अकेले रह रहे बुजुर्गों को आपकी जरूरत है, पड़ोसी धर्म निभाएं, नगर निगम और प्रशासन भी आगे आए
अकेलेपन के साथ जीवन गुजार रहे लोगों को सहारे की जरूरत है। आगरा में कुछ समय के दौरान दो ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें अकेले रह रहे दो वृद्धजन अपने ही घर में मृत हालत में पाए गए। इसकी भनक न पड़ोसियों को लगी और न ही उनके रिश्तेदारों को। शहर में और भी बुजुर्ग हैं जो अकेले रहते हैं। क्या हमारा फर्ज नहीं बनता कि इन बुजुर्गों का ध्यान रखें।
कुछ समय पहले साकेत कॉलोनी के एक घर में वृद्ध और अब आवास विकास कालोनी के बंद घर से एक रिटायर्ड शिक्षिका का शव मिला, जो तीन दिन पहले सद्गति को प्राप्त हो गई थीं।
ये दो मामले बहुत गंभीर और सोचने का विषय है। इस पर सरकार और प्रशासन के साथ जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद, विधायक, इलाके के पार्षद के साथ पड़ोसियों को बहुत ही जिम्मेदारी का निर्वाह करना होगा।
गोल्डन एज कुछ बातों की ओर इन सभी का ध्यान इंगित करती है। पुलिस, प्रशासन को कॉलोनीवासियों और पार्षदों के सहयोग से निम्न कार्य करने होंगे। पहला तो यह कि ऐसे एकाकी जीवन जी रहे वृद्घजन, जो चाहे किसी भी परिस्थिति में अकेले रह रहे हों, उनकी इलाका पुलिस और पार्षद के पास पूरी डिटेल होनी चाहिए। हर दो दिन बाद पार्षद, पुलिसकर्मी या पड़ोसियों को उसकी कुशलझेम पूछते रहना चाहिए।
ऐसे व्यक्तियों को सोशल नेटवर्किंग से भी जोड़ना आवश्यक है। ध्यान रखने का दायित्व निभाने वालों को बताया जाए कि अगर वह दो दिन तक व्हाट्सएप के किसी ग्रुप पर या फेसबुक पर नजर नहीं आते हैं तो उनकी खैरखबर लेने के लिए हम लोगों को तत्परता दिखानी होगी।
ऐसे बुजुर्गों के पास एक अलार्म की भी व्यवस्था हो, जो किसी भी अनहोनी के समय पर अलार्म को दबाकर अपने लिए सहायता प्राप्त कर सकें। दूध वाला, सब्ज़ी वाला, सफ़ाई कर्मचारी और नगर निगम के डोर कलेक्शन वाले भी इस काम में बहुत कारग़ार साबित हो सकते हैं।
इसी तरीके की तमाम अन्य व्यवस्थाएं सामाजिक संस्थाएं भी सोचें और अकेले रहने वाले बुजुर्गों का ध्यान रखने में सहयोग करें। थोड़ा ध्यान देकर हम उन्हें सही समय पर चिकित्सा सुविधा के साथ ही उनके साथ होने वाली किसी भी अनहोनी से उन्हें बचा सकते हैं।
मैंने इन सुझावों से संबंधित एक पत्र पुलिस और अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ ही सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों को भी भेजा था। पुनः यह पत्र भेजा है। नगर आयुक्त से विशेष आग्रह किया है कि वह पार्षदों के साथ बैठकर इस पर एक ठोस रणनीति बनाएं। पुलिस भी इसमें अपनी भूमिका निभाए। सांसद और विधायक इस व्यवस्था को बनाने में तेजी ला सकते हैं।
-राजीव गुप्ता जनस्नेही की कलम से
-सीईओ, गोल्डन एज
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