aurguru news: रोपवे के जरिए झट से बरसाना के लाड़लीजी मंदिर पहुंच रहे भक्तजन, जन्माष्टमी पर भारी भीड़
बरसाना/मथुरा। राधारानी मंदिर तक पहुंचने के लिए रोपवे की शुरुआत होने के साथ ही यहां पहुंचने वाले भक्तजनों ने इस सुविधा का लाभ लेना शुरू कर दिया है। सौ रुपये का टिकट लेकर तीन मिनट के अंदर लाड़लीजी के मंदिर तक पहुंच रहे हैं। आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है, इसलिए बृज के सभी मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है।
बरसाना के राधारानी मंदिर में भी बड़ी संख्या में भक्तजन पहुंच रहे हैं। रोपवे के जरिए भक्तों में होड़ लगी हुई है।
रोपवे सेवा में सौ रुपये की टिकट में वापसी भी शामिल है। मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत यह परियोजना 15.89 करोड़ रुपये की लागत से क्रियान्वित की गयी है। दो टॉवरों पर संचालित रोपवे पर इंडोनेशिया, जर्मनी और चीन से आयातित दर्जनभर रंग-बिरंगी ट्रॉलियां बरसानावासियों ही नहीं, यहां पहुंचने वाले भक्तों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह रोपवे प्रथम है। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर 25 अगस्त को बहुप्रतीक्षित रोपवे का उद्घाटन रिमोट के जरिए मथुरा स्थित पांचजन्य प्रेक्षागृह में एक समारोह के दौरान किया था।
बरसाना राधारानी का गांव है। राधारानी का मंदिर पहाड़ी पर स्थित। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 275 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती थीं। बुजुर्ग भक्तों को मंदिर तक पहुंचने में बहुत परेशानी होती थी। अब राधा रानी मंदिर तक सभी भक्त आसानी से पहुंच सकेंगे। रोपवे के दो स्टेशन हैं निचला और ऊपरी जो 300 मीटर लंबे रोपवे को जोड़ेंगे। ट्रॉलियों के माध्यम से तीन मिनट के भीतर भक्त मंदिर तक पहुंच रहे हैं। इसकी टिकट सौ रुपये तय की गई है। प्रत्येक ट्रॉली में अधिकतम छह यात्री बैठाए जा रहे हैं। एक समय में तीन ट्रॉलियाँ संचालित की जा रही हैं।
रोपवे ट्रैक के साथ-साथ सीढ़ियों का एक नया सेट भी लगाया जा रहा है ताकि जो लोग चलने में सक्षम हैं वे 275 सीढ़ियां चढ़कर टॉवर के पास प्लेटफार्म के निकट पहुंच सकें।
इस रोपवे का विचार 2016 में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान आया था, लेकिन इसे राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) से मंजूरी की आवश्यकता थी क्योंकि इसमें पेड़ों की कटाई शामिल थी। रोपवे के लिए काटे गए पेड़ों के मुआवजे के रूप में, काटे गए पेड़ों की संख्या से 10 गुना अधिक पेड़ आसपास उगाए गए और उनकी तस्वीरें एनजीटी को मंजूरी के लिए प्रस्तुत की गईं। इसके बाद ही इसे मंजूरी मिल सकी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में सत्ता में आने के बाद बरसाना को 'तीर्थ' (तीर्थस्थल) घोषित किया था। परंपरा के अनुसार, पारंपरिक होली से लगभग एक सप्ताह पहले नंदगांव से 'हुरियारे' (होली के उत्सवकर्ता) एक दिन के लिए बरसाना पहुंचते हैं और होली मनाते हैं, जहां उनका स्वागत राधा की सखियों द्वारा डंडों से किया जाता है। खुद को बचाने के लिए, नंदगांव के ये हुरियारे रंग-बिरंगी पगड़ियां पहनते हैं और होली के लोक गीतों को गाते हैं। यह दृश्य 'लट्ठमार होली' के रूप में प्रसिद्ध है और न केवल भक्तों बल्कि विदेशी पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण है।
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