पढ़ी-लिखी युवती का डिजिटल अरेस्ट होकर 13 लाख गंवाना चौंकाता है  

आगरा। शाहगंज थाना क्षेत्र के वेस्ट अर्जुन नगर की एक पढ़ी लिखी युवती के चार दिन डिजिटल अरेस्ट रहने और लगभग साढ़े तेरह लाख रुपये गंवाने की घटना चौंकाने वाली है। डिजिटल अरेस्ट के ढेरों मामले सामने आने और निरंतर जागरूकता अभियान चलाए जाने के बावजूद एक युवती का इस तरह ठगा जाना गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। युवती थोड़ा सा भी दिमाग चलाती तो इस ठगी से बच सकती थी।

Feb 21, 2025 - 08:54
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पढ़ी-लिखी युवती का डिजिटल अरेस्ट होकर 13 लाख गंवाना चौंकाता है   

नोएडा की कंपनी में कार्यरत नेहा नामक युवती को डिजिटल अरेस्ट कर ठगी का सिलसिला आठ फरवरी से शुरू हुआ और चार दिन तक चला। पूरे चार दिन तक यह युवती अपने स्तर से मामले को हैंडल करती रही। पुलिस को न सही, परिवार से जिक्र भर कर लेती तो भी वह ठगी से बच जाती। 

ठगों ने इस युवती को सबसे पहले कोरियर कंपनी का कर्मचारी बनकर कॊल किया और बताया कि उसके आधार से बैंकाक के लिए भेजा गया कोरियर जांच में पकड़ा गया है, जिसमें प्रतिबंधित ड्रग्स, पांच पासपोर्ट, डेबिट कार्ड, लैपटॊप और कुछ कपड़े मिले हैं। ड्रग्स के नाम से डराकर ठगों ने युवती को इतना भयभीत कर दिया कि वह नोएडा से आगरा आई और 13.41 लाख रुपये ठगों को ट्रांसफर कर दिए। इतना ही नहीं, युवती जब नोएडा से आगरा आ रही थी तो ट्रेन में भी लगातार डराते रहे।

ठगी इस अंदाज में की गई कि युवती इनके षडयंत्र को सच मान बैठी। कोरियर कंपनी का कर्मचारी बनकर फोन करने वाले ने किसी दूसरे को फोन ट्रांसफर किया, जिससे बातचीत के दौरान ऐसी आवाज सुनाई पड़ रही थी मानो पुलिस स्टेशन हो और वहां वायरलेस सेट चल रहा हो। इस दूसरे शातिर ने युवती को और अधिक डराने के लिए यहां तक कह दिया कि उसके आधार का इस्तेमाल गोवा समेत कई अन्य जगहों पर भी हुआ है। ठगों ने इसके बाद वीडियो कॊल किया। कॊल पर दिख रहा व्यक्ति पुलिस की वर्दी में था। युवती को सीबीआई का एक नोटिस दिखाया।

वीडियो कॊल करने वाले ने तो 90 दिन तक रिमांड पर रखने की बात कहकर नेहा को बुरी तरह डरा दिया था। ये सारे के सारे फ्रॊड युवती से एक ही बात कहते रहे कि फोन न काटे। इसके बाद भयभीत नेहा 11 फरवरी को आगरा आई। पैसे ट्रांसफर किए और फिर अगले दिन नोएडा लौट गई। बाद में ठगी का अहसास होने पर उसकी ओर से शाहगंज थाने में रिपोर्ट लिखाई गई।

इस सारे घटनाक्रम पर नजर डालें तो यह जानकर हैरानी होती है कि एक पढ़ी लिखी युवती कैसे इन ठगों को नहीं पहचान पाई। पहली बात तो यह कि अगर कोरियर पकड़ा जाता तो कोरियर कंपनी वाला फोन क्यों करता। जिस दूसरे व्यक्ति ने बात की थी, वह पुलिस वर्दी में था और सीबीआई का नोटिस दिखा रहा था। अगर नेहा पुलिस और सीबीआई का अंतर जानती होती तो शायद ठगी का शिकार न होती। यही नहीं, ऐसे मामले को कस्टम विभाग पकड़ता है, न कि सीबीआई। कानून की साधारण सी यह जानकारी भी नेहा को बचा सकती थी कि पुलिस या कोई भी जांच एजेंसी अदालत के आदेश के बगैर किसी को 90 दिन के रिमांड पर नहीं रख सकती।

SP_Singh AURGURU Editor