आज 12वां दिन है, आगरा कॊलेज को प्रिंसिपल नहीं मिल पाया
आगरा। आगरा कॊलेज के इतिहास में ऐसा शायद पहली बार हो रहा है जब कॊलेज में परीक्षाओं के दौरान कोई प्राचार्य मौजूद नहीं है। डॊ. अनुराग शुक्ल को प्रिंसिपल पद से हटे हुए आज 12वां दिन है। कॊलेज में परीक्षाएं चल रही हैं और कॊलेज का प्रबंधतंत्र किसी को कार्यवाहक प्रिंसिपल का चार्ज तक नहीं दे पाया है।
-प्रिंसिपल के बगैर चल रही हैं कॊलेज में विवि की परीक्षाएं, नवंबर माह की सैलरी भी नहीं बंट पाई
प्रिंसिपल पोस्ट खाली होने पर नियमानुसार कॊलेज प्रबंध समिति को इसे तुरंत भरने के लिए कदम उठाना चाहिए था। कॊलेज प्रबंध समिति की अध्यक्ष मंडलायुक्त ऋतु माहेश्वरी हैं जबकि जिलाधिकारी समिति के उपाध्यक्ष हैं। इन दोनों ही वरिष्ठ अधिकारियों को कार्यवाहक प्रिंसिपल की नियुक्ति करनी है, लेकिन 11 दिन बीतने के बाद भी यह काम नहीं हो पाया है। हालत यह है कि आगरा कॊलेज में विवि की परीक्षाएं बगैर प्रिंसिपल के हो रही हैं।
प्रबंध समिति को अनुमोदन भी करना है
उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग और उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा डा. अनुराग शुक्ल के बारे में जारी किए गए आदेश का अनुमोदन आगरा कॊलेज की प्रबंध समिति को भी करना है। इसके लिए प्रबंध समिति की बैठक होना जरूरी है। यह बैठक भी अभी तक नहीं हो पाई है।
नवंबर का वेतन भी नहीं बंट पाया
आगरा कॊलेज में नवंबर माह का वेतन अभी तक नहीं बंट पाया है। हर माह की पहली तारीख को टीचिंग और नॊन टीचिंग स्टाफ को वेतन मिल जाया करता था। वेतन तभी बंटता है जब उस पर कॊलेज प्रिंसिपल के हस्ताक्षर हो जाते हैं। चूंकि डॊ. अनुराग शुक्ल 28 नवंबर को ही आगरा से बाहर चले गए थे, इसलिए शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन वितरण अटक गया है।
अब हाईकोर्ट पर हैं सबकी निगाहें
आगरा कॊलेज स्टाफ क्लब के सदस्य हों या फिर नॊन टीचिंग स्टाफ, हर किसी की निगाह आने वाले दिनों में हाईकोर्ट में डॊ. अनुराग शुक्ल की याचिका पर होने वाली सुनवाई पर लगी हुई हैं। डॊ. अनुराग शुक्ल ने उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग द्वारा खुद का अभ्यर्थन शून्य घोषित किए जाने और इसी आधार पर उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा खुद को पद से हटाए जाने को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। डॊ. शुक्ल ने इसमें संबंधित अधिकारियों के अलावा प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय को भी पार्टी बनाया है।
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