कट्टरपंथियों को समझाना जरूरी कि हिंसा बंद न हुई तो बांग्लादेश का भविष्य अच्छा नहीं

आगरा। सनातन चेतना मंच की आगरा इकाई द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर आज आयोजित संगोष्ठी में कहा गया कि बांग्लादेश के कट्टरपंथियों के ऊपर दबाव बनाकर उन्हें यह समझाया जाना जरूरी है कि अल्पसंख्यकों पर हिंसा बंद कर दो, नहीं तो बांग्लादेश का भविष्य अच्छा नहीं है। बांग्लादेश के बहुसंख्यकों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उनके धर्म के लोग भी किसी देश में अल्पसंख्यक हैं।

Dec 10, 2024 - 21:33
Dec 10, 2024 - 22:48
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कट्टरपंथियों को समझाना जरूरी कि हिंसा बंद न हुई तो बांग्लादेश का भविष्य अच्छा नहीं
विवि के संस्कृति भवन में मंगलवार को मानवाधिकार दिवस पर हुई संगोष्ठी को संबोधित करते बीएसएफ के पूर्व डीआईजी राम अवतार सिंह। दूसरे चित्र में दीपक जलाते आईजी जोन, रामअवतार सिंह, कुलपति प्रो. आशू रानी एवं अन्य।   

- संस्कृति भवन में मानवाधिकार दिवस पर संगोष्ठी में बोले आईजी जोन

- विवि की कुलपति प्रो. आशू रानी ने कहा- याद रखिए, बंटेंगे तो कटेंगे

 

डॊ. भीमराव आंबेदकर के संस्कृति भवन में हुई इस संगोष्ठी का विषय भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यक एवं हिंदू समाज के ऊपर हो रहे अत्याचार था। मुख्य वक्ता आईजी आगरा जोन दीपक कुमार ने कहा कि बांग्लादेश की हिंसक घटनाएं निंदनीय हैं। बांग्लादेश में यह जो घटनाक्रम चल रहा है, इसके पीछे एक सोची समझी साजिश है। अल्पसंख्यकों के ऊपर पहले भी हमले होते रहे हैं परंतु पांच अगस्त के बाद जिस तरीके से सत्ता पलट हुआ उसमें एक बड़ी साजिश थी।

 

उन्होंने कहा कि इस्कॉन मंदिर द्वारा बाढ़ के समय में बांग्लादेश के आम जनमानस की बहुत सहायता की गई परंतु उसके बाद भी संत चिन्मयदास को फंसाना और उनकी गिरफ्तारी बहुत ही दुखद हैबांग्लादेश में सुनियोजित तरीके से हिंदू आबादी का कम होना भी चिंताजनक है  पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश की तरक्की के लिए और वहां नागरिकों को समानता के साथ देखते हुए कोई भेदभाव नहीं किया, जिसके कारण बांग्लादेश की आर्थिक उन्नति भी हुई।

 

आईजी दीपक कुमार ने कहा कि जल्दी ही जन जागरण द्वारा पूरे भारतवासियों को एकत्रित कर पूरे विश्व को संदेश दिया जाना चाहिए कि बांग्लादेश में जो कुछ अल्पसंख्यकों पर हो रहा है, वह नहीं होना चाहिए। पूरे भारत के लोग बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के साथ खड़े हुए हैं। वसुधैव कुटुंबकम ही भारत की ताकत है। हम सभी को ह्यूमन राइट के ग्रुपों को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए आह्वान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के कट्टरपंथियों को यह बताना भी जरूरी है कि हिंसा बंद नहीं हुई तो यह बांग्लादेश के लिए अच्छा नहीं होगा।

 

बीएसएफ के पूर्व डीआईजी राम अवतार सिंह ने कहा कि जिस देश की नींव ही हिंसा से जुड़ी हुई हो, उस देश की उन्नति स्थाई नहीं हो सकती। हिंसा से किसी का भला नहीं हो सकता। बांग्लादेश के बहुसंख्यकों को याद रखना चाहिए कि उनके धर्म के लोग भी किसी देश में अल्पसंख्यक हैं।

 

उद्योगपति एवं समाजसेवी भवेश अग्रवाल ने कहा कि हिंदुओं के खिलाफ घटनाएं होना चिंताजनक हैं। जून 2023 के बाद से हिंसक घटनाएं हिंदुओं के खिलाफ बढ़ी हैं। हिंदुस्तान में अल्पसंख्यक पूर्ण सुरक्षित हैं, परंतु बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न और उन पर अत्याचार हो रहा है।

 

गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहीं विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर आशू रानी ने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि बटेंगे तो कटेंगेबांग्लादेश की स्थिति बहुत ही नारकीय है। अल्पसंख्यकों की महिलाएं और बेटियां सुरक्षित नहीं हैं।  हम सबको जातिपात छोड़कर एकजुट होना पड़ेगा, तभी हिंदू दुनिया में सुरक्षित रह पाएगा।

 

गोष्ठी में अश्वनी वशिष्ठ और अनुज पाराशर ने विचार रखे। प्रोफेसर बी. शुक्ला ने अतिथियों का परिचय कराया। कार्यक्रम का संचालन निर्मला दीक्षित ने किया। एकल गीत संजय मगन ने प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन सनातन चेतना मंच के संयोजक पंकज खंडेलवाल ने किया।

 

इस मौके पर संतोष उपाध्याय, राजन सिंह, सीए संजीव माहेश्वरी, देवेंद्र त्यागी, विभाग प्रचारक आनंद कुमार, डॉ. प्रशांत गुप्ता, डॉ. मुनीश्वर गुप्ता,  सुनील दीक्षित चिंतक किशन आदि की मौजूदगी उल्लेखनीय थी।

 

 

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