यहां अगर कोई नाव हादसे का शिकार हुई तो लोग खुद को घड़ियालों से कैसे बचा पाएंगे?
आगरा। पिनाहट थाना क्षेत्र में चंबल नदी के क्योरी घाट पर प्रशासन को क्या किसी बड़े हादसे का इंतजार है? इस घाट पर एक नहीं, तमाम नावें अवैध रूप से संचालित हैं। सुरक्षा मानकों का कतई ध्यान नहीं रखा जा रहा। नाव में ठूंस-ठूंस कर लोगों को भर लिया जाता है। न कोई लाइफ जैकेट होती है और न ही सुरक्षा उपकरण।
- चंबल के क्योरी घाट पर लोगों की जान जोखिम में डाल कर संचालित हैं अवैध नावें
बता दें कि कुछ समय पहले एक नाव डूबने की घटना हो चुकी है। वह तो गनीमत थी कि नाव किनारे से ज्यादा दूर नहीं थी इसलिए उस हादसे में नाव में सवार सभी लोगों की जान बच गई थी। उसके बाद भी इलाका पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी इससे बेखबर हैं।
नाव से लोगों को इस पार से उस पार ले जाने पर की रोक तो नहीं है लेकिन इसके लिए अनुमति भी लेनी होती है। नाविकों के लिए यही रोजगार का जरिया है। नाविकों को रोजगार भी मिलना चाहिए, लेकिन लोगों की जान जोखिम में डालकर नहीं। चंबल के क्योरी घाट पर लोगों के जीवन को खतरे ने डालकर नावें चलाई जा रही हैं।
इस घाट से कुछ नावों का एक वीडियो भी वायरल है, जिसमें नावें लोगों से खचाखच भरी हैं। उसमें बाइक भी रखी हैं। प्रति यात्री 100 और 200 बाइक सहित वसूले जा रहे हैं।
चंबल पर पुल न होने के कारण उत्तर प्रदेश से मध्य प्रदेश सीमा में आने-जाने के लिए लोग नावों का सहारा लेने को मजबूर हैं। नावों में क्षमता से अधिक लोगों के बैठने से हादसे का डर लगा रहता है।
बता दें कि चंबल बहुत गहरी नदी है। सामान्य दिनों में भी यहां नदी में पानी की गहराई इतनी ज्यादा होती है कि लोग तो दूर, जानवर भी इसे पार नहीं कर पाते हैं। यही नहीं, चंबल का यह क्षेत्र घड़ियालों का अभ्यारण भी है और यहां हजारों की संख्या में घड़ियाल चंबल के पानी में विचरण करते हैं।
जरा सोचिए कि असुरक्षित तरीके से चलाई जा रही नावों में से कोई नाव अगर चंबल के बीच धार में किसी वजह से हादसे का शिकार हो गई तो उसमें सवार लोगों का क्या होगा। वह अपने आप को गहराई वाली जलराशि से बचाएंगे या फिर घड़ियालों से।
अभी कुछ दिन पहले ही चंबल के एक अन्य घाट पर चंबल में नहाते एक नाविक के पैरों को घड़ियाल ने जकड़ लिया था, जिससे आसपास ही मौजूद लोगों ने वह मुश्किल बचाया था। क्योरी घाट पर जो नावें चल रही हैं, उनमें सवार होने के लिए लोगों को थोड़ी दूर तक चंबल के पानी में पैदल ही चलना पड़ता है। इससे घड़ियाल जैसे जलीय जीवों का भी खतरा बना रहता है।
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