अमेरिका पर बायो हथियार बनाने का रूस ने लगाया आरोप
वॉशिंगटन। हाल के वर्षों में वैश्विक मंच पर बायो वेपन को लेकर विश्व शक्तियों में एक-दूसरे के ऊपर आरोपों में वृद्धि देखी गई है। विशेष रूप से चीन, रूस और अमेरिका के बीच आरोप प्रत्यारोप बढ़े हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान इसकी शुरुआत हुई जब चीन पर वायरस की उत्पत्ति के आरोप लगे। चीन के दृढ़ता से इनकार के बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरस के वास्तविक स्रोत को निर्धारित करने में पारदर्शिता की कमी को एक महत्वपूर्ण बाधा बताया है। इस बीच चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने अमेरिका पर संक्रामक रोगों के खिलाफ रक्षात्मक उद्देश्यों के बजाय बायो वेपन विकसित करने के इरादे से जैविक लैब चलाने का आरोप लगाया है। यूक्रेन पर अपने आक्रमण के बाद से रूस ने भी अमेरिका के खिलाफ इसी तरह के आरोप लगाए हैं।
यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस का कहना है कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन कर रहा है। रूस ने अमेरिका पर मोल्दोवा और रोमानिया के साथ मिलकर जैविक एजेंट बनाने का आरोप लगाया गया, जो चुनिंदा जातीय समूहों को लक्षित करने में सक्षम हैं। रूस ने अमेरिका पर जैव युद्ध के लिए 'रूसी खूनट इकट्ठा करने का भी आरोप लगाया है। अमेरिका ने चीन और रूस दोनों के आरोपों को खारिज किया है। इन आरोपों के संबंध में सबूतों की कमी होने के बावजूद ये आरोप भ्रम जरूर पैदा करते हैं।
बड़ी शक्तियों के बीच आरोपों का यह आदान-प्रदान इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे जैव हथियारों के दावों का उपयोग कूटनीतिक दबाव बनाने और अंतर्राष्ट्रीय धारणाओं को आकार देने के लिए किया जा सकता है। ये आरोप एक बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं। अमेरिका ने चीन और रूस पर कॉग्निटिव वॉर में शामिल होने का भी आरोप लगाया है। इसका उद्देश्य सार्वजनिक धारणा बदलने और निर्णय लेने को प्रभावित करना है।
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