुट होकर सरसों तेल की विश्व मंच पर ब्रांडिंग करेंगे। उन्होंने कहा कि सरसों तेल का पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम के तहत वितरण होने से इसकी स्वतः ब्रांडिंग हो सकती है।
पैकर्स के स्तर पर होती है तेल में मिलावट-गुप्ता
उप्र आयल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय गुप्ता ने कहा कि एफएसएसआई जब कोई कार्यवाही करती है तो उस कार्रवाई की चपेट में रिटेलर और उत्पादक दोनों आ जाते हैं जबकि मुख्य आरोपी पैकर्स होते हैं। सरकार के समक्ष मांग रखी जाएगी कि स्थानीय पैकर्स पर कार्रवाई करें, क्योंकि कोई भी तेल मिलर अपने उत्पादन में मिलावट करके अपनी गुणवत्ता या नाम को खराब नहीं करता। मिलावट पैकिंग के स्तर पर होती है। इसमें रिटेलर का भी कोई दोष नहीं होता।
59 फीसदी खाद्य तेल आयात होता है-डाटा
मोपा एवं कुईट के प्रेसीडेंट बाबू लाल डाटा ने कहा कि प्रति वर्ष यह रबी सेमिनार भिन्न-भिन्न स्थानों पर आयोजित होती है। छह वर्ष बाद हमें इस सेमिनार को आगरा में आयोजित करने का मौका मिला है। रबी सेमिनार में देश के खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने और प्रगति के पथ पर अग्रसर करने पर मंथन होता है। देश में जितना तिलहन पैदा होता है या जितना तेल खाया जाता है उसका करीब 59 प्रतिशत तेल विदेश से आयात करना पड़ता है।
रबी फसल के उत्पादन व गुणवत्ता के लिए सेमिनार
कुईट चेयरमैन सुरेश नागपाल ने बताया कि सेमिनार में पूरे देश के तेल तिलहन से जुड़े 1200 से अधिक व्यापारियों उद्योगपतियों, तेल उद्योग की मशीनरी के निर्माणकर्ता एवं खाद्य तेल के पैकिंग में लगने वाले जार बोतल, पाउच एवं इनके साथ इनकी प्रिन्टिंग मैटेरियल के निर्माताओं ने बड़े उत्साह से भाग लिया है। यह सेमिनार रबी फसल के उत्पादन गुणवत्ता एवं इसके भविष्य के लिए आयोजित की गयी है।
पैकेजिंग के मानक एक समान हों
नागपाल ने कहा कि पैकेजिंग के मानक एक समान हों, इसकी मांग भी उठायी गयी है, क्योंकि सरकार ने प्रतिग्राम के अनुसार तेल के भाव तय किये हैं। कुछ ब्रांड 770 ग्राम ही पैकेजिंग में दे रहे हैं जिससे उसकी कीमत कम हो जाती है और अन्य ब्रांड पैकेजिंग में अधिक मात्रा दे रहा है तो उसकी कीमत अधिक रहती है। ग्राहक ये न समझ कर कम भाव वाला तेल खरीद लेता है।
उप्र आयल मिलर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भरत भगत ने कहा कि कुल मिलाकर यह सेमिनार तेल तिलहन का महाकुम्भ है। सेमिनार का आयोजन प्रतिवर्ष, नई दिल्ली, आगरा, भरतपुर एवं जयपुर में स्थान बदल-बदल कर किया जाता है।
सरसों तेल पूर्ण रूप से भारतीय उपज
लघु उद्योग भारती के प्रदेश सचिव मनीष अग्रवाल रावी ने कहा कि सरसों तेल पूर्ण रूप से भारतीय उपज है। सरकार की नीतियां इस उपज को विश्व में ब्रांड के रूप में स्थापित कर सकती हैं। एकजुट होकर सरसों तेल उद्यमियों द्वारा किया गया ये प्रयास निश्चित रूप से देश को बेहतरीन खाद्य उत्पाद देगा और देश में आयात के स्थान पर खाद्य तेल का निर्यात हम कर सकेंगे।
कल होगी इन मुद्दों पर चर्चा
एसोसिएशन के संयुक्त उपाध्यक्ष कुमार कृष्णा गोयल ने कहा कि उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता का खाद्य तेल आसानी से उपलब्ध हो, यही हमारी प्राथमिकता है। सेमिनार के दूसरे दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं केंद्र राज्य मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल के समक्ष वर्तमान की चुनौतियों एवं समाधान रखे जाएंगे ताकि सरकार तक हमारी मांगे पहुंच सकें।
साथ ही सेमिनार में इस वर्ष कितना उत्पादन होगा, उससे कितना तेल बनेगा, देश में मांग क्या है, इत्यादि विषयों पर चर्चा की जायेगी, क्योंकि तिलहनों के उत्पादन खाद्य तेलों के आयात एवं बाजार भाव के परिदृश्य का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। 22-23 मार्च तक रबी कालीन तिलहन फसलों और विशेषकर सरसों की नई फसल की जोरदार कटाई-तैयारी एवं मंडियों में आवक शुरू हो जाएगी। सेमिनार में स्मारिका का विमोचन भी किया जाएगा जिसमें तिलहन-तेल क्षेत्र से सम्बन्धित तमाम जानकारी, आंकड़े तथा सूचना समाहित होंगी।
सेमिनार में ये रहे उपस्थित
सेमिनार के प्रथम दिन कुमार गोयल, विनोद राजपूत, अनिल छतर, अजय झुनझुनवाला, गजेंद्र झा, महेश गोयल, सुनील गोयल, एसके जैन, दीपक गुप्ता, महेश राठौड़, राकेश गुप्ता, मधुकर गुप्ता, वासु पंजवानी, नरेश करीरा, रमन जैन, जयराम, रामप्रकाश राठौड़, जोनू गुप्ता, राघव गुप्ता, संजोग गुप्ता, राजीव गुप्ता आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का प्रबंधन संदीप उपाध्याय एवं सागर तोमर ने किया।