अहं की बलि चढ़ गई क्षत्रिय समाज की दशकों पुरानी एक परम्परा
आगरा। क्षत्रिय सभा द्वारा दशहरा के मौके पर क्षत्रिय सदन में होने वाली शस्त्र पूजा की परम्परा न टूटे, इसके प्रयास दोपहर तक जारी थे। दोपहर बाद भी ऐसे आसार नहीं दिख रहे थे कि क्षत्रिय सदन में शस्त्र पूजन का कार्यक्रम होगा। वाटर वर्क्स स्थित क्षत्रिय सदन में सन्नाटा पसरा हुआ था। दशहरे के दिन यह सन्नाटा समाज के लोगों को साल रहा था।
दशहरे के दिन क्षत्रिय समाज में शस्त्र पूजन का चलन है। घरों में ज्यादातर क्षत्रिय परिवारों ने शस्त्र पूजन किया होगा, लेकिन क्षत्रिय समाज के भवन क्षत्रिय सदन पर चार दशक से ज्यादा पुरानी शस्त्र पूजन की परम्परा इस बार के दशहरे पर समाज के कुछ लोगों के अहं की बलि चढ़ने जा रही है।
परम्परा भले ही टूट जाए, हम अपना अहं ऊपर रखेंगे। यही कुछ चल रहा है जिला क्षत्रिय सभा में। दो गुटों में बंट चुकी क्षत्रिय सभा में से कोई भी गुट अब क्षत्रिय सदन पर शस्त्र पूजन की परम्परा का निर्वहन नहीं कर पा रहा।
क्षत्रिय सभा में तीन-चार दिन पहले ही विवाद उभरकर सामने आ गया था जब सभा के संरक्षकों ने एक बैठक कर मौजूदा जिलाध्यक्ष अनिल चौहान को कथित अनियमितताओं के आरोप में पदच्युत कर हितेंद्र प्रताप सिंह को नया जिलाध्यक्ष घोषित कर दिया। इसके दो दिन बाद क्षत्रिय सभा के पूर्व जिलाध्यक्षों ने एक बैठक की और कहा कि जिलाध्यक्ष अनिल चौहान द्वारा कोई अनियमितता नहीं की गई है, लिहाजा वे जिलाध्यक्ष बने रहेंगे।
संरक्षकों द्वारा जिलाध्यक्ष बनाए गए हितेंद्र प्रताप सिंह की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। चूंकि दशहरा का त्यौहार नजदीक था और वाटर वर्क्स चौराहा स्थित क्षत्रिय सदन में हर साल इस दिन शस्त्रों का पूजन होता है, इसलिए संरक्षकों द्वारा जिलाध्यक्ष बनाए गए हितेंद्र प्रताप सिंह ने शस्त्र पूजन कार्यक्रम के कार्ड प्रिंट कराकर क्षत्रिय समाज में इनका वितरण भी करा दिया। हितेंद्र प्रताप के कार्ड में शस्त्र पूजन का समय सुबह 7 से 9 बजे रखा गया था।
उधर पूर्व जिलाध्यक्षों द्वारा फिर से बहाल किए गए जिलाध्यक्ष अनिल चौहान ने भी शस्त्र पूजन का कार्यक्रम तय कर लिया। उन्होंने शस्त्र पूजन के लिए सुबह 9 से 12 बजे का समय निर्धारित किया। चूंकि दोनों गुटों के कार्यक्रमों का समय अलग-अलग था, इसलिए किसी को भी इसमें आपत्ति नहीं थी।
बीते कल क्षत्रिय सभा के संरक्षक और पूर्व जिलाध्यक्ष एक बार फिर से क्षत्रिय सदन में जुटे और शस्त्र पूजन के कार्यक्रम को लेकर चर्चा कर ही रहे थे कि थाना हरीपर्वत से एक पुलिस अधिकारी ने वहां पहुंचकर कहा कि शस्त्र पूजन के लिए अनुमति नहीं ली गई है। पुलिस अधिकारी ने दोनों गुटों के अलग-अलग टाइम पर शस्त्र पूजन पर कहा कि इसमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसकी अनुमति ले लें।
अभी यह वार्ता चल ही रही थी कि अनिल चौहान गुट के एक नेता ने ऐलान कर दिया कि अब क्षत्रिय सदन में कोई भी शस्त्र पूजन नहीं करेगा। न हम और न तुम। इसी के साथ यह बैठक खत्म हो गई। इस बैठक में क्षत्रिय समाज के वरिष्ठ नेता विजय पाल सिंह चौहान, आरपी सिंह जादौन, दिनेश प्रताप सिंह, भंवर सिंह चौहान, डा. वीरेंद्र सिंह चौहान समेत अन्य लोग मौजूद थे।
क्षत्रिय सभा में लंबे समय तक जिलाध्यक्ष पद संभाल चुके भंवर सिंह चौहान ने 'औरगुरु' से कहा कि मेरी कोशिश है कि शस्त्र पूजन की परम्परा न टूटे। मैं अभी भी समाज के जिम्मेदार लोगों से बात कर रहा हूं। शस्त्र पूजन शाम को भी हो सकता है। सभी चाहेंगे तो पुलिस से अनुमति भी मिल जाएगी।
इस सारे विवाद में एक सवाल यह उठ रहा है कि शस्त्र पूजन ही तो होना था। जिलाध्यक्ष पद पर दो लोगों के आने से विवाद था तो क्षत्रिय समाज के और भी लोग हो सकते थे, जो इन दोनों कथित जिलाध्यक्षों को एक ओर कर शस्त्र पूजन कर सकते थे। इस दिशा में पूर्व जिलाध्यक्षों और संरक्षकों ने भी नहीं सोचा।
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