संशोधित खबर--------टीटीजेड में पुल के निर्माण पर यूपीएसबीसीएल को सुप्रीम फटकार, पांच लाख का जुर्माना
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिना अनुमति के ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में यमुना पर पुल निर्माण कार्य आगे बढ़ाने पर उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम लिमिटेड (यूपीएसबीसीएल) को फटकार लगाई है। कोर्ट ने उस पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। कल कोर्ट ने सुनवाई की और राज्य सरकार की कंपनी के रवैये पर हैरानी जताई। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि कोर्ट की इजाजत के बगैर कंपनी पेड़ों की कटाई कैसे आगे बढ़ा सकती है।

बता दें कि यमुना पर जिस पुल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम को फटकार लगाई है, वह आगरा जिले में रुनकता गांव में रेणुका धाम के पास बन रहा है। इस पुल के बनने से आगरा और यमुना पार के मथुरा जिले के गांवों के बीच की दूरी कम हो जाएगी।
राज्य सेतु निगम ने यमुना पर पुल तो बना लिया, लेकिन जब इसे यमुना के दोनों ओर सड़क से जोड़ने की बात आई तब निगम को ध्यान आया कि इस काम को पूरा करने के लिए तो आगरा और मथुरा की सीमा में 268 पेड़ काटने पड़ेंगे। इसके बाद ही निगम की ओर से सुप्रीम कोर्ट से पेड़ काटने की अनुमति मांगी गई थी। इस पर सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया था कि सेतु निगम ने पुल बनाने से पहले पेड़ काटने की अनुमति नहीं मांगी। ये पुल बनाने के बाद पेड़ काटने की अनुमति मांगने आए हैं। इस पर ही सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई।
जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने के पुल का काम आगे बढ़ाने के फैसले पर आश्चर्य जताया। कंपनी के इस फैसले में ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में कई पेड़ों को काटना और पेड़ों को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करना भी शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट ताजमहल और टीटीजेड में वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के संरक्षण के संबंध में पर्यावरणविद् एम सी मेहता की ओर से दायर एक लंबित जनहित याचिका में विभिन्न अंतरिम याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में ताजमहल के पास करीब 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है, जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा जिलों और राजस्थान के भरतपुर जिले में फैला हुआ है।
जस्टिस अभय एस ओका ने सवाल करते हुए कहा, 'आप सरकारी यूनिट हैं। आप इस मामले में अदालत की ओर से पारित आदेशों से अवगत हैं। आप हमारी पूर्व सहमति के बिना परियोजना और पेड़ों की कटाई को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं।'
कोर्ट ने यूपीएसबीसीएल को निर्देश दिया कि वह राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान के खाते में 5 लाख रुपये जमा करे। इससे पहले कि वह निगम की क्षेत्र में अपने पुल के निर्माण के लिए पेड़ों को काटने से संबंधित उसकी याचिका पर विचार करे.। पीठ ने कहा, 'यह राज्य निगम की ओर से उचित आचरण नहीं है।'
कोर्ट ने कहा कि पेड़ों की कटाई और स्थानांतरण पर जोर देने से पहले अनिवार्य वनरोपण किया जाना चाहिए। पीठ ने स्पष्ट किया कि वह टीटीजेड में औद्योगिक या अन्य इकाइयां चलाने और खोलने के लिए सर्वव्यापी अनुमति नहीं देगी।
सुप्रीम कोर्ट ने एक आवेदन पर आदेश पारित करते हुए टीटीजेड प्राधिकरण को यह पता लगाने के लिए स्थल पर अधिकारियों को तत्काल तैनात करने का निर्देश दिया कि क्या कोई पेड़ काटने की गतिविधि की गई थी या जारी है। अदालत ने कहा, 'आवश्यक पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाएगी. हम यह स्पष्ट करते हैं कि पुलिस की मदद से ताज ट्रेपेजियम प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि भूमि पर कोई पेड़ काटने की गतिविधि न हो।'
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश जल निगम और आगरा नगर निगम को ताज ट्रेपेजियम जोन में बिना शोधित और आंशिक रूप से शोधित नालों के अपशिष्ट के शोधन के लिए कोर्ट के पिछले निर्देशों का पूरी तरह से पालन करने का निर्देश भी दिया।. कोर्ट ने नालों के मुद्दे पर अधिकारियों से अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहा।.