सांस्कृतिक शो में दिखेगी आगरा की प्राचीन धरोहर जरदोजी की झलक

आगरा। चमकीले धागे को बारीक सुई में पिरोकर कपड़े पर करिश्माई बुनाई की कला जऱदोज़ी है। इसी प्राचीन कला को मंच देने के लिए आगरा विरासत फाउंडेशन द्वारा ताज महोत्सव के अंतर्गत 26 फरवरी को शाम 5:00 बजे से सूरसदन प्रेक्षागृह में सांस्कृतिक शो "जऱदोज़ी हमारी धरोहर, हमारी पहचान" का आयोजन किया जाएगा।

Feb 23, 2025 - 18:40
Feb 23, 2025 - 18:41
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सांस्कृतिक शो में दिखेगी आगरा की प्राचीन धरोहर जरदोजी की झलक
जऱदोज़ी कारीगरी के प्रतीक के रूप में बने अड्डे का विमोचन कर कार्यक्रम की संयुक्त रूप से 'आधिकारिक उद्घोषणा' करतीं डॉ. रंजना बंसल, फैजानउद्दीन, रुचिरा माथुर, गणेशी लाल समूह के अलर्क लाल, अग्रज जैन, डॉ. रेणुका डंग, पूनम सचदेवा, राखी कौशिक, हिमानी सरण, शिवानी मिश्रा और कार्यक्रम की समन्वयक मिनाक्षी किशोर, आयुषी चौबे एवं अन्य।

-जऱदोज़ी: हमारी धरोहर-हमारी पहचान कार्यक्रम 26 फरवरी को सूरसदन में होगा

रविवार को संजय प्लेस स्थित होटल फेयरफील्ड बाय मैरियट में जऱदोज़ी शो का 'आधिकारिक उद्घोषणा' कार्यक्रम आयोजित किया गया। जऱदोज़ी कारीगरी के प्रतीक के रूप में बने अड्डे के विमोचन से पहले इस अद्भुत कला को प्रदर्शित करने के लिए तैयार किए गए सेल्फी पॉइंट का फीता काटकर उद्घाटन किया गया।

उद्घाटन आगरा विरासत फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. रंजना बंसल, ताज हेरिटेज के फैजानउद्दीन, कोहिनूर ज्वेलर्स की रुचिरा माथुर, गणेशी लाल समूह के अलर्क लाल, अग्रज जैन, डॉ. रेणुका डंग, पूनम सचदेवा, राखी कौशिक, हिमानी सरण, शिवानी मिश्रा और कार्यक्रम की समन्वयक मीनाक्षी किशोर और आयुषी चौबे ने संयुक्त रूप से किया।

डॉ. रंजना बंसल ने बताया कि लोग आगरा में पर्यटकों, खासकर विदेशी पर्यटकों के लिए ताज के साथ ही यहां के जऱदोज़ी कारीगरों का हुनर बहुत बड़ा आकर्षण है। शहर की कई प्राचीन गलियों में लंबे समय से जऱदोज़ी के हुनरमंद साधना-रत हैं। उन्होंने बताया कि जऱदोज़ी का काम यूं तो देश के कई अन्य शहरों में भी होता है, लेकिन आगरा में जो काम होता है, वह यूरोपी और खाड़ी देशों की पहली पसंद है। यहां बड़े पैमाने पर थ्रेड पेंटिंग तैयार की जाती है।

आगरा की इस प्राचीन धरोहर और कला को मंच देने के लिए आगरा विरासत फाउंडेशन कल्चरल शो का आयोजन कर रहा है, जिसमें इस कला से जुड़े हुए कलाकार अपनी प्रतिभा के साथ जऱदोज़ी के वर्तमान स्वरूप पर अपने वक्तव्य प्रस्तुत करेंगे। इस आयोजन के माध्यम से जऱदोज़ी के इतिहास को प्रस्तुत किया जाएगा हमारा प्रयास रहेगा कि जऱदोज़ी के कारीगरों के हुनर को और निखारने के लिए यथासंभव प्रयास किए जाएं।

साथ ही आगरा में जऱदोज़ी को किस तरह से ताजमहल की तरह विश्व मानचित्र पर पहचान दिलानी है इसके प्रयास किए जाएंगे उन्होंने बताया कि चमकीले धागे को बारीक सुई में लपेटकर कपड़े पर करिश्मा बुनने की कला जऱदोज़ी है। जऱदोज़ी एक फारसी शब्द है, जिसका संधि-विच्छेद जर + दोजी यानी सोने की कढ़ाई है। भारत में इसका काल ऋग्वेद ही माना जाता है और कहा जाता है कि देवी-देवताओं को सजाने के लिए इस कला का उपयोग किया जाता था।

25 से 30 करोड़ का होता है सालाना निर्यात

ताज हेरिटेज के फैजानउद्दीन ने बताया कि कभी राज दरबारों की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाली जऱदोज़ी कला अब विश्व के कई देशों में पहुंच चुकी है। इस कला से बने परिधान और अन्य वस्तुओं का निर्यात निरंतर बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार, इसके निर्यात में पिछले 5 सालों में दोगुनी से अधिक वृद्धि के साथ यह 25 से 30 करोड़ सालाना पर पहुंच गया है। अमेरिका के अलावा इंग्लैंड, फ्रांस, दुबई, कुवैत आदि देशों में आगरा के जऱदोज़ी  सामान की डिमांड है।

मुख्य रूप से रहे मौजूद

उद्घोषणा कार्यक्रम के मौके पर कोहिनूर ज्वेलर्स के संस्थापक घनश्याम गोपाल माथुर, डीजीसी रेवेन्यू अशोक चौबे, अंकिता माथुर, राशि गर्ग, तूलिका कपूर, आशु मित्तल, दिव्या गुप्ता, सुकृति मित्तल, साक्षी सहगल, श्रुति सिन्हा विशेष रूप से मौजूद रहीं व्यवस्थाएं कीर्ति खंडेलवाल ने संभाली।

 

SP_Singh AURGURU Editor