सफलता चाहते हैं तो प्रसन्न रहिए: राजन जी

आगरा। मानस मर्मज्ञ राजन जी महाराज का कहना है कि प्रसन्नता पूर्वक जिस कार्य को करेंगे, उसमें सफलता अवश्य मिलेगी। हनुमान जी भी राम जी के हर कार्य को प्रसन्नता के साथ करते हैं, जिससे वे उसमें सफल होते हैं।

Feb 25, 2025 - 20:43
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सफलता चाहते हैं तो प्रसन्न रहिए: राजन जी

बल्केश्वरनाथ महादेव मंदिर में सात दिवसीय श्रीराम कथा का मंगलवार को विश्राम हो गया। नवम सत्र में सुंदरकांड और श्रीराम के राज्याभिषेक का प्रसंग सुनाया। राजन जी ने कहा कि गुरु रामदास महाराज ने एक मंत्र दिया है- श्री राम जय राम, जय-जयराम। इसका 11 बार जाप करें, सभी कार्य सफल होंगे। हर काम को श्रीराम का काम समझ करना चाहिए। हनुमान जी भी कहते हैं कि-राम काज कीन्हे बिना मोहे कहां विश्राम। 

कथा व्यास राजन जी ने संत कबीर दास का पद सुनाया-संतन के संग लाग रे, तेरी अच्छी बनेगी। अच्छी बनेगी, तेरी बिगड़ी बनेगी।

लंका पहुंचने पर हनुमान जी विभीषण के घर को पहचान लेते हैं। वे कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को बताना नहीं पड़ता कि वह श्रेष्ठ है। व्यक्ति की श्रेष्ठता स्वयं दिखाई देती है। किसी भक्त को सिद्ध नहीं करना पड़ता कि उसमें कितनी बड़ी भक्ति है। लंका में विभीषण रहते थे, लेकिन उनके आवास के सामने पहुंचते ही लगता था कि श्रीराम का कोई भक्त यहां रहता है। 

उन्होंने कहा कि व्यक्ति को सत्य मार्ग पर निरंतर चलते रहना चाहिए। चिंता नहीं, चिंतन करना चाहिए। जीवन यूं ही पार हो जाएगा। उन्होंने भजन सुनाया-जब चरण में रख दिया माथ तो किस बात की चिंता। लंका में सीताजी की सेवा में लगी राक्षसी त्रिजटा के बारे में उन्होंने कहा कि वह श्रीराम की भक्त थी। उसे रावण ने जानबूझ कर माता जानकी की सेवा में इसलिए लगाया था कि सीताजी अपने मन की बात त्रिजटा से कहते रहें और रावण को सारी बातें पता चलती रहें। 

आरती करने वालों में महेशचंद अग्रवाल, नेमीचंद अग्रवाल, अजय गुप्ता, भोलानाथ अग्रवाल, ऋषि अग्रवाल आदि प्रमुख थे।