फतेहाबाद के तहसीलदार और थाना प्रभारी पर मुकदमा दर्ज होः धनगर  

आगरा। धनगर समाज उत्थान समिति के प्रदेश संतोष धनगर ने धनगर और मझवार समाज के लोगों के जारी हुए जाति प्रमाण पत्रों को लेकर थाना फतेहाबाद में दर्ज कराए गए मुकदमे को विधि विरुद्ध बताते हुए तहसीलदार आशीष कुमार त्रिपाठी के साथ ही फतेहाबाद थाने के प्रभारी के विरुद्ध अभियोग दर्ज किए जाने की मांग की है।

Mar 13, 2025 - 16:43
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फतेहाबाद के तहसीलदार और थाना प्रभारी पर मुकदमा दर्ज होः धनगर   

-जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने का अधिकार राज्य जाति सत्यापन समिति के पास है, तहसीलदार के पास नहीं

-इस समिति के स्तर से कोई कार्रवाई हुए बगैर धनगर समाज के लोगों पर रिपोर्ट दर्ज कराना विधि विरुद्ध

एक बयान में संतोष धनगर ने कहा कि फतेहाबाद के थाना प्रभारी ने तहसीलदार फतेहाबाद आशीष कुमार त्रिपाठी की बेबुनियाद तहरीर के आधार पर रिपोर्ट दर्ज कर ली, जो तत्काल प्रभाव से शून्य घोषित किए जाने योग्य है। उन्होंने कहा कि शासनादेश संख्या 100/2020/1741//26-03-2020, दिनांक 30/07/2020 के अनुसार राज्य जाति सत्यापन समिति से जाति प्रमाण पत्र निरस्त हुए बिना धनगर तथा मझवार अनुसूचित जाति के लोगों के विरुद्ध तथाकथित फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के आधार पर रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई जा सकती।

यह अनुसूचित जाति के लोगों पर अत्याचार (एससी-एसटी एक्ट 1989) के तहत दंडनीय है। इसीलिए थाना प्रभारी दर्ज की रिपोर्ट को शून्य घोषित करके थाना प्रभारी के विरुद्ध भी सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया जाए।

संतोष धनगर ने कहा कि फतेहाबाद के तहसीलदार आशीष कुमार त्रिपाठी ने पहले से अधिसूचित जाति धनगर, मझवार का सर्वे करने/करवाने का दावा किया है जो राष्ट्रपति के आदेश 1950 पर संदेह प्रकट करना है। यह  संविधान के अपमान करने के समान है। किसी जाति का सर्वे उस जाति को अधिसूचित करवाने के लिए किया जाता है, जो तहसीलदार के स्तर का काम नहीं है।

उन्होंने कहा कि जाति प्रमाण पत्र के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा माधुरी पाटिल केस में दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार राज्य जाति सत्यापन समिति में जाति प्रमाण पत्र विधि विरुद्ध पाए जाने पर ही संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध कार्यवाही की जा सकती है। अतः तहसीलदार फतेहाबाद को कोई शिकायत है तो वह मामले को राज्य जाति सत्यापन समिति में भिजवाएं।

धनगर ने कहा कि प्रथम सूचना रिपोर्ट में तहसीलदार फतेहाबाद का यह दावा कि जारी किए गये जाति प्रमाण पत्रों से संबंधित लोग धनगर तथा मझवार जाति के नहीं हैं, पूरी तरह से मिथ्या और आधारहीन है क्योंकि जाति की जांच व्यक्तिगत होती है। तहसीलदार ने एक जिम्मेदार सरकारी अधिकारी होते हुए भी लापरवाहीपूर्ण कृत्य किया है, इसलिए उनके खिलाफ अभियोग पंजीकृत होना चाहिए।

SP_Singh AURGURU Editor