एक रहस्य जो एक पुस्तक के टाइटल पेज का आधार बना
राजस्थान कैडर के आईएएस डा. बीएल स्वर्णकार की पुस्तक ADORN PATH AHEAD” (my Biography ) के टाइटल पेज जुड़ा एक रहस्य भी है। यह रहस्य क्या है, इससे पर्दा उठाया है शिक्षाविद, पूर्व कुलपति एवं ओमान के उच्चायुक्त प्रोफेसर केएस राणा ने।
ADORN PATH AHEAD” (my Biography ) पुस्तक के लेखक डॉ. बीएल स्वर्णकार (आईएएस) पूर्व ज़िलाधिकारी अजमेर (राजस्थान) जब मुझसे मिलकर पुस्तक का ‘टाईटल पेज’ बनाने में कुछ सुझाव लेने आये तो मैंने उक्त चित्र को सराहा। चूंकि ये चयन गंभीर विषय था, किन्तु मैंने तथ्यपरक उत्तर रखा-
भारतीय राजनीति में स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी का अपना युग था। वह विपक्ष ही नहीं. कोंग्रेस में भी स्वीकृत राजनेता थे। उन्हीं की धरती लखनऊ पर अब राजनाथ सिंह उनकी राजनीति के वारिस हैं| विवादों से परे संगठन एवं सरकार में उनकी अलग पहचान है| छात्र राजनीति, युवा संगठन एवं संघ की कार्यशाला में तपा हुआ ऐसा व्यक्तित्व जो पार्टी अध्यक्ष के रूप में कार्यकर्ता तक सीधी पहुंच रखते थे। उनके सुख और दुःख के साथी बनते रहे, क्योंकि युवा मोर्चा से ही पार्टी के मूल कैडर से जुड़ चुके थे।
उनके बारे में विस्तार से कभी फिर लिखूंगा, किन्तु केन्द्रीय गृह मंत्री और रक्षा मंत्री से अधिक कुछ बनने से पूर्व उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने मुझे प्रभावित किया। जब उत्तर प्रदेश में शिक्षा लुट रही थी तो उन्होंने देश के भविष्य युवा पीढ़ी को बचाने के लिए कड़ा कदम उठाया। शिक्षा के मंदिरों की पवित्रता को बचाने के लिए ‘नकल पर नकेल’ लगाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। उसके बाद कोई राजनेता वोट की राजनीति के डर से इस तरह का साहस भी नहीं कर सका। उनका ये कदम मेरे अंतःकरण को छू गया।
मैं आगरा विश्वविद्यालय में नक़लरोधी दस्ते के मुखिया के रूप में पूरे मंडल में चर्चित रहा। फिर पहली बार इतिहास से जुड़े ‘नालंदा विश्वविद्यालय, बिहार’ में कुलपति के रूप में भी कॉलेजों की छतों पर नक़ल माफियाओं के डेरों को उखाड़ने का कार्य मैंने किया। वहां मुझे समाचार पत्रों में छात्र नेताओं ने चम्बल का माफिया तक कहा, किन्तु जब कदम उठे तो मुझे रोक नहीं सके। बिहार की शिक्षा का माहौल बदला, तो उसमें भी राजनाथ जी की प्रेरणा कार्य कर रही थी।
शिक्षा क्षेत्र में विरले ही प्रशासनिक सोच के लोग होते हैं जो हिम्मत जुटाकर समाज के वातावरण को बदलने की सोच रखते हैं, वरना कुर्सी की चिंता करते हुए फिर रिस्क लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। विश्वविद्यालय एवं छोटे शिक्षण संस्थानों के छात्रों से पंगा लेने का साहस कितने राजनेता या शिक्षाविद् जुटा पाते हैं?
मैंने अटल जी एवं चौधरी चरण सिंह की संयुक्त यात्राओं को साथ रहकर देखा था। कितना सम्मान करते थे अटल जी किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह का। यह मुझसे अधिक कौन जानेगा जो उनकी गाड़ी में सवार होकर, पैदल यात्रा में सहभागी बनकर छात्र जीबन में चला। ठीक उसी प्रकार राजनाथ सिंह किसानों से अगाध स्नेह रखते रहे हैं।
मेरे सामने हुई थी वो वार्ता जब राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह की छोटी पार्टी को संभालते हुए चुनावों में साथ दिया। छह सांसद जिताए। चौधरी अजित सिंह को दिए अपने आश्वासन से डिगे नहीं। ये अलग बात है कि वो (अजित सिंह) साथ नहीं रहे। राजनाथ सिंह की कार्यशैली में किसान का दर्द छलकता रहा।
आज भी देश बनाने की बात उठती है तो नौजवान और किसान की चर्चा होती है। पीएम मोदी ने भी अपने एजेंडे में वही फोकस किया हुआ है। मोदी जी के नेतृत्व में 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को उतारने का फैसला भी इन्हीं राजनाथ सिंह का साहसिक कदम था। बीजेपी के तमाम बड़े नेता उस समय लालकृष्ण आडवाणी के अलावा कुछ सोच नहीं पा रहे थे।
अब शायद सभी पाठक जान पाएंगे पुस्तक -“ADORN PATH AHEAD” में टाइटल पेज का रहस्य?
-प्रोफेसर/डॉ. केएस राणा
उच्चायुक्त, ओमान।
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