नगर निगम शहरवासियों को धोखा दे रहा या स्वच्छता सर्वेक्षण टीम को?
आगरा शहर आजकल साफ सुथरा दिखने लगा है। सड़कों को देखकर लगने लगा है कि आगरा वाकई एक शहर है। यह हुआ है स्वच्छता सर्वेक्षण करने आने वाली टीम को सब कुछ अच्छा दिखाने के लिए। सवाल यह है कि क्या नगर निगम की प्राथमिकता स्वच्छता सर्वेक्षण तक सीमित हो गई है।

स्वच्छता सर्वेक्षण के मौके पर शहर को साफ सुथरा किया जा सकता है तो तो हमेशा क्यों नहीं?
गौरव चौहान-
आगरा। बहुत अच्छी बात है कि आगरा नगर निगम इन दिनों शहर को चमकाने में लगा हुआ है। हर छोटी से लेकर बड़ी बात पर ध्यान दिया जा रहा है। कहीं कोई कमी न रह जाए, इसका ध्यान रखा जा रहा है। यह हो रहा है स्वच्छता सर्वेक्षण में आगरा को सबसे ज्यादा स्वच्छ दिखाने के लिए। इस सर्वेक्षण के बहाने ही सही, आगरा साफ सुथरा तो दिखने लगा है, लेकिन सवाल यह है कि यह सब कुछ इस विशेष मौके पर ही क्यों हो रहा है? जिन आगरावासियों से नगर निगम टैक्स वसूलता है, क्या वे हमेशा इसी तरह के साफ सुथरे में आगरा में रहने के पात्र नहीं हैं। मात्र सर्वेक्षण के लिए आगरा का चमकाने पर तो यही कहा जा सकता है कि नगर निगम के अधिकारी किसे धोखा दे रहे हैं, खुद को, आगरावासियों को या फिर स्वच्छता सर्वेक्षण करने पहुंच रही टीम को?
कोशिश यही कि कहीं कोई कमी न दिखे
भारत मिशन के तहत देश भर में चल रहे स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 को लेकर आगरा नगर निगम भी आगरा को सजाने और संवारने में जुटा हुआ है। सड़कें साफ सुथरी दिखें, कहीं पर बिल्डिंग मटीरियल सड़क किनारे न दिखे। पार्क सुंदर दिखें, सड़कें गड्ढामुक्त हों, सार्वजनिक शौचालय एकदम से साफ सुथरे दिखाई दें आदि समेत न जाने क्या-क्या जतन कर रहे हैं नगर निगम के अधिकारी। कूड़ा निस्तारण, डोर-टू-डोर कलेक्शन, कूड़ा न जलाने की सख्ती, शौचालयों की सफाई और सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ेदान लगाने जैसे कार्य प्राथमिकता में रखे गए हैं। नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल तो स्वच्छता सर्वेक्षण में आगरा को अच्छी रैंकिंग दिलाने के लिए पिछले कई सप्ताह से दफ्तर में बहुत कम बैठे हैं। उनका ज्यादातर समय फील्ड में ही गुजर रहा है।
सुधार दिखने लगा है सड़कों पर
पिछले कुछ सप्ताह के भीतर आगरा में बहुत कुछ सुधार हुआ है। यह मुख्य सड़कों पर दिखने भी लगा है। हालांकि अभी भी बस्तियों में स्थिति ज्यादा नहीं सुधरी है। अभी कई क्षेत्रों में नियमित कूड़ा उठाने की व्यवस्था अब भी प्रभावी नहीं है। खुले में कूड़ा फेंकने की समस्या बनी हुई है। सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति भी दयनीय है।
क्या स्वच्छता रैंकिंग ही है प्राथमिकता?
आगरा को साफ सुथरा दिखाने के लिए इन दिनों जो कुछ हो रहा है, क्या ऐसा हमेशा नहीं होते रहना चाहिए। क्या आगरा नगर निगम शहर साफ और सुंदर दिखे, इस पर तभी ध्यान देगा जब स्वच्छता सर्वेक्षण होना होगा। क्या नगर निगम की प्राथमिकता स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंक लाने तक सीमित रह गई है। सर्वेक्षण से पहले और सर्वेक्षण के बाद आगरा के लोगों को हमेशा ऐसी ही सफाई नहीं मिलनी चाहिए। नगर निगम सर्वेक्षण के मौके पर शहर को सुधार सकता है तो हमेशा ऐसा क्यों नहीं हो सकता।
क्या बदलेगी तस्वीर?
अगर नगर निगम सिर्फ स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए विशेष सफाई अभियान तक सीमित रहता है, तो यह प्रयास सिर्फ हवा-हवाई ही साबित होंगे। जरूरत है स्थायी समाधान और सख्त क्रियान्वयन की, जिससे आगरा वास्तव में स्वच्छ और सुंदर बन सके।
सर्वेक्षण के बाद वही पुराना ढर्रा
स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान ही सफाई का स्तर सुधरता दिखता है, लेकिन जैसे ही यह सर्वेक्षण समाप्त होता है, सफाई अभियान की गति धीमी हो जाती है। राजेश कुमार का कहना है कि नगर निगम के कर्मचारी सर्वेक्षण के दौरान ज़ोर-शोर से सफाई करते हैं, लेकिन साल भर कोई देखने तक नहीं आता। गलियों में गंदगी का ढेर रहता है, कूड़ा समय पर नहीं उठाया जाता और नालियां लब लबलबाती रहती हैं।
टीम निरीक्षण तक सीमित न रहे, हकीकत जाने
स्वच्छता सर्वेक्षण करने वाली टीम केवल निरीक्षण तक सीमित रहती है। क्या इस टीम ने कभी नगर निगम की वास्तविक कार्यशैली पर ध्यान दिया है कि सामान्य दिनों में यहां क्या हालात होते होंगे। टीम को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि निरीक्षण के समय शहर जैसा दिख रहा है, वैसी ही सफाई हमेशा रहती है या नहीं। शहरवासियों का कहना है कि सफाई व्यवस्था केवल सर्वेक्षण के दौरान नहीं, बल्कि पूरे साल बेहतर होनी चाहिए। सरकार और प्रशासन के प्रयासों को तभी सार्थक माना जाएगा, जब स्वच्छता केवल रैंकिंग तक सीमित न रहकर, वास्तव में शहरवासियों को साफ-सुथरा वातावरण देने का माध्यम बने। अब देखना यह होगा कि आगरा नगर निगम इस पर क्या कदम उठाता है और क्या स्वच्छता सर्वेक्षण के बाद भी यह सफाई अभियान जारी रहता है या फिर हमेशा की तरह ढीला पड़ जाता है।