थोड़ी सी नस क्या दबी, चिराग फिर से मोदी के हनुमान बन गए
एक्स पर शनिवार को की गई एक पोस्ट के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान चर्चाओं में हैं। पिछले कुछ समय से अपने बयानों से भाजपा को असहज करते आ रहे चिराग ने एक बार फिर पीएम मोदी के प्रति अपनी निष्ठा दिखाई है।
-एसपी सिंह-
नई दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री चिराग पासवान की जरा सी नस क्या दबी, वे एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हनुमान बन गए हैं। बता दें कि मंत्री बनने के चंद दिनों के भीतर चिराग पासवान ने अपने बयानों से भाजपा को असहज कर दिया था।
चिराग पासवान ने शनिवार को एक्स पर पोस्ट कर कहा कि दुनिया की कोई ताकत मुझे पीएम मोदी से अलग नहीं कर सकती। कुछ लोग सपना देख रहे हैं कि मैं एनडीए और पीएम मोदी से अलग हो जाऊंगा। 2029 के बाद भी नरेंद्र मोदी ही हमारे प्रधानमंत्री रहेंगे और तब भी मैं उनके साथ ही रहूंगा। विपक्ष के लोग दिन में सपना देखने लगते हैं, वो लोग ये सपना देखना छोड़ दें।
बयानों से असहज हो रही थी भाजपा
चिराग पासवान का यह बयान जैसे ही सामने आया, हर कोई चौंक उठा। दरअसल नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद ही चिराग पासवान ने ऐसे-ऐसे बयान देने शुरू कर दिए कि भाजपा नेतृत्व असहज होने लगा। वक्फ बोर्ड में सुधार का बिल सरकार ने संसद में रखा। इसे जेपीसी को भेज दिया गया। इसके बाद चिराग पासवान का बयान आया कि अच्छा हुआ कि यह विधेयक जेपीसी को भेज दिया, अन्यथा हमें इसका समर्थन करने में दिक्कत आती।
चिराग पासवान ने दूसरी बार भाजपा को तब असहज किया जब सुप्रीम कोर्ट से एससी-एसटी आरक्षण के मामले में बेंच के जस्टिस बीआर गवई ने आदेश के परे सुझाव दिया कि उन लोगों को आरक्षण के दायरे से बाहर हो जाना चाहिए जिनका आरक्षण के जरिए स्तर बहुत ऊंचा उठ चुका है। ऐसे लोग सक्षम हैं और उन लोगों को मौका दें जो प्रगति की पंक्ति में सबसे पीछे खड़े हैं।
मंत्री होकर भी विपक्ष जैसा व्यवहार
आरक्षण में से क्रीमी लेयर को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का चिराग ने कड़ा विरोध तब किया जबकि नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट फैसला ले चुकी थी कि सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव को सरकार स्वीकार नहीं करेगी। सरकार ने कैबिनेट में जिस समय ये फैसला लिया, उस बैठक में मंत्री के नाते चिराग पासवान भी मौजूद थे।
ऐसे में चिराग पासवान की भूमिका तो यह होनी चाहिए थी कि वे एससी-एसटी समुदाय के लोगों को बताते कि सरकार ने क्रीमी लेयर को आरक्षण बाहर करने को सुझाव को अस्वीकार कर दिया है। फैसला होने और सब कुछ जानने के बाद भी चिराग पासवान का विपक्षी दल जैसा बयान भी भाजपा को नागवार गुजरा।
यही नहीं चिराग पासवान की पार्टी ने इसी मुद्दे को लेकर हुए भारत बंद का समर्थन भी किया। यह बंद भी सरकार के फैसले के बाद बुलाया गया था। और तो और, सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने स्वागत किया तो चिराग पासवान ने उन्हें भी आड़े हाथ ले लिया था।
विपक्ष को अच्छे लगने लगे थे चिराग
चिराग पासवान के इन तीखे बयानों के बाद विपक्षी दलों को यह आस बंधने लगी थी कि चिराग पासवान पीएम मोदी का साथ छोड़कर उनके साथ आ जाएंगे। भाजपा नीत एनडीए में भी चिराग पासवान के बयानों को लेकर चर्चाएं होने लगी थीं।
चाचा पारस हैं चिराग की कमजोर नस
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चिराग पासवान की इस तीखी बयानबाजी के बीच पिछले दिनों चिराग के चाचा पशुपतिनाथ पारस को मुलाकात के लिए दिल्ली बुला लिया। गृहमंत्री ने पशुपतिनाथ पारस को भरोसा दिलाया कि बिहार के अगले विधान सभा चुनाव में उनके बेटे प्रिंस पारस को चुनाव लड़ने का मौका दिया जाएगा।
बुरे दिनों के बाद मिली है सत्ता
पिता रामविलास पासवान की मौत के बाद चिराग पासवान ने कई वर्ष संकट में अकेले ही गुजारे थे क्योंकि पार्टी पर उनके चाचा पशुपतिनाथ पारस ने कब्जा कर लिया था। पारस के अलावा तीन अन्य सांसद भी उन्हीं के साथ थे। संकट के उस दौर में चिराग पासवान बार-बार खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताते रहे थे।
इधर चिराग ने बिहार में जनता के बीच अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी। लोकसभा चुनाव आया तो भाजपा ने भी चिराग को मोदी भक्ति का इनाम दिया। भाजपा ने चिराग पासवान की पार्टी से पैक्ट कर उन्हें लड़ने के लिए बिहार की पांच सीटें दीं। पांचों सीटों पर चिराग के प्रत्याशी जीत गए। चुनाव से पूर्व भाजपा ने ही चिराग और नीतीश कुमार की दूरियां भी खत्म कराईं। यह मोदी भक्ति का ही फल था कि चिराग पासवान कैबिनेट मंत्री तक जा पहुंचे।
केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद मिलते ही चिराग पासवान ने उड़ना शुरू किया तो गृह मंत्री अमित शाह को उनके चाचा पशुपतिनाथ पारस का ख्याल आ गया। 2024 के चुनाव में अमित शाह ने ही पारस को यह कहकर मनाया था कि भले ही उन्हें एक भी सीट पर लड़ने का मौका नहीं मिल रहा है, लेकिन चुनाव बाद उन्हें उचित सम्मान दिया जाएगा। समझा जा सकता है कि चाचा पारस की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद ही चिराग पासवान चौकन्ना हुए और एक बार फिर पीएम मोदी के हनुमान बन गए।
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