आर्थिक सर्वे में जरूरी घटकों का विस्तार से लेखा-जोखा प्रस्तुत

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदन, लोकसभा और राज्यसभा में इकोनॉमिक सर्वे पेश किया। इसमें देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था से लेकर शहरों की आबादी, महंगाई दर, सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी, ईंधन, पीने का पानी, सड़कों और आवास से लेकर तमाम जरूरी घटकों पर विस्तार से लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया है। आर्थिक समीक्षा में ई-कॉमर्स के माध्यम से देश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विनियामक और अनुपालन दायित्वों से जुड़े मुद्दों पर गौर करने का आह्वान किया गया। इकोनॉमिक सर्वे 2025 के मुताबिक, भारत की बैंकिंग व्यवस्था स्वस्थ और पर्याप्त पूंजीकृत है, लेकिन असुरक्षित ऋणों में बढ़ते दबाव और वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव ने नए जोखिम पैदा कर दिए हैं। बैंकिंग सेक्टर का टोटल नॉन परफॉर्मिंग एसेट भले ही 12 साल के निचले स्तर 2.6 परसेंट तक पहुंच गया है, लेकिन असुरक्षित पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट को लेकर चिंताए बढ़ रही हैं।

Jan 31, 2025 - 20:23
 0
आर्थिक सर्वे में जरूरी घटकों का विस्तार से लेखा-जोखा प्रस्तुत

इसमें कहा गया कि भारत के ई-कॉमर्स निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि और देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में प्रमुख योगदानकर्ता बनने की अपार संभावनाएं हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी को बजट सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदन, लोकसभा और राज्यसभा में इकोनॉमिक सर्वे पेश किया. इसमें देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था से लेकर शहरों की आबादी, महंगाई दर, सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी, ईंधन, पीने का पानी, सड़कों और आवास से लेकर तमाम जरूरी घटकों पर विस्तार से लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया है.

समीक्षा के मुताबिक भारत में ई-कॉमर्स निर्यात परिवेश वृद्धि के अवसर प्रदान करने साथ-साथ नियामकीय ढांचे और अनुपालन दायित्वों से संबंधित कुछ चुनौतियां भी पेश करता है। मिसाल के तौर पर समीक्षा में कहा गया कि विक्रेताओं और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ऑपरेटर्स की भूमिकाएं अभी तक स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं हैं। समीक्षा में कहा गया, इसके लिए निर्यात और भुगतान प्रक्रियाओं के विभिन्न चरणों में विक्रेताओं तथा ई-कॉमर्स कंपनियों के बीच सहयोग की आवश्यकता होती है।

इसमें कहा गया, डेटा संपर्क का विस्तार, स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच, डिजिटल वॉलेट और सुरक्षित ऑनलाइन भुगतान की उपलब्धता व उपयोग में वृद्धि, ग्राहकों की आय के स्तर में वृद्धि और डिजिटल खरीदारी मंच के साथ बढ़ती परिचितता ने भारत के ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा दिया है।

समीक्षा के अनुसार, वैश्विक बी2सी (बिजनेस-टू-कंज्यूमर) ई-कॉमर्स बाजार के 2022 के 5,700 अरब डॉलर से बढ़कर 2026 तक 8,100 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत का बी2सी ई-कॉमर्स बाजार 2022 में 83 अरब डॉलर का था और इसके 2026 तक 150 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है, जो 15.9 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर्शाता है।

हालांकि, मौजूदा बाजार आकार के हिसाब से भारत का ई-कॉमर्स बाजार वैश्विक बाजार का एक छोटा हिस्सा यानी करीब 1.5 प्रतिशत है और आने वाले वर्षों में इसके करीब दो प्रतिशत रहने का अनुमान है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया, सरकार की ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र (ईसीईएच) पहल का उद्देश्य देश के सीमा पार ई-कॉमर्स उद्योग में क्रांति लाना है।

सितंबर, 2024 तक खुदरा ऋण पोर्टफोलियो में 51.9 परसेंट एनपीए की नई वृद्धि असुरक्षित ऋण पुस्तिका में गिरावट के कारण हुई, जिससे फाइनेंशियल स्टेबिलिटी को लेकर खतरे के संकेत मिले। इसके अलावा, दिसंबर 2024 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट (एफएसआर) में इस बात का जिक्र किया गया कि पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड होल्डर्स में से लगभग आधे के पास होम या व्हीकल लोन जैसे बड़े सिक्योरड लोन भी है। अगर छोटे लोन की भरपाई करने में चूक हो गई तो पूरे क्रेडिट पोर्टफोलियो में चूक का जोखिम बढ़ सकता है। 

लोन के बढ़ते दायरे को देखते और इस पर रोक लगाने के लिए आरबीआई ने नवंबर 2023 में  उधारी पर जोखिम भार 25 आधार अंक तक बढ़ा दिया। बावजूद इसके बड़े पैमाने पर लोन दिया जा रहा है। सबसे अधिक नए घर की खरीद पर होम लोन दिए जा रहे हैं। लोन लेने का दर अब भी अधिक है, लेकिन हाल के महीनों में कुछ सख्ती के चलते इसमें कमी आई थी। इकोनॉमिक सर्वे में ऋण-जमा असंतुलन का भी जिक्र किया गया, यानी कि लोन लिए जा रहे हैं और इनकी भरपाई इसके मुकाबले कम हो पा रही है। ़

आर्थिक समीक्षा 2024-25 कहती है कि अधिक न्यायसंगत और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए सरकार का जोर ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने पर रहा है। आर्थिक समीक्षा कहती है कि बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करके विभिन्न उपाय किए गए हैं जिनमें ग्रामीण आवास, पेयजल एवं स्वच्छता, स्वच्छ ईंधन, सामाजिक सुरक्षा और ग्रामीण संपर्क सुविधा के साथ ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने के तरीके शामिल हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की पेश रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण परिवारों और छोटे व्यवसायों की वित्तपोषण जरूरतों को सूक्ष्म-वित्त संस्थानों, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और अन्य वित्तीय मध्यस्थों के जरिये पूरा किया जा रहा है। आर्थिक समीक्षा कहती है कि डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी को ग्रामीण अर्थव्यवस्था तक ले जाना ग्रामीण विकास के एजेंडा का एक प्रमुख पहलू रहा है। इसमें ग्रामीण आबादी के स्वास्थ्य मापदंडों पर भी प्राथमिक ध्यान दिया गया है।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का अपडेट
इसके मुताबिक, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत इस साल नौ जनवरी तक 8,34,695 किलोमीटर लंबी सड़कों को मंजूरी दी गई और 7,70,983 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण पूरा हो चुका था। अब तक 99.6 प्रतिशत लक्षित बस्तियों को संपर्क सुविधा से जोड़ा जा चुका है।

प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण का अपडेट
आर्थिक समीक्षा कहती है कि प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत 2016 से 2.69 करोड़ घर बन चुके हैं और जल जीवन मिशन के तहत लगभग 12.2 करोड़ घरों को नल-जल कनेक्शन दिए जा चुके हैं. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत 27 जनवरी तक 11.8 करोड़ शौचालय और 2.51 लाख सामुदायिक स्वच्छता परिसरों का निर्माण किया गया है।

सर्वे का फोकस विनियमन और कारोबार को आसान बनाने पर
इंडिया इंक ने आर्थिक सर्वेक्षण की सराहना की। उन्होंने स्थिर व्यापक आर्थिक माहौल की उम्मीद जताई। साथ ही, बजट में टैक्स ढांचे को बेहतर बनाने की भी अपेक्षा की, ताकि लोगों की डिस्पोजेबल इनकम बढ़े और खपत को बढ़ावा मिले। ज़्यादातर उद्योग विशेषज्ञ 2025-26 के लिए भारत की 6.3-6.8% की आर्थिक विकास दर के अनुमान से सहमत थे। उन्हें उम्मीद है कि शनिवार को पेश होने वाला केंद्रीय बजट खपत और निवेश की मांग को बढ़ावा देगा।

 अत्यधिक वित्तीयकरण अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, देश की पूंजीगत ज़रूरतों को पूरा करने के लिए फ़ाइनेंशियल मार्केट्स और बैंकिंग सेक्टर को साथ मिलकर काम करना होगा। मार्केट्स का विकास अर्थव्यवस्था की पूंजीगत ज़रूरतों और समग्र आर्थिक विकास के साथ होना चाहिए, लेकिन उससे तेज़ नहीं। तेज़ी से बढ़ते पूंजी बाजारों ने वास्तविक अर्थव्यवस्था को गति दी है, जिससे घरेलू बचत का वित्तीयकरण हुआ है और धन सृजन को बढ़ावा मिला है। कुल बैंक क्रेडिट में उपभोक्ता क्रेडिट का हिस्सा वित्त वर्ष 2014 में 18.3% से बढ़कर 32.4% हो गया है। गैर-बैंकिंग वित्त का बढ़ता हिस्सा और वित्त वर्ष 2013 से वित्त वर्ष 2024 के बीच IPO में छह गुना वृद्धि, युवा निवेशकों के साथ, भारत के वित्तीय क्षेत्र के लिए एक नए युग की शुरुआत का संकेत देते हैं। यह बदलाव देश के आर्थिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था की मज़बूती के लिए फ़ाइनेंशियल मार्केट्स का संतुलित विकास ज़रूरी है।

जमीनी स्तर पर न्याय उपलब्ध कराने के उद्देश्य की ओर इशारा 

 आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में ज़मीनी स्तर पर न्याय दिलाने वाले विभिन्न कानूनों और पहलों की ओर इशारा किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण अदालतों या ग्राम न्यायालयों ने पिछले चार वर्षों में लगभग तीन लाख मामलों का निपटारा किया है।

ईवी नीति को आपूर्ति श्रृंखला को जोखिम मुक्त करना होगा
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 ने शुक्रवार को बताया कि भारत की इलेक्ट्रिक वाहनों की नीतियों को आपूर्ति श्रृंखलाओं के जोखिम कम करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके लिए ज़रूरी है कि एक ज़्यादा आत्मनिर्भर परिवेश को बढ़ावा दिया जाए। रिपोर्ट में इस क्षेत्र में प्रमुख उपकरणों और कच्चे माल पर चीन के वैश्विक प्रभुत्व पर भी प्रकाश डाला गया है।
बजट से पहले के इस दस्तावेज़ में यह भी कहा गया है कि भारत को ऐसे देशों के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते करने चाहिए जो अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाना चाहते हैं। साथ ही, वैश्विक बाजार में बढ़त हासिल करने की ऊँची लागत को बाँटने के लिए दूसरे महत्वाकांक्षी देशों के साथ साझेदारी करनी चाहिए।

अब तक 220.11 करोड़ व्यक्ति दिवस रोजगार सृजित
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट, जिसे शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में पेश किया, उसमें बताया गया है कि 2024-25 में 10 जनवरी तक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत लगभग 220.11 करोड़ व्यक्ति दिवसों का रोजगार सृजित किया गया है। यह रिपोर्ट आम लोगों के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण है।