आगरा कालेज प्रिंसिपल पद रिक्त घोषित, डा. अनुराग शुक्ला का चयन निरस्त  

आगरा। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग द्वारा विगत 12 नवंबर को आगरा कालेज के प्रिंसिपल डा. अनुराग शुक्ला का अभ्यर्थन शून्य घोषित करने का निर्णय लेने के बाद अब उच्च शिक्षा निदेशक ने डा. अनुराग शुक्ला के प्राचार्य पद पर चयन को निरस्त कर दिया है। निदेशक के आदेश के बाद प्राचार्य पद की आसन व्यवस्था भी निरस्त हो गई है। इसी के साथ आगरा कालेज डा. अनुराग शुक्ला प्रिंसिपल पद से हट गए हैं। प्राचार्य पद अब रिक्त हो गया है।

Nov 28, 2024 - 20:22
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आगरा कालेज प्रिंसिपल पद रिक्त घोषित, डा. अनुराग शुक्ला का चयन निरस्त   

 उच्च शिक्षा आयोग के बुलावे पर डा. अनुराग शुक्ला ने ने विगत 11  नवंबर को आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखा था। 12 नवंबर को आयोग की बैठक में डा. शुक्ल के पक्ष पर विचार करने के बाद प्राचार्य पद पर उनका अभ्यर्थन शून्य अथवा निरस्त करने का निर्णय ले लिया गया था।

 

उच्च शिक्षा चयन आयोग ने निष्कर्ष निकाला था कि डा. अनुराग शुक्ल ने प्राचार्य पद पर नियुक्ति कराने के लिए आयोग के समक्ष शोध संबंधी जो दस्तावेज पेश किए, वे फर्जी थे।

 

बता दें कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के सचिव ने विगत 28 अक्टूबर को डा. अनुराग शुक्ला को एक पत्र जारी कर 11 नवंबर को आयोग के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने को कहा था। 

 

आयोग सचिव के इस पत्र में कहा गया कि आपके (डा. अनुराग शुक्ला) के विरुद्ध कार्यवाहक प्राचार्य एवं आगरा कालेज की प्रबंध समिति के सचिव ने फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर चयन प्राप्त करने एवं पद के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए समुचित कार्यवाही किए जाने का अनुरोध शासन से किया था। 

उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा जांचोपरांत उपलब्ध कराई गई जांच आख्या के परिशीलनोपरांत निष्कर्ष प्राप्त हुआ कि डा. अनुराग शुक्ल वर्णित न्यूनतम अर्हता धारित नहीं करने एवं उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के समक्ष अर्हता पूर्ण करने के लिए कूटरचित एवं आधारहीन अभिलेखों को प्रस्तुत कर चयन प्राप्त करने के दोषी हैं। 

 

उच्च शिक्षा निदेशक की जांच आख्या के आधार पर शासन ने आयोग को आदेशित किया कि आगरा कालेज के प्राचार्य डा. अनुराग शुक्ल के विरुद्ध तत्काल नियमानुसार कार्यवाही करते हुए कृत कार्यवाही से शासन को अवगत कराया जाए। 

 

उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग ने डा. शुक्ल का अभ्यर्थन शून्य घोषित करने से पहले पांच सदस्यीय समिति से जांच कराई। उक्त समिति की आख्या आयोग को विगत 24 अक्टूबर को प्राप्त हुई, जिसे आयोग की इसी दिन हुई बैठक में प्रस्तुत कर इस पर विचार किया गया।

आयोग की पांच सदस्यीय जांच समिति ने भी यही निष्कर्ष निकाला कि डा. अनुराग शुक्ल के प्राचार्य पद के लिए निर्धारित अर्हता की प्रतिपूर्ति में संलग्न किए गए प्रमाण आगरा कालेज के प्राचार्य एवं कालेज प्रबंध समिति के सचिव तथा उच्च शिक्षा निदेशक की जांच में कूटरचित और असत्य पाए गए हैं। यह जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है। 

 

पिछले साल से चल रहा है मामला

आगरा कालेज के प्रिंसिपल डा. अनुराग शुक्ला के खिलाफ पिछले साल जून में से जांच का सिलसिला चल रहा है। लगभग 17 महीने बाद पहले आयोग ने उनका अभ्यर्थन शून्य घोषित किया और अब उच्च शिक्षा निदेशक ने उनके चयन को निरस्त कर आगरा कालेज का प्राचार्य पद रिक्त घोषित कर दिया है।

 

पहली जांच जून 2023 में हुई

डा. अनुराग शुक्ला के खिलाफ पहली जांच जून 2023 में उच्च शिक्षा के संयुक्त निदेशक के नेतृत्व में आगरा आई उच्चस्तरीय कमेटी ने की थी। इसके बाद डा. शुक्ल को निलंबित कर कालेज के ही डा. सीके गौतम को कार्यवाहक प्राचार्य बना दिया गया था। डा. सीके गौतम के प्राचार्य काल में भी चार सीनियर प्रोफेसर्स की टीम ने मंडलायुक्त के आदेश पर घपलों की जांच कर अपनी रिपोर्ट तैयार की थी।  

 

दूसरी जांच इसी साल अप्रैल में

इसी साल 25 और 26 अप्रैल को उच्च शिक्षा निदेशक के नेतृत्व में एक और जांच टीम ने आगरा में दो दिन रुककर आगरा कालेज प्रिंसिपल डा. अनुराग शुक्ल पर लगे आरोपों की जांच की थी। निदेशक की जांच रिपोर्ट के आधार पर ही शासन ने उच्च शिक्षा सेवा आयोग को इस मामले में तत्काल कार्रवाई करने को कहा था। 

 

कोर्ट के आदेश पर मुकदमा भी हो चुका है

शासन स्तर से यह जांच प्रक्रियाएं चल ही रही थीं कि आगरा कालेज बोर्ड आफ ट्रस्टीज के सदस्य सुभाष ढल के प्रार्थना पत्र पर सीजेएम ने आगरा कालेज प्रिंसिपल डा. अनुराग शुक्ल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए थे। थाना लोहामंडी में मुकदमा दर्ज होने के बाद डा. शुक्ला कई सप्ताह तक आगरा से बाहर रहे थे।

 

हाईकोर्ट से भी निराशा हाथ लगी

आगरा में अपने खिलाफ दर्ज मुकदमे के खिलाफ आगरा कालेज प्रिंसिपल डा. अनुराग शुक्ल हाईकोर्ट भी गए। पहले यह मामला हाईकोर्ट की सिंगिल बेंच ने सुना। तथ्यों को देखने के बाद हाईकोर्ट ने डा. शुक्ल को कोई राहत नहीं दी। इसके बाद वे इस मामले को मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में ले गए, लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने भी तीखी टिप्पणी करते हुए उनका यह मामला तुरंत सुनने से इंकार कर दिया था। 

 

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SP_Singh AURGURU Editor