aurguru news करहल के सपाई दुर्ग पर एक बार फिर गोले दागेगी बीजेपी, देखते हैं तोड़ पाती है या नहीं!

मैनपुरी। आगरा मंडल के मैनपुरी जिले की करहल विधान सभा सीट पर एक बार फिर से भाजपा और सपा के बीच दो-दो हाथ होने जा रहे हैं।

Aug 25, 2024 - 16:38
Aug 25, 2024 - 16:42
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aurguru news करहल के सपाई दुर्ग पर एक बार फिर गोले दागेगी बीजेपी, देखते हैं तोड़ पाती है या नहीं!

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के सांसद चुने जाने के बाद यह सीट रिक्त हुई है। करहल राज्य की उन दस विधान सभा सीटों में से एक है जहां उप चुनाव होने हैं। वैसे तो यहां सपा और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार हैं, लेकिन बसपा इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की पूरी कोशिश करेगी। अभी किसी पार्टी की ओर से प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है, लेकिन चुनाव की तैयारी में सभी दल जुट चुके हैं। सपा की ओर से पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव के मैदान में उतरने के संकेत मिल रहे हैं। भाजपा में प्रत्याशी पर मंथन चल रहा है। 
करहल विधान सभा सीट समाजवादी पार्टी के मजबूत गढ़ों में से एक है। यह सपा संस्थापक स्व. मुलायम सिंह यादव का प्रिय क्षेत्र रहा है। करहल मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव सैफई के नजदीक है और इसी कस्बे के जैन इंटर कॉलेज में मुलायम सिंह यादव ने करियर के शुरुआती दिनों में शिक्षण कार्य भी किया था। 2022 के विधान सभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने करहल सीट से ही चुनाव लड़ा था और वे बड़े मतों के अंतर से यह चुनाव जीते थे। भाजपा ने उनके मुकाबले कभी मुलायम सिंह यादव के साथी रहे प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल को उतारा था। चुनाव के वक्त भी प्रोफेसर बघेल केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री थे। जिस सोच के साथ बीजेपी नेतृत्व ने बघेल को चुनाव लड़ाया, उसमें वे कामयाब रहे। बीजेपी जानती थी कि सपा के इस गढ़ को ढहाना मुश्किल होगा। बीजेपी चाहती थी कि अखिलेश को कोई ऐसा नेता टक्कर दे कि वे करहल पर ज्यादा समय देने को मजबूर हो जाएं। बघेल ने अखिलेश के सामने ऐसे ही हालात पैदा कर दिए। खुद का चुनाव जीतने के लिए अखिलेश यादव को अपने पिता को चुनाव प्रचार के लिए बुलाना पड़ा। स्वामी प्रसाद मौर्य की सभा करानी पड़ी। पूरा सैफई परिवार गांव गांव जाकर चुनाव प्रचार कर रहा था। राम गोपाल यादव, शिव पाल सिंह यादव, धर्मेंद्र यादव, आदित्य यादव समेत परिवार के अन्य सदस्य वोटरों को साधे रखने में जुटे रहे थे। अखिलेश यादव ने भी करहल में सघन प्रचार किया था। बीजेपी यही चाहती थी।
माना जा रहा है कि उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की ओर से पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव करहल से चुनाव मैदान में उतरेंगे। अखिलेश यादव के सीट खाली करने के बाद से ही तेज प्रताप यादव करहल क्षेत्र में सक्रिय हो चुके हैं। अभी यह तय नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी इस सीट से किसे चुनाव मैदान में उतारेगी। भाजपा का प्रत्याशी करहल क्षेत्र के सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर तय किया जाएगा। प्रत्याशी जो भी हो, लेकिन भाजपा इस सीट के उप चुनाव को लेकर बेहद गंभीर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय एवं राज्यमंत्री अजीत पाल को को करहल क्षेत्र में लगा दिया है। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को प्रभारी के रूप में सीट का दायित्व दिया गया है। समझा जा सकता है कि मुख्यमंत्री ने तीनों मंत्रियों को इस क्षेत्र के जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर यहां जुटाया है। बृजेश पाठक और योगेंद्र उपाध्याय को ब्राह्मण, जयवीर सिंह को ठाकुर और अजीत पाल को पाल बघेल समाज को साधना होगा। इस लिहाज से तीनों मंत्रियों और उप मुख्यमंत्री के लिए भी ये चुनाव परीक्षा देने जैसा है। चुनाव से पूर्व भाजपा अपने संगठन को भी चुस्त दुरुस्त करने में भी जुट गई है। बीजेपी की कोशिश है कि करहल का चुनाव नतीजा जो भी हो, लेकिन टक्कर ऐसी हो कि सपा के पसीने छुड़ा दिए जाएं।। उधर समाजवादी पार्टी भी इस चुनाव पर पूरा फोकस किए हुए है। सपा की कोशिश है कि उसकी जीत पिछले चुनाव से भी बड़ी हो। सपा के लिए भी यह चुनाव सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण होगा क्योंकि यह सपा का गढ़ तो है ही, यहां से सैफई परिवार के तेज प्रताप यादव के चुनाव मैदान में उतरने के संकेत हैं। परिवार के सदस्य को बड़ी जीत दिलाने पर पूरे परिवार का फोकस होगा।
बहुजन समाज पार्टी ने भी यूपी की दसों सीटों के उप चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है। 2022 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में लगभग सफाया होने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती फिर से पार्टी के पुराने जनाधार को वापस लाने के प्रयास में जुटी हुई हैं। ऐसे में मायावती का प्रत्याशी करहल से भी मैदान में होगा। यह देखना रोचक होगा कि बसपा का प्रत्याशी किसका खेल बिगड़ेगा। पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य भी अपनी पार्टी बना चुके हैं। अगर मौर्य ने यहां अपना प्रत्याशी उतारा तो भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी। इसी प्रकार सांसद चंद्रशेखर आजाद ने अगर आजाद समाज पार्टी का उम्मीदवार लड़ाया तो यह बसपा के लिए चेलैंज होगा। 
जो भी हो, करहल का उप चुनाव बेहद रोचक होने जा रहा है।

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SP_Singh AURGURU Editor